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Wednesday 28 February 2018 03:25:54 PM
नई दिल्ली/ लखनऊ। हिंदू धर्म की विख्यात सर्वज्ञ पीठ काँची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती आज ब्रह्मलीन हो गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल, भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रमुख हरीशचंद्र श्रीवास्तव 'हरीशजी' सहित अनेक राजनेताओं, दार्शनिकों, धर्मगुरूओं, आध्यात्मिक सर्वज्ञ पीठों आदि ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सभी ने कहा है कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन से धर्म और आध्यात्मिक समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती प्रकांड विद्वान थे, उन्हें समृद्ध आध्यात्मिक और सामाजिक योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा।
कांची कामकोटि पीठ देश की प्रमुख धर्म आध्यात्मिक पीठों में एक प्रमुख पीठ है, जहां लाखों लोग अपने जीवन के प्रश्नों के समाधान, आध्यात्मिक चिंतन और सामाजिक मुद्दों पर शंकराचार्य का मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। करीब बयासी वर्षीय शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने बेचैनी की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती लंबे समय से बीमार भी थे और उन्हें पिछले महीने भी सांस की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जयेंद्र सरस्वती देश के सबसे पुराने मठों में से एक के प्रमुख थे और वह काफी लंबे समय से इस पद पर आसीन थे। वह वर्ष 1994 में चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद इस शैव मठ के 69वें प्रमुख बने थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कांची मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि शंकराचार्य ने समाज की अनुकरणीय सेवा की है, जिसके कारण वह अनुयायियों के श्रेष्ठ मार्गदर्शक के रूपमें मनमस्तिष्क में हमेशा जीवित रहेंगे। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ट्वीट किया कि कांची पीठाधिपति जयेंद्र सरस्वती को मेरी श्रद्धांजलि, उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया, मानव कल्याण और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनका योगदान अन्य लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा। रामजन्म भूमि विवाद के बातचीत से समाधान और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका के रूपमें उन्हें सर्वदा याद किया जाएगा। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया था और बहुत कोशिशें की थीं कि इसका हल निकल जाए, लेकिन कुछ धर्मांध और इस्लामिक ज़िहादी मानसिकता के स्वानामधन्य विघटनकारियों के कारण उनके जीतेजी यह संभव नहीं हो सका।
शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की पहल से मुफ्त अस्पताल, शिक्षण संस्थान और बेहद सस्ती कीमत पर उच्चशिक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय तक संचालित हैं। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के जीवन में एक ऐसा दुखद दौर भी आया, जब उन्हें एक हत्या के मामले में जेल जाना पड़ा। यह दुनिया के सामने भारतीय न्याय व्यवस्था और प्रशासन का एक निष्पक्ष प्रमाण था, जब लोकापवाद के भय से शंकराचार्य जैसे महान व्यक्ति को यह दंश झेलना पड़ा। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और उनके भाई विजयेंद्र समेत 23 लोगों को 2009 में कांचीपुरम के वरदराज पेरुमल मंदिर के मैनेजर शंकर रमन की हत्या की साजिश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। उनपर आरोप था कि जयेंद्र के इशारे पर मंदिर परिसर में 3 सितंबर 2004 को शंकर रमन की हत्या कर दी गई थी।
शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और सभी आरोपियों को शिनाख्त करने में असफल होने पर अदालत ने 2013 में बरी कर दिया था। कांची मठ दक्षिण भारत का प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थापित है। यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है। यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं। काँची कामकोटी पीठ पर स्थापित होने से पहले उनका मूल नाम सुब्रहमण्यम महादेव अय्यर था। जून 2003 में उन्होंने काँची पीठ के शंकराचार्य के पद पर आसीन हुए पचास वर्ष पूरे कर लिए थे। इस अवसर पर एक समारोह में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी पधारे थे और अयोध्या मसले के समाधान के लिए शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की सराहना की थी। भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। इसकी अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण शेष भारत से अलग पहचान है, हलांकि भाषाई एवं जीवनशैली स्तर पर इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक मुख्य अंग है। काँची पीठ हिंदू धर्मावलंबियों के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण धर्मज्ञ पीठ मानी जाती है।