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Tuesday 23 January 2018 03:02:23 AM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास कालीदास मार्ग पर देश के हिंदी साहित्यकारों को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के वर्ष-2016 के सम्मान प्रदान करते हुए कहा है कि समय की दृष्टि से साहित्य समाज पर बड़ी जिम्मेदारी है, साहित्य एक मार्गदर्शक होता है, साहित्य का अर्थ ही है, जिसमें सबका हित हो। उन्होंने कहा कि साहित्य के माध्यम से ही हम किसी समाज, राष्ट्र और संस्कृति को संबल प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है, यह उत्तर से दक्षिण तथा पूरब से पश्चिम तक संपूर्ण देश में बोली और समझी जाती है, इसलिए यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता से अभिन्न रूपसे संबद्ध है। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश और देश के साहित्यकारों एवं विभूतियों को देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने वसंत पंचमी की बधाई देते हुए कहा कि यह दिन विद्या, बुद्धि, ज्ञान, कला की देवी माँ सरस्वती का दिन है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने सम्मान समारोह में देश के हिंदी मनीषियों को सम्मिलित करने का जो प्रयास किया है, वह सराहनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लेखनी का उपयोग समाज को बेहतर बनाने में करना चाहिए, बगैर चिंतन के अच्छा साहित्य नहीं लिखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कालखंड में साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जब लेखनी से स्वस्थ साहित्य लिखा जाता है तो सृजनात्मकता और रचनात्मकता से राष्ट्र को नई दिशा मिलती है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आदि कवि वाल्मीकि ने अपनी कृति रामायण के माध्यम से भारत ही नहीं पूरे विश्व को जो मार्ग दिखाया, वह हम सभी को आज भी ऊर्जा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि रचनात्मक साहित्य को बढ़ावा दिया जाए, रचनात्मक साहित्य के माध्यम से ही प्रगतिशील समाज की संकल्पना को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी विभूतियों को संरक्षित और संवर्धित करता है, वही समाज प्रगति करता है।
सम्मान समारोह को विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने भी संबोधित किया। उन्होंने साहित्यधर्मियों का आह्वान किया कि समय आ गया है कि वे अपनी लेखनी का उस अवसर के सृजन में इस्तेमाल करें, जिसकी वह प्रतीक्षा करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज और अंतर्मन की भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम है, साहित्य हमेशा से ही देशकाल को केंद्र में रखकर रचा जाता है। मुख्यमंत्री ने हिंदी साहित्य से जुड़ी जिन विभूतियों को सम्मानित किया, उनमें डॉ आनंद प्रकाश दीक्षित को भारत-भारती सम्मान, आनंद मिश्र ‘अभय’ को लोहिया साहित्य सम्मान, डॉ विद्याविंदु सिंह को हिंदी गौरव सम्मान, नंदकिशोर आचार्य को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, महेशचंद्र शर्मा को पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान, प्रोफेसर नेत्रपाल सिंह को अवंतीबाई साहित्य सम्मान तथा साहित्यानुशीलन समिति मद्रास के डॉ इंद्रराज वैद्य को राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से सम्मानित किया गया।
डॉ रामशरण गौड़, डॉ जयप्रकाश, डॉ गणेश नारायण शुक्ल, डॉ वेदप्रकाश अमिताभ, मधुकर अस्थाना, विजय रंजन, डॉ श्रीराम परिहार, डॉ सुरेंद्र दुबे, डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी तथा बल्देव भाई शर्मा को साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉ आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’ को लोक भूषण सम्मान तथा डॉ मंजुला चतुर्वेदी को कला भूषण सम्मान प्रदान किया गया। डॉ हरिशंकर मिश्र को विद्या भूषण, देवेंद्र मेवाड़ी को विज्ञान भूषण, राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ को पत्रकारिता भूषण, सत्यदेव टैंगर को प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण, भगवती प्रसाद द्विवेदी को बाल साहित्य भारती, शिवनारायण मिश्र को मधुलिमये साहित्य सम्मान, डॉ हरि जोशी को पंडित श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान, डॉ रामअवतार सिंह को विधि भूषण सम्मान, डॉ सुवास कुमार को हिंदी विदेश प्रसार सम्मान तथा डॉ प्रेमसुमन शर्मा और डॉ प्रणव शर्मा शास्त्री को विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान से विभूषित किया गया।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के सौहार्द सम्मान से नंदकुमार मनोचा ‘वारिज’ (पंजाबी), प्रकाश भातम्ब्रेकर (मराठी), मनोहरमयुम यमुना देवी (मणिपुरी), डॉ मंजु मोदी (उड़िया), डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन (तमिल), बाबू कृष्णमूर्ति (कन्नड़), छत्रपाल जोगिंदर पाल सराफ (डोगरी), डॉ शशिशेखर तोषखानी (कश्मीरी), डॉ यासमीन सुल्ताना नक़वी (उर्दू), रामनिरंजन गोयनका (असमिया), डॉ जेएल रेड्डी (तेलुगु), वी रवींद्रन (मलयालम), डॉ गंगेश गुंजन (मैथिली) तथा ओमप्रकाश पांडेय (संस्कृत) शामिल हैं। नामित पुरस्कारों से रमाशंकर, डॉ ज्ञानवती दीक्षित, डॉ दिनेश पाठक ‘शशि’, चंद्रेश्वर ‘परवाना’, डॉ शिवमंगल सिंह ‘मंगल’, डॉ अजय कुमार सिन्हा, पंडित उमाशंकर मिश्र ‘रसेंदु’, रवींद्र प्रताप सिंह, डॉ देवव्रत चौबे, डॉ सुशील कुमार पांडेय ‘साहित्येंद्र’, रविनंदन सिंह, डॉ दयाशंकर त्रिपाठी, डॉ प्रणव भारती, शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ, डॉ पशुपतिनाथ उपाध्याय, डॉ सरला अवस्थी, डॉ नुज़हत फ़ातिमा, डॉ गोपाल कृष्ण शर्मा ‘मृदुल’, डॉ विनीता सिंघल, आरती मिश्र ‘आश्चर्य’, शंकर सुल्तानपुरी, डॉ योगेश, डॉ वीरेंद्र कुमार चंद्रसखी, अमित कुमार सिंह, कृष्ण मुरारी ‘विकल’, शीला शर्मा, डॉ चंद्रभानु शर्मा तथा कौशलेंद्र सम्मानित हुए। इस अवसर पर प्रमुख सचिव भाषा जितेंद्र कुमार, हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सदानंद प्रसाद गुप्त तथा निदेशक शिशिर सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।