स्वतंत्र आवाज़
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भाजपा का 'नॉर्थ-ईस्ट' शुभ मंगलकारी सिद्ध!

नरेंद्र मोदी अमित शाह और भाजपा में ग़ज़ब का जोश

कांग्रेस के साथ-साथ वामपंथ का भी हुआ पराभव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 4 March 2018 05:15:41 AM

bjp's massive victory in the northeast

नई दिल्ली। भारत के तीन पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा नागालैंड और मेघालय में भारतीय जनता पार्टी और भाजपा गठबंधन की ऐतिहासिक जीत से भारतीय जनता पार्टी ग़ज़ब के जोश मे है, उसका वास्तु 'नॉर्थ-ईस्ट' शुभ और मंगलकारी सिद्ध हुआ है। जिस प्रकार कांग्रेस के साथ वामपंथ का भी पराभव हुआ है, उससे नकेवल बचेखुचे विपक्ष की हवाईयां उड़ी हैं, अपितु यह भी फिरसे सिद्ध हुआ है कि भारत में नरेंद्र मोदी लहर बदस्तूर कायम है और भारत के बाकी राज्यों में जल्दी ही होने वाले विधानसभा चुनावों में भी नरेंद्र मोदी लहर थमने वाली नहीं है। भारत के इन तीन पूर्वोत्तर राज्यों में इससे पहले भाजपा नहीं थी, मगर त्रिपुरा और नागालैंड में तो उसने वामपंथ के किले ही उड़ा दिए हैं। ग़ौरतलब है कि पूर्वोत्तर भारत से आशय भारत के सर्वाधिक पूर्वी क्षेत्रों से है, जिनसे सात बहनों के नाम से एक साथ जुड़े महत्वपूर्ण राज्य सिक्किम और उत्तरी बंगाल के कुछ इलाके दार्जलिंग जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले भी शामिल हैं।
यद्यपि पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के दूसरे राज्यों से कुछ भिन्न है और भाषाई दृष्टि से तिब्बती बर्मी भाषाओं के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है, इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति भी व्याप्त है जो संस्कृतिकरण के प्रभाव से बची रह गई थी और इसमें विशिष्ट श्रेणी के मान्यता प्राप्त आठ राज्य भी हैं, तथापि यह क्षेत्र भारत की सुरक्षा एकता और अखंडता के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण संवेदनशील और अपरिहार्य माना जाता है। वामपंथ की जड़ें यहां बहुत गहरी हैं और कई क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां चीन की भी दादागिरी चलती है। ऐसेमें पूर्वोत्तर में भाजपा का परचम लहराना और वामपंथ का सफाया होना एशिया की राजनीति में हलचल पैदा कर गया है। भाजपा विरोधी कांग्रेस और चीन पाकिस्तान जैसी जो ताकतें 2019 के लिए भाजपा और नरेंद्र मोदी विरोधी अभियान में लगी हैं, भाजपा को पूर्वोत्तर में मिली इस प्रचंड सफलता से उनकी जैसे कमर ही टूट गई है। माना जा रहा है कि दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी ऐसी ही सफलता देखने को मिल सकेगी। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय संस्था के रूपमें भारत के इन आठ राज्यों के आर्थिक विकास के लिए 1971 में नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल का गठन किया गया था और 9 अगस्त 1995 को नॉर्थ ईस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड और सितम्बर 2001 में उत्तरपूर्वीय क्षेत्र विकास मंत्रालय का गठन किया गया था।
भारत में पूर्वोत्तर की संरचना पर प्रकाश डालें तो उत्तरपूर्वीय राज्यों में सिक्किम 1947 में एक भारतीय संरक्षित राज्य और उसके बाद 1975 में एक पूर्ण राज्य बना। पश्चिम बंगाल में 21 किलोमीटर से 40 किलोमीटर चौड़ा सिलीगुड़ी गलियारा है, जो उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को मुख्य भारतीय भूभाग से जोड़ता है। इसका करीब दो हज़ार किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र नेपाल, चीन, भूटान, बर्मा और बांग्लादेश से लगता है। भारत की स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश शासन ने भारत के उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को असम के एकल राज्य के अंतर्गत वर्गीकृत कर दिया था, बाद में उत्तरपूर्वीय राज्यों को असम के अंतर्गत समूहीकृत करने के विरोध में स्वतंत्र त्रिपुरा कमेटी जैसे कई स्वतंत्रता आंदोलन चलाए गए। बहरहाल 1960-70 के दशक में नागालैंड, मेघालय और मिजोरम राज्यों का गठन हुआ, असम की राजधानी शिलांग से दिसपुर कर दी गई, जो अब गुवाहाटी का एक भाग है। शिलांग को मेघालय की राजधानी बनाया गया। पूर्वोत्तर राज्य कई जातीय समूहों की भूमि है। यहां के कुछ क्षेत्रीय सत्ता और जातीय संघर्षों ने हिंसक रूप भी ले लिया है, जिसके फलस्वरूप उल्फा, एनएलएफटी, एनडीएफबी और एनएससीएन जैसे सशस्त्र विद्रोही समूह अस्तित्व में आए और बिखर गए। भारत-चीन युद्ध के बाद भारत सरकार यहां सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिए हैं।
ब्रिटिश शासनकाल में अधिकांश क्षेत्र भारत की मुख्यधारा में शामिल किए गए थे जैसे-उत्तरपूर्व में असम, मणिपुर और त्रिपुरा और उत्तरपश्चिम में बलूचिस्तान तथा उत्तरपश्चिम सीमांत प्रदेश, मगर 1947 में आज़ादी मिलने के बाद भारतीय राज्यों और राजनीतिक प्रणालियों का विस्तार एक चुनौती बना रहा है। अरुणाचल प्रदेश के अधिकांश भाग पर चीन दावा करता है। सन् 1962 में भारत-चीन युद्ध के कारण युद्ध के कारणों को लेकर अब भी भारत और चीन में विवाद है, भारत में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद अरुणाचल प्रदेश में भारत काफी मजबूत हुआ है और अब चीन का तवांग पर दावा भी कमजोर पड़ता दिख रहा है, भारत की दृढ़ता के चीन को डोकलाम में मुंह की खानी पड़ी, यह तो हाल ही की घटना है, जिसे विश्व समुदाय ने कौतुहल से देखा। भारत का यह पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी अनूठी संस्कृति, हस्तशिल्प, मार्शल आर्ट और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। अध्ययनों से यह प्रकट हुआ है कि विकास के मामले में यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में पिछड़ा हुआ है।
पूर्वोत्तर में भाजपा की प्रचंड जीत पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के केंद्रीय कार्यालय पर एक प्रेस वार्ता की और त्रिपुरा नागालैंड और मेघालय में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की ऐतिहासिक जीत के लिए तीनों राज्यों की जनता का हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस मौके पर त्रिपुरा में कम्युनिस्ट हिंसा में शहीद हुए भाजपा के 9 कार्यकर्ताओं को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने तीनों प्रदेशों के भाजपा अध्यक्षों बिप्लब देब, विसासोली लहोनगु, शिबुन लिंगदोह और प्रभारी राम माधव, सुनील देवधर, हेमंत बिस्वसर्मा, नलिन कोहली, किरिन रिजीजू और अलफोंस को उनके अथक परिश्रम के लिए बधाई दी। अमित शाह ने कहा कि उत्तर-पूर्व में भाजपा की यह जीत भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए कई मायनों में काफी हर्ष का विषय है, ऐतिहासिक जीत से यह स्पष्ट है कि नार्थ-ईस्ट की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को शाबासी दी है और नरेंद्र मोदी सरकार की उत्तर-पूर्व की विकास की नीति पर मुहर लगाई है। अमित शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी एवं सहयोगियों की देश के 21 राज्यों में सरकारें हैं और देश के बहुत बड़े भू-भाग व आबादी पर भाजपा का शासन है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र भाई मोदी ने देश की जनता से कहा था कि भारत के सर्वांगीण विकास के लिए देश के पश्चिमी हिस्से की तरह ही उत्तर-पूर्वी भाग का भी विकास होना चाहिए, उन्होंने कहा था कि यदि देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है तो उत्तर-पूर्वी हिस्से का विकास सरकार की मुख्य प्राथमिकता होगी। