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Thursday 29 March 2018 01:00:09 PM
नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित यानी नेफेड ने अपने आठ लेनदार बैंकों के साथ एकमुश्त समाधान समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के अंतर्गत नेफेड ने 220 करोड़ रुपये नगद और 254 करोड़ रुपये पर आंकी हुई लारेंस रोड नई दिल्ली में संपत्ति को बैंकों को हस्तांतरित किया है। नेफेड ने अपने देनदार कंपनी के अंधेरी मुंबई में मेगा माल की कुछ दुकानों का भी नीलामी अधिकार हस्तांतरित किया है। समझौते पर बैंकों की ओर से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के उपमहाप्रबंधक और नेफेड के अपर प्रबंधक निदेशक ने हस्ताक्षर किए हैं। गौरतलब है कि नेफेड का 2003-05 के दौरान कुछ विवादित व्यवसाय में पैसा फंस गया था। कुछ निजी क्षेत्र की पार्टियों ने नेफेड को पैसा नहीं लौटाया, जिसका खामियाजा नेफेड को ब्याज देकर चुकाना पड़ता रहा है।
नेफेड वर्ष 2011-12 में वित्तीय संसाधन की कमी के कारण आगे ब्याज का भुगतान नहीं कर पाया, जिसके कारण बैंकों ने नेफेड के खातों को सील कर दिया था। तत्पश्चात नेफेड को सरकारी व्यवसाय करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। इसी बीच लेनदार बैंकों ने नेफेड पर कानूनी कार्रवाई कर दी थी, जिससे इस सहकारी संस्था और भारत सरकार को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। नेफेड भारत सरकार की मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत तिलहन, दलहन की शीर्ष एजेंसी है। इन योजनाओं के तहत नेफेड किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि जिंसों की खरीदी व्यवस्था करता है, जिससे किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके। भारत सरकार इन स्कीमों के संचालन हेतु नेफेड को सरकारी गारंटी मुहैया कराती है, जिस के आधार पर बैंक नेफेड को ऋण मुहैया करती है, परंतु इस तत्कालिक ऋण जाल के कारण नेफेड को सहज तरीके से बैंकों से पैसा नहीं मिल पाता था, लेकिन अब समझौते से इसका निराकरण हो सकेगा, अब नेफेड को न्यूनतम दर पर बैंकों से पैसा आसानी से मिल सकेगा, जिससे नेफेड किसानों की सेवा कर सकेगा।
नेफेड के वित्तीय पुनरुत्थान के लिए वर्ष 2015 में कृषि मंत्रालय में एक उच्चस्तरीयसमिति का गठन हुआ था, जिसने 27 जनवरी 2016 को बैंकों से विचार-विमर्श के पश्चात 478 करोड़ रुपये पर एकमुश्त समझौता किया था, जिसमें नेफेड को अपनी 17 परिसंपत्तियों को भारत सरकार के पक्ष में रखना था, इसके एवज में नेफेड को प्रशासनिक खर्चे हेतु 30 करोड़ रुपये का वार्षिक अनुदान तथा 478 करोड़ रुपये बैंकों को देने हेतु देना था। समझौते का क्रियांवयन होने में थोड़ा वक्त लगा और 27 दिसंबर 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक की गई, जिसमें समझौते के प्रारूप को तय किया गया। नेफेड ने अपने लेनदार बैंकों के साथ समझौते का क्रियांवयन किया है, ताकि नेफेड और लेनदार बैंकों के बीच पुन: सामंजस्य कायम हो सके। इस मौके पर नेफेड के अध्यक्ष और वरिष्ठ निदेशक मौजूद थे।
नेफेड के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, केंद्रीय वित्तमंत्री और कृषि और किसान कल्याण के राज्यमंत्री, भारत सरकार के कृषि सचिव, बैंकिग सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को धन्यवाद दिया है, जिन्होंने नेफेड के पुनरुत्थान के लिए सहयोग किया है। उन्होंने भरोसा दिया है कि भविष्य में इस प्रकार के कार्यकलाप की पुनरावृति नहीं होगी और नेफेड भारत सरकार के निर्देशानुसार किसानों की सेवा करता रहेगा। इस निपटारे ने संघ और सहकारी क्षेत्र में सामान्य रूपसे अपने कर्मचारियों को काफी राहत दिलाई है। प्रबंध निदेशक नेफेड ने भी भारत सरकार और लेनदार बैंकों को धन्यवाद दिया है।