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Monday 26 February 2018 06:31:14 PM
देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से 41वीं बार मन की बात की, जिसे सुनने के लिए उत्तराखंड में देहरादून के वार्ड 16 बकरालवाला में बीजेपी कार्यकर्ता तृप्ति उनियाल थापा के निवास स्थान पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ प्रारम्भ होते ही एक फ़ोन-कॉल आई, जिसमें मेरठ से कोमल त्रिपाठी बोल रही थीं। फोन कॉल यह थी-'आदरणीय प्रधानमंत्री जी मै कोमल त्रिपाठी मेरठ से बोल रही हूं, 28 तारीख को नेशनल साइंस डे है, इंडिया की प्रोग्रेस और उसकी ग्रोथ साइंस से पूरी तरह से जुड़ी हुई है, जितना ही हम इसमें रिसर्च और इनोवेशन करेंगे उतना ही हम आगे बढ़ेंगे और प्रोग्रेस करेंगे, क्या आप हमारे युवाओं को मोटिवेट करने के लिए कुछ ऐसे शब्द कह सकते हैं जिससे कि वो साइंटिफिक तरीक़े से अपनी सोच को आगे बढ़ाएं और हमारे देश को भी आगे बढ़ा सकें धन्यवाद!' प्रधानमंत्री ने भी उसका प्रेरणाप्रद उत्तर दिया और कहा कि आपके फ़ोन-कॉल के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इस सवाल की जिज्ञासा को जिस प्रकार शांत किया, उसे देश-विदेश में पूरा जनमानस अपने रेडियो और टीवी पर भी सुन रहा था और कोमल के प्रश्न और प्रधानमंत्री के उत्तर को देहरादून में भी इस आयोजन में श्रोतागण बड़े ध्यानपूर्वक सुन रहे थे, जिन्हें बड़ा संतोष हुआ कि आज हमारे प्रधानमंत्री हमसे सीधे संवाद कर रहे हैं, जो पहले कभी नहीं था। इस घटनाक्रम ने एहसास कराया कि प्रधानमंत्री प्रत्येक देशवासी से सीधे जुड़े हैं और देशवासियों को चाहिए कि वे नरेंद्र मोदी को जनता से जुड़े रहने का सदैव अवसर देते रहें। यह उन लोगों की जनभावना थी, जो यहां अपने प्रधानमंत्री के मन की बात सुनकर भावविभोर थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोमल को उनके प्रश्न का पूरा उत्तर दिया जिससे हर कोई प्रभावित हुआ होगा, क्योंकि उन्होंने युवाओं को विज्ञान पर ज्ञानवर्धक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विज्ञान को लेकर ढेर सारे प्रश्न मेरे युवा साथियों ने मुझसे पूछे हैं, कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने देखा है कि समुंदर का रंग नीला नज़र आता है, लेकिन हम अपने दैनिक जीवन के अनुभवों से जानते हैं कि पानी का कोई रंग नहीं होता है, क्या कभी हमने सोचा है कि नदी हो, समुंदर हो, पानी रंगीन क्यों हो जाता है? यही प्रश्न 1920 के दशक में एक युवक के मन में आया था, इसी प्रश्न ने आधुनिक भारत के एक महान वैज्ञानिक को जन्म दिया, जब हम विज्ञान की बात करते हैं तो सबसे पहले भारतरत्न सर सीवी रमन का नाम हमारे सामने आता है, उन्हें प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिए नोबल सम्मान प्रदान किया गया था, उनकी एक ख़ोज ‘रमन इफेक्ट’ के नाम से प्रसिद्ध है, हम हर वर्ष 28 फ़रवरी को नेशनल साइंस डे मनाते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि इसी दिन उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन की घटना की ख़ोज की थी, जिसके लिए उन्हें नोबल सम्मान दिया गया, इस देश ने विज्ञान के क्षेत्र में कई महान वैज्ञानिकों को जन्म दिया है, एक तरफ़ महान गणितज्ञ बोधायन, भास्कर, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट रहे हैं तो दूसरी तरफ़ चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक हमारा गौरव हैं, सर जगदीश चंद्र बोस और हरगोविंद खुराना से लेकर सत्येंद्रनाथ बोस जैसे वैज्ञानिक भारत के गौरव हैं, सत्येंद्रनाथ बोस के नाम पर तो प्रसिद्ध कण 'बोसॉन' का नामकरण भी किया गया।