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Saturday 31 March 2018 01:56:23 PM
नई दिल्ली। ग्रेच्युटी का भुगतान संशोधन अधिनियम 2018 लागू हो चुका है। गौरतलब है कि ग्रेच्युटी के भुगतान संशोधन अधिनियम 2018 को लोकसभा ने 15 मार्च 2018 और राज्यसभा ने 22 मार्च 2018 को पारित कर दिया था, जो 29 मार्च 2018 से देशभर में लागू हो चुका है। ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम 1972 उन सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जिसमें 10 या इससे अधिक कर्मी होते हैं। इस कानून का मुख्य उद्देश्य कामगारों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, चाहे यह सेवानिवृत्ति की वजह से हो या शारीरिक अपंगता या फिर शरीर के किसी महत्वपूर्ण अंग के काम करना बंद करने की वजह से हो। इस प्रकार ग्रेच्युटी का संशोधन अधिनियम 1972 उद्योगों, कारखानों और प्रतिष्ठानों में काम करने वाली जनता की सामाजिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है।
ग्रेच्युटी के संशोधन अधिनियम 1972 के तहत ग्रेच्युटी के भुगतान की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये थी, लेकिन सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के मामले में इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है, इसलिए निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों के लिए भी महंगाई और वेतन में वृद्धि को देखते हुए सरकार ने तय किया कि, जो कर्मी ग्रेच्यटी का भुगतान कानून 1972 के दायरे में हैं, उनके लिए भी अधिकतम भुगतान की सीमा को परिवर्तित किया जाना चाहिए, इसलिए सरकार ने ग्रेच्युटी का भुगतान कानून 1972 में संशोधन की प्रक्रिया आरंभ की, ताकि अधिकतम सीमा को केंद्र सरकार बढ़ा सके और अब सरकार ने 20 लाख रुपये की अधिकतम सीमा को अधिसूचित कर दिया है।
भारत सरकार ने महिला कर्मियों के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए निरंतर सेवा में रहने की परिभाषा को भी बदला है और अब इसे 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है। संसद के दोनों सदनों ने इसे पारित कर दिया है। राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दे दी है और सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है। यह निजी क्षेत्र और सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उन कर्मियों के बीच समानता स्थापित करेगा, जोकि सीसीएस (पेंशन) अधिनियम के दायरे के बाहर थे। ये कर्मचारी भी सरकारी क्षेत्र के अपने समकक्षों के समान ज्यादा ग्रेच्युटी के भुगतान के हकदार होंगे।