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भारत-इजरायल का रिश्ता और भी मजबूत

विघटनकारी ताकतें नहीं चाहतीं भारत-इजरायल संबंध

भारत-इजरायल संबंधों पर नमस्ते शैलोम पत्रिका लांच

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 5 March 2018 12:50:29 PM

social media releases namaste shalom, a magazine on indo-israel relations

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत और इजरायल संबंधों को समर्पित एक पत्रिका 'नमस्ते शैलोम' के सोशल मीडिया लांच में भाग लिया और कहा कि भारत और इजरायल के बीच एक प्राकृतिक रिश्ता है, जो समृद्ध सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को साझा करते हैं, यह रिश्ता और भी गहरा एवं मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने पूर्व में बड़ी कठिनाइयों और फिर सफलताओं को देखा है। इस अवसर पर होली का त्यौहार और यहूदियों का पुरीम त्यौहार एक ही दिन मनाया गया। नमस्ते शैलोम पत्रिका के संपादक पूर्व सांसद तरुण विजय हैं, जो संघ एवं हिंदूवादी और सामाजिक लेखन से जुड़े रहे हैं। कार्यक्रम में भारत में इजरायल के राजदूत डैनियल कारमोन और गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल की यात्रा से दोनों देशों के बीच मजबूत और गहरे रिश्तों की पुष्टि हुई है। उन्होंने घोषणा की कि 7 मार्च को मिजोरम में इजरायल की विशेषज्ञता के सहयोग से एक खाद्य प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, इजरायल की सरकार एवं मिजोरम सरकार के सहयोग से एक त्रिपक्षीय परियोजना होगी। उन्होंने कहा कि हालांकि यह परियोजना मिजोरम में स्थापित की जा रही है, लेकिन इससे पूरे उत्तर पूर्व की जरुरतों की पूर्ति होगी। गौरतलब है कि करीब सत्तर साल बाद भारत और इजरायल एक-दूसरे के करीब आए हैं, जिनके ऐतिहासिक रिश्ते हैं, मगर भारत की पूर्व सरकारें मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण इजरायल से दूरी बनाए हुए थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल जाकर और इजरायल के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतेन्याहू ने भारत आकर हर अवस्‍था में सदैव एक-दूसरे के साथ रहने का वचन लिया है और इसी के साथ भारत-इजरायल के नए युग की शुरूआत हुई है। नमस्ते शैलोम पत्रिका इन संबंधों की गहराईयों पर प्रकाश डालती है। पत्रिका ने लिखा कि दोनों देशों के लिए यह संबंध कितने महत्वपूर्ण हैं। यह पहला मौका है, जब भारत की नहीं, बल्कि एशिया और दुनिया की नई पीढ़ी को भारत-इजरायल के गहरे ऐतिहासिक संबंधों का सही से पता चला है। भारत में करीब बाईस करोड़ मुसलमान हैं, जिनमें कुछ इस्लामिक ज़ेहादी विघटनकारी शक्तियां नहीं चाहतीं कि भारत-इजरायल में कोई भी संबंध हों, क्योंकि इजरायल की फिलीस्तीनी मुसलमानों से शत्रुता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनकी चिंता किए बिना इजरायल से संबंध गहरे किए हैं और मुस्लिम तुष्टिकरण को करारा जवाब ‌दिया है।

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