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Tuesday 27 March 2018 04:22:01 PM
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और भारतीय विदेश मंत्रालय ने ‘मेजबान देश समझौते’ पर हस्ताक्षर किए। गौरतलब है कि इस समझौते से आईएसए को न्यायिक विशिष्टता प्राप्त हो गई है और इसके फलस्वरूप इसे अनुबंध करने, चल एवं अचल संपत्तियों को अधिग्रहीत, उनका निपटारा करने, कानूनी कार्रवाई को संस्थागत स्वरूप प्रदान करने और इसका बचाव करने का अधिकार मिल गया है। समझौते के तहत आईएसए को वे विशेषाधिकार, मान्य कर रियायतें तथा उन्मुक्ति प्राप्त होंगी, जो आईएसए के मुख्यालय के अपने कार्यक्रमों के साथ-साथ विभिन्न दायित्वों का स्वतंत्रतापूर्वक निर्वहन करने के लिए आवश्यक हैं। आईएसए को अपना दर्जा, विशेषाधिकार तथा उन्मुक्ति फ्रेमवर्क समझौते के अनुच्छेद 10 के तहत प्राप्त होगा।
भारत सरकार में विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और आईएसए के अंतरिम महानिदेशक उपेंद्र त्रिपाठी ने केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए। आरके सिंह ने इस अवसर पर कहा कि आईएसए में विश्व के विकास प्रतिमान को बदलने की असीम क्षमता है। उन्होंने कहा कि अल्पविकसित उष्णकटिबंधीय देशों को ऊर्जा अब रियायती दरों पर अपेक्षाकृत ज्यादा आसान तरीके से उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि अनेक देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के अनुभवों से सीखने में दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने कहा कि देश के उद्योगजगत को इन देशों में जाने और वहां इससे संबंधित बुनियादी ढांचा स्थापित करने की जरूरत है।
जनरल वीके सिंह ने कहा कि आईएसए को सोलर या सौर क्षेत्र में 1000 अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा का निवेश जुटाने और 1000 गीगावाट से भी ज्यादा सौर क्षमता स्थापित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आईएसए को कई और बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय दानदाता एजेंसियों से वित्तीय साझेदारियां करने की जरूरत है। उपेंद्र त्रिपाठी ने मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताई और भारत सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग के लिए उसका धन्यवाद किया। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव, विदेश मंत्रालय में सचिव (ईआर) एवं गणमान्य व्यक्ति भी इस दौरान उपस्थित थे।