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उत्तराखंड विकास पर सीआईआई का मंथन

कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मुद्दे

उत्तराखंड सरकार के प्रयासों की सशर्त सराहना

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 28 February 2018 06:09:12 PM

cii brainstorming on development in uttarakhand

देहरादून। हिल डेवलपमेंट और उद्योगों को सुविधा के माध्यम से उत्तराखंड विकास के एजेंडे पर देहरादून में सीआईआई का वार्षिक सम्मेलन हुआ, जिसमें विशेषज्ञ एकत्रित हुए। सीआईआई उत्तराखंड के इस वार्षिक सत्र के दौरान स्पेशल प्लैनरी ऑन डेवलपमेंट मॉडल्स ऑफ हिल्स विषय पर अपने व्याख्यान हुए, जिनमें उत्तराखंड ग्रामीण विकास और प्रवास आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी ने कहा कि कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सबसे जरूरी हैं, जिनपर फोकस किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय संसाधनों के आधार पर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि व्यापार और निवेश को आकर्षित करने वाला अनुकूल माहौल निवेशकों को आकर्षित करने की कुंजी है। सम्मेलन में पहाड़ी क्षेत्रों में विकास के लिए कृषि, पर्यटन और ग्रामीण बीपीओ क्षेत्रों को स्केलेबल, व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य, निजी और सहकारी क्षेत्र संचालित मॉडलों पर विचार विमर्श किया गया।
सीआईआई उत्तराखंड स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष तथा फॉरेस पॉलीमर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विकास गर्ग ने सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार को दो प्राथमिकताएं निर्धारित करनी चाहिएं, पहली क्षेत्रीय विकास विभाजन पूरा करना और दूसरी मौजूदा उद्योग को विस्तार करने में मदद करना। विकास गर्ग ने सुझाव दिया कि पहाड़ों के विकास के लिए राज्य को कनेक्टिविटी, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और एक पारिस्थितिकी तंत्र जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा, जिससे निजी उद्यम विकसित हों सकें। विकास गर्ग ने व्यापार और निवेशक के अनुकूल जलवायु के महत्व पर बल दिया। विशेष रूप से जीएसटी के बाद के युग में जहां पूरे देश एक बाजार बन गया है राज्यों को निवेश आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी होना पड़ेगा। राज्य में व्यापार करने को आसान बनाने के लिए किए गए सुधारों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि व्यापार को आसान बनाने वाले राज्यों की डीआईपीपी की रैंकिंग में 2015 में उत्तराखंड 23वें स्थान पर था, जो 2016 में 9वें स्थान पर आ गया है। उत्तराखंड को व्यापार करने की आसान बनाने वाले राज्यों की सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए, क्योंकि इससे उद्योग को बड़ा बढ़ावा मिलेगा जो राज्य के जीडीपी का करीब आधा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सुधारों के कार्यान्वयन को मजबूत बनाने की जरूरत है।
सीआईआई उत्तराखंड राज्य परिषद के पूर्व चेयरपर्सन राकेश ओबरॉय ने पहाड़ी क्षेत्र विकास लिए सीआईआई की सिफारिशों को प्रस्तुत करते हुए सीआईआई उत्तराखंड राज्य परिषद ने चार धाम के दोनों ओर 20 से 25 किलोमीटर कोरीडोर और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निर्माण को जरूरी बताया। उन्होंने राज्य की कृषि के लिए भूमि लीज करने को लेकर लाई गई पॉलिसी का स्वागत किया और कहा कि इससे पर्यटन, वेलनेस और एग्रो प्रोसेसिंग क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। पहाड़ियों में काम करने के अपने अनुभवों को साझा करते हुए सीआईआई उत्तराखंड राज्य परिषद के उपाध्यक्ष डॉ विजय धस्माना ने कहा कि पहाड़ी विकास के लिए आर्थिक मॉडल उन उद्योगों पर आधारित होना चाहिए, जो गैर प्रदूषणकारी, कम रसद, उच्च मूल्यवर्धित, क्षेत्रीय संसाधनों और शक्ति पर आधारित स्थानीय समुदाय की आजीविका पैदा करने वाले हों, सेवाक्षेत्र विशेष रूपसे पर्यटन और वेलनेस पहाड़ी अर्थव्यवस्था के इंजन का काम कर सकते हैं।
विशेष प्लैनरी के तहत उत्तराखंड में व्यापार का सरलीकरण करना: मील के पत्थर और आगे की राह विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ, जिसमें उत्तराखंड सरकार की ऊर्जा सचिव राधिका झा, उद्योग महानिदेशक और आयुक्त सौजन्या, उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि, प्रदेश के श्रम आयुक्त आनंद श्रीवास्तव, अंसर्ट एंड यंग के ईओडीबी सेल के सीनियर प्रोजेक्ट कंसल्टेंट कान्हन विजय आदि इसका हिस्सा बने। सम्मेलन के इंटरैक्टिव सत्र ने उद्योग और सरकारी अधिकारियों को एक मंच प्रदान किया, जहां व्यापार को आसान बनाने की प्रक्रिया में भविष्य के सुधारों हेतु विचारों, अनुभवों और सुझावों का आदान प्रदान कर सके। सभी सत्रों में उद्योग, संस्थानों, सरकार, अकादमीय, एनजीओ और मीडिया से 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

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