स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 3 February 2018 02:39:43 AM
गुवाहाटी। केंद्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और असम सरकार के वन विभाग ने गुवाहाटी में रामसर में दीपोर बील में राष्ट्रीय स्तरीय विश्व आद्र भूमि दिवस 2018 पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन शामिल हुए। कार्यक्रम की थीम थी-सतत शहरी भविष्य के लिए आद्र भूमि। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आद्र भूमि शहरों और मानवता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, आद्र भूमि पेयजल का स्रोत है, बाढ़ में कमी लाती है, आद्र भूमि के वनस्पतिकरण से घरेलू और औद्योगिक कचरे की सफाई होती है और इससे जल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। उन्होंने कहा कि आद्र भूमि को बचाना मानवता को बचाना है।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि समाज और देश के प्रति हमारी हरित सामाजिक जिम्मेदारी है और यह सुनिश्चित करना भी हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों को स्वच्छ और हरित वातावरण प्रदान करें। विश्व आद्र भूमि दिवस मनाने आए सैकड़ों स्कूली और कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ डॉ हर्षवर्धन ने संवाद किया और उनका आह्वान किया वे इस विषय पर जागरुक कार्यक्रमों और प्रचार-प्रसार के माध्यमों से समाज को जागरुक करने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि आद्र भूमि शहरों और कस्बों को रहने लायक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय ने विश्व आद्र भूमि दिवस पर पोस्टरों की प्रदर्शनी लगाई गई। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन में सचिव सीके मिश्रा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। आद्र भूमि पर एक तकनीकी कार्यशाला हुई, जिसमें विशेषज्ञों ने आद्र भूमि संरक्षण और उसके उचित इस्तेमाल के लिए रणनीतियों पर चर्चा की।
गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आद्र भूमि दिवस मनाया जाता है, इसी दिन आद्र भूमि रामसर समझौते को अपनाया गया था। आद्र भूमि पर समझौते को रामसर समझौता कहा जाता है, यह अंतर सरकारी संधि है, जो आद्र भूमि के संरक्षण और उचित उपयोग तथा उनके संसाधनों के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढांचा प्रदान करती है। यह समझौता 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया था। भारत 1982 से इस समझौते का सदस्य है और आद्र भूमि के उचित इस्तेमाल में रामसर दृष्टिकोण के प्रति संकल्पबद्ध है। पर्यावरण मंत्रालय ने समाज के सभी वर्गों के लोगों से आद्र भूमि के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व आद्र दिवस का उपयोग करने का आग्रह किया है।
पर्यावण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय आद्र भूमि संरक्षण के लिए नोडल मंत्रालय है। यह 1985 से रामसर स्थलों सहित आद्र भूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रबंधनकारी योजना के डिजाइन और कार्यांवयन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को समर्थन देता आ रहा है। करीब 140 से अधिक आद्र भूमियों के लिए प्रबंध कार्रवाई योजना लागू करने के लिए राज्य सरकारों को तकनीकी सहायता प्रदान की गई हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 400 हेक्टेयर से अधिक जमीन यानी भारत की 12 प्रतिशत भूमि बाढ़ और नदी के कटाव की संभावना से घिरी हुई है। कुल भौगोलिक क्षेत्र में आद्र भूमि 4.7 प्रतिशत है।