स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 01 March 2013 05:20:48 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा भू-विज्ञान मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने देश के वैज्ञानिक समुदाय से भारत की खाद्य सुरक्षा में विज्ञान के योगदान के लिए कार्य करने को कहा है। रेड्डी कल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के समारोह में बोल रहे थे। यह दिवस नोबल पुरस्कार विजेता प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ सीवी रमन के कार्यों को सम्मानित करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। जयपाल रेड्डी ने कहा कि यदि 8 बिलियन लोगों की वैश्विक आबादी को पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध कराना हो तथा उसका पोषण स्तर निश्चित करना हो तो उसके लिए कृषि तकनीकों में बड़े स्तर पर रूपांतरण की ज़रूरत है। भारत की खाद्य सुरक्षा में विज्ञान का योगदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें प्रासंगिकता और उत्कृष्टता को एक साथ मिलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए कारगर ढांचागत सुविधाएं बनाने की भी आवश्यकता है।
जयपाल रेड्डी ने कहा कि 2050 में 1.5 बिलियन की अनुमानित आबादी को अनाज उपलब्ध कराने के लिए भारत को प्रति वर्ष लगभग 350-400 मिलियन टन का खाद्यान्न उत्पादकता बढ़ाने की ज़रूरत होगी। देश के सभी वैज्ञानिकों के लिए यह चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमें इसमें नई तकनीक और नवाचार की आवश्यकता है। रेड्डी ने इस अवसर पर तीन संदेश दिए-वैज्ञानिक दायरे में प्रासंगिकता और उत्कृष्टता को मिलाने का प्रयास। वर्ष 2035 के लिए भारत की खाद्य सुरक्षा में विज्ञान के योगदान के संबंध में रोड मैप बनाना तथा विकसित करना। विज्ञान के क्षेत्र में सार्वजनिक और राजनीतिक समझ में सुधार के लिए उपुक्त विज्ञान संचारकों को प्रशिक्षित तथा प्रोत्साहित करना।
इस मौके पर राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार पुरस्कार भी प्रदान किए गए। 2012 के लिए कोलकाता के प्रोफेसर स्यामल चक्रबर्ती और इम्फाल के जी तोम्बा शर्मा को प्रिंट मीडिया के जरिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। बच्चों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के लिए पिथौरागढ़ के पिपल्स एसोसिएशन ऑफ हिल एरिया लांचर को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।