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में चमत्कार हो रहे हैं, जिनका उपयोग ग़रीबों, वंचितों या ज़रुरतमंदों का जीवन बेहतर करने के काम आ सकता है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया कि दिव्यांग भाइयों और बहनों का जीवन सुगम बनाने के लिए किस तरह से कृत्रिम बुद्धिमत्ता से मदद मिल सकती है? क्या हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर अनुमान लगा सकते हैं? किसानों को फ़सलों की पैदावार को लेकर कोई सहायता कर सकते हैं? क्या स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को आसान बनाने और आधुनिक तरीक़े से बीमारियों के इलाज़ में सहायक हो सकते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इसके अलावा स्वच्छता और विकास एवं महिला दिवस का भी जिक्र किया और कहा कि नारी का समग्र विकास और उसका सशक्तिकरण ही न्यू इंडिया है। नरेंद्र मोदी ने बताया कि गोबर धन योजना के लिए मवेशियों के गोबर से बायोगैस और जैविक खाद बनाई जाएगी, उन्होंने देशवासियों से कचरे एवं गोबर को आय का स्रोत बनाने के लिए कहा।
मन की बात में प्रधानमंत्री ने इज़राइल के प्रधानमंत्री के भारत आगमन, साइंस और टेक्नोलॉजी, महर्षि अरबिंदो की कर्मभूमि का जिक्र किया, जिन्होंने एक क्रांतिकारी के रूप में ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, उन्होंने एक महान ऋषि के रूप में जीवन के हर पहलू के सामने सवाल रखा, उत्तर खोज़ निकाला और मानवता को राह दिखाई। उन्होंने कहा कि सच्चाई को जानने के लिए बार-बार प्रश्न पूछने की भावना महत्वपूर्ण है, वैज्ञानिक ख़ोज के पीछे की असल प्रेरणा भी यही है, तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिए, जब तक क्यों क्या और कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर न मिल जाए। प्रधानमंत्री ने नेशनल साइंस डेके अवसर पर आशा व्यक्त की कि हमारी युवा पीढ़ी, सत्य और ज्ञान की खोज़ के लिए प्रेरित हो, विज्ञान की मदद से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो, इसके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं। प्रधानमंत्री के मन की बातों ने सभी को प्रभावित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात में देशवासियों को दुर्घटनाओं के प्रति भी जागरुक किया और कहा कि अगर हम दैनिक जीवन में सुरक्षा को लेकर जागरूक नहीं हैं, तो फिर आपदा के दौरान उसपर नियंत्रण पाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि महानगरपालिका, नगरपालिकाएं हफ़्ते में एक बार या महीने में एक बार अलग-अलग स्कूलों में जाकर स्कूल के बच्चों के सामने फायर ब्रिगेड से मॉक ड्रिल करें, जिससे स्कूलों में सतर्क रहने की आदत होगी और नई पीढ़ी को इसकी शिक्षा भी मिलेगी। कार्यक्रम के महत्व पर उत्तराखंड की आंदोलनकारी सुशीला बलूनी, उत्तराखंड भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष नीलम सहगल और महानगर अध्यक्ष बृजलेश गुप्ता ने विचार व्यक्त किए। इस दौरान दीपा शाह, मंडल अध्यक्ष करनपुर उमा नरेश तिवारी, मंडल महामंत्री महेश गुप्ता, माग्रेट शर्मा, अशोक डोबरियाल, विनोद भल्ला, चंडी देवी, गुप्ताजी, अनीता, शबनम, रिंकी, पवन थापा और भारी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।