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यूनीकोड फॉंट पर जागरुकता व प्रशिक्षण जरूरी

प्रकाशकों से राजभाषा हिंदी के कार्यांवयन पर विचार-विमर्श

राजभाषा विभाग की पत्रिका राजभाषा भारती का विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 27 March 2018 03:03:23 PM

discussion on the implementation of official language hindi

नई दिल्‍ली। भारत सरकार में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में प्रकाशकों के साथ राजभाषा हिंदी के टंकण एवं मुद्रण संबंधी तकनीकी समस्‍याओं पर विचार-विमर्श किया गया, जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य प्रकाशकों द्वारा हिंदी फॉंट, हिंदी सॉफ्टवेयर संबंधी समस्‍याओं का निराकरण करना था, जिसे गूगल या माइक्रोसॉफ्ट तथा सी-डेक इत्‍यादि संस्‍थाओं के सहयोग से किया जाएगा। जयसिंह रोड नई दिल्‍ली एनडीएमसी कंवेंशन सेंटर में हुए इस कार्यक्रम की अध्‍यक्षता राजभाषा विभाग के सचिव प्रभास कुमार झा ने की। प्रभास कुमार झा ने इस अवसर पर कहा कि अंग्रेजी की तुलना में हिंदी कंटेंट बहुत कम है, जिसका प्रमुख कारण हिंदी के विभिन्‍न सॉफ्टवेयरों में आपसी तालमेल की कमी है, जिसपर हम सबको मिलकर काम करना होगा।
राजभाषा विभाग के सचिव प्रभास कुमार झा ने कहा कि एक फॉंट से दूसरे फॉंट में कंवर्ट करते समय भाषा का स्‍वरूप बिगड़ जाता है, इसलिए समय की मांग है कि एक ऐसा कंवर्जर तैयार किया जाए, जो विभिन्‍न फॉंटों को एक-दूसरे में परिवर्तित करने में सहायक हो सके। वाणी प्रकाशन के अरुण महेश्‍वरी ने कहा कि जब तकनीक के साथ हिंदी में कार्य करने की बात आती है तो सबसे बड़ी समस्‍या यह होती है कि पेजमेकर जैसे सॉफ्टवेयर के साथ यूनीकोड फॉंट को सपोर्ट करना संभव नहीं हो पाता है, जिसके कारण यूनीकोड में प्राप्‍त प्रिंटिंग सामग्री को पुन: टाइप करना पड़ता है। उनका कहना था कि प्रकाशकों को यूनीकोड आदि की पर्याप्‍त जानकारी न होना भी एक बड़ी समस्‍या है, जिसपर सरकार की ओर से पहल करते हुए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
माइक्रोसॉफ्ट के निदेशक बालेंदु ने कार्यक्रम में यूनीकोड की वर्तमान समय में उपयोगिता और साथर्कता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यूनीकोड में अनेक विशेषताएं हैं, जिनके बारे में लोगों को जागरुक करने की आवश्‍यकता है। राजभाषा विभाग के संयुक्‍त सचिव डॉ बिपिन बिहारी और केंद्र सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। राजभाषा विभाग के संयुक्‍त सचिव डॉ बिपिन बिहारी ने कहा कि राजभाषा विभाग इस तरह का आयोजन पहलीबार कर रहा है, जिसमें प्रकाशकों से सीधे संवाद कर राजभाषा कार्यांवयन संबंधी आने वाली समस्‍याओं पर चर्चा की जा रही है।
डॉ बिपिन बिहारी ने कहा कि इस आयोजन से न सिर्फ राजभाषा संबंधी कार्यों को गति मिलेगी, बल्कि हिंदी का बाज़ार भी सशक्‍त होगा। उनका कहना था कि आयोजन का मुख्‍य उद्देश्‍य पाठकों तक प्रचुर मात्रा में हिंदी कंटेंट उपलब्‍ध कराना है। कार्यक्रम में केंद्रीय हिंदी संस्‍थान के निदेशक नंद किशोर पांडेय ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की पत्रिका राजभाषा भारती के 153वें अंक का विमोचन किया गया, इसका प्रकाशन 40 वर्ष से किया जा रहा है। राजभाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण मानी जाने वाली यह पत्रिका केंद्र सरकार के कार्यालयों को नि:शुल्‍क प्रेषित की जाती है।

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