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद नरेंद्रभाई मोदी ने उत्तर-पूर्व के विकास के लिए एक्ट ईस्ट पॉलिसी को एक्टिव किया, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बाद शिलांग में नार्थ-ईस्ट काउंसिल की रेगुलर मीटिंग का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में हर 15 दिन में केंद्र सरकार के कोई न कोई मंत्री उत्तर-पूर्व के किसी न किसी राज्य में विकास कार्यक्रमों को लेकर दौरा करते हैं और विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि नार्थ-ईस्ट के विकास के लिए पैसा तो पहले भी आवंटित हुआ करता था, लेकिन मोदी सरकार की सफल नीति के कारण पैसा विकास में परिवर्तित होने लगा और उत्तर-पूर्व के अंतिम व्यक्ति तक विकास को पहुंचाने में हमें सफलता मिली।
अमित शाह ने कहा कि त्रिपुरा में पिछली बार भारतीय जनता पार्टी को केवल 1.3 प्रतिशत वोट मिला था, भाजपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी, यहां तक कि केवल एक सीट पर ही भाजपा की जमानत बची थी, लेकिन आज भाजपा गठबंधन को त्रिपुरा में 43 सीटों के साथ दो-तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ है और भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि आज एनडीए त्रिपुरा में 50 प्रतिशत के वोट को भी क्रॉस कर गया है, गुजरात हिमाचल प्रदेश के बाद त्रिपुरा लगातार ऐसा तीसरा राज्य है, जहां भारतीय जनता पार्टी को 49 से 50 प्रतिशत वोट मिले हैं, भारतीय जनता पार्टी के लिए यह एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भाजपा कार्यकर्ताओं ने वामपंथी हिंसा का डट कर सामना किया, हमारे कई कार्यकर्ता शहीद हुए, लेकिन बिना झुके हुए कार्यकर्ताओं ने हर बूथ पर अथक परिश्रम किया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने त्रिपुरा में चलो पलटाई का नारा दिया था और त्रिपुरा की जनता ने इसे आत्मसात करते हुए आज भाजपा को दो-तिहाई बहुमत के साथ भव्य जनादेश दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को भले ही अकेले दम पर त्रिपुरा में पूर्ण बहुमत मिला है, लेकिन हम अपनी परंपरा के अनुसार अपने सहयोगी के साथ सरकार चलाएंगे।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि नागालैंड में पिछली बार भाजपा को 2 प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे और केवल एक सीट पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा को 11 सीटें मिल रही हैं, एनडीए को प्रदेश में लगभग 40 प्रतिशत वोट मिले हैं, मेघालय में भी कांग्रेस के कुशासन के खिलाफ परिवर्तन का जनादेश दिखाई दे रहा है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर-पूर्व के तीनों राज्यों के चुनाव नतीजे आने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव परिणाम के द्योतक हैं। उन्होंने कहा कि एक ज़माना था, जब भारतीय जनता पार्टी केवल हिंदी भाषी क्षेत्र की पार्टी मानी जाती थी, जबकि आज लद्दाख, केरल, कोहिमा से लेकर कच्छ और जम्मू-कश्मीर तक भाजपा की प्रभावी उपस्थिति है और कई गैर-हिंदी भाषी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं। उन्होंने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी का अखिल भारतीय स्वरूप दुनिया के सामने है, त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत का सबसे ज्यादा आनंद पश्चिम बंगाल और केरल के कार्यकर्ताओं को हो रहा है, क्योंकि उन्होंने वर्षों तक वामदलों की हिंसा की राजनीति को झेला है, हमारे कई कार्यकर्ताओं ने अपनी आहुति दी हैं। उन्होंने कहा कि लेफ्ट भारत के किसी भी हिस्से के लिए राइट नहीं है, देश में वामदलों की प्रासंगिकता अब खत्म हो चुकी है।

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