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Thursday 15 March 2018 12:09:37 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने विभिन्न देशों के पुलिस बलों और सुरक्षा एजेंसियों से साइबर अपराधों से उत्पन्न खतरों से निपटने में सहयोग का आह्वान किया है। पुलिस प्रमुखों के अंतरराष्ट्रीय संघ के दो दिवसीय एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन में गृहमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में साइबर निर्भरता का चलन काफी बढ़ चुका है, इसने नागरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों के खतरे बढ़ाए हैं। गृहमंत्री ने कहा कि साइबर अपराधों और आतंकवाद से निपटने में साइबर स्पेस का इस्तेमाल करने के तौरतरीकों और इसके फायदों तथा पुलिसबलों के समक्ष रोज़ आ रही नई चुनौतियों के नज़रिए से सम्मेलन का विषय '2020 पुलिस के समक्ष चुनौतियां' बेहद प्रासंगिक और उपयुक्त है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उपर्युक्त विषय की पृष्ठभूमि में इंटरनेट से जुड़े ख़तरों, साइबर सुरक्षा, साइबर अपराध जैसे कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं, जो इस दौर में बेहद प्रासंगिक हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सम्मेलन के विषय पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि आज इंटरनेट संचार का एक पसंदीदा माध्यम बन चुका है। वित्तीय लेनदेन और सामाजिक गतिविधियों के आधार के रूप में विकसित हुआ यह माध्यम आज लोगों और सरकार के बीच संपर्क का काम कर रहा है। इंटरनेट की सशक्त जन पहुंच क्षमता ने डिज़िटल प्रोग्राम विकसित करने के लिए दुनियाभर में कई सरकारों को प्रेरित किया है, इसी क्रम में भारत सरकार ने भी अपने नागरिकों के लिए कई क्षेत्रों में डिजिटल आधारित सेवाएं प्रदान की हैं और डिज़टलीकरण को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी की इस दुनिया में कंप्यूटर आधारित तकनीकों का इस्तेमाल गृह सुरक्षा प्रणाली से लेकर जटिल परमाणु ऊर्जा संयंत्रों या अंतरिक्ष कार्यक्रमों तक की गतिविधियों में किया जा रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि साइबर निर्भरता बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है, इसने नागरिक और सैन्य दोनों तरह के प्रतिष्ठानों पर हमले के खतरों को भी बढ़ा दिया है, नेटवर्क आउटेज, हैकरों द्वारा डेटा की सेंधमारी, कंप्यूटरों में गड़बड़ी करने वाले मैलवेयर और ऐसी ही कई अन्य साइबर घटनाओं और अपराधों ने लोगों के जीवन तक को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि कंप्यूटरों और मोबाइलों का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ने तथा डिजिटल एप्लिकेशन और डेटा नेटवर्क के दिन-प्रतिदिन हो रहे विस्तार से इनके ग़लत इस्तेमाल के ख़तरे भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें, रक्षाबल, निगम, वित्तीय संस्थान, जनसेवाएं, अस्पताल और अन्य व्यवसाय अपनी कंप्यूटर प्रणाली पर बड़ी तादाद में संवेदनशील सूचनाओं को संग्रहित करने और नेटवर्क पर इन्हें प्रसारित करने का काम करते हैं, साइबर हमलों की बढ़ती तादाद और इनकी नित नई तकनीक से सबके लिए अपनी संवेदनशील सूचनाओं तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को बचाना जरुरी हो गया है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे भी ज्यादा जोखिम भरे साइबर खतरे और भी हैं, जिनमें वायरस, क्ंप्यूटर प्रणाली में सेंधमारी, डेटा चेारी तथा क्रेडिट कार्ड से संबंधित गोपनीय जानकारी चुराने जैसी बातें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से सर्वाधिक सावधानी बरते जाने के बावजूद इस तरह के अपराधों से बचाव के लिए सौ फीसदी पुख्ता कोई व्यवस्था नहीं है, पर ऐसे कुछ उपाय जरुर हैं, जिससे इन ख़तरों से बहुत हद तक बचा जा सकता है। गृहमंत्री ने कहा कि साइबर अपराध एक उद्योग बन चुका है और यही वजह है कि अपराध की नई तकनीक और उपकरण बाज़ार में चोरी-छिपे बिकने लगे हैं, इससे सबसे ज्यादा खतरा वित्तीय ऑनलाइन सेवाओं को है, क्योंकि इनके लिए पुख्ता सुरक्षा प्रणाली अभी तक विकसित नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध अंतरराष्ट्रीय रूप ले चुका है, जो वुर्चुअल करेंसी, डार्क नेट, ऑनियन राउटर और अत्याधुनिक मालवेयर जैसे उत्पादों के रूपमें सामने आ रहा है, पुलिस को इन चुनौतियों से निपटना है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवादी समूहों का अपने कट्टरपंथी विचारों के प्रसार के लिए कंप्यूटर की ऑनलाइन सेवाओं का इस्तेमाल एक बेहद संगीन मुद्दा है, जिसपर पुलिसबलों को खास ध्यान देना है, इंटरनेट पर कट्टरपंथी सोच से जुड़ी सामग्री की उपलब्धता समाज और मानवता के लिए बेहद खतरनाक बन सकती है, इस परिप्रेक्षय में पुलिस के समक्ष कानून व्यवस्था बनाए रखने, साइबर अपराधों तथा आतंकवाद से निपटने की तीन बड़ी चुनौती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार इस बारे में दुनिया के सभी देशेां के साथ मिलकर उचित कदम उठा रही है और साइबर अपराधों एवं आतंकवाद से निपटने के लिए एक ऐसी पुख्ता व्यवस्था बनानी होगी, जो विश्वसनीय हो और लोगों में भरोसा पैदा कर सके।
गृहमंत्री ने कहा कि जिसे यह काम करना है, उस पुलिस की छवि ही आज सवालों घेरे में है, खासतौर से महिलाएं, समाज के कमजोर वर्ग, ग़रीब और अल्पसंख्यक पुलिस पर भरोसा नहीं करते, पुलिस को अपनी यह छवि सुधारनी होगी। गृहमंत्री ने उम्मीद जताई कि सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं से कुछ ऐसे सुझाव प्राप्त होंगे, जिनसे साइबर अपराधों और आतंकवाद के ख़तरों से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि संरक्षा और सुरक्षा दो ऐसे विषय हैं, जिन्हें लेकर पूरा विश्व चिंतित है, कोई भी विकास शांति और सुरक्षा की स्थितियों के बगैर संभव नहीं है। उन्होंने सम्मेलन के आयोजन के लिए पुलिस अधिकारियों और प्रतिभागियों का आभार जताया।