स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 01 March 2013 06:23:32 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत ने कहा है कि देश व प्रदेश में बच्चियों के जन्म का अनुपात तथा उनकी स्वास्थ्य रक्षा एक बड़ी चुनौती है, परिवार एवं समाज में लड़कियों के प्रति धारणा को बदलना होगा तथा उनके अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा, कस्बों और शहरों में कन्या भ्रूण हत्या को कड़ाई से रोकना होगा, साथ ही प्रत्येक बच्ची के जन्म का पंजीकरण कराना तथा उनमें व्याप्त कुपोषण को दूर करना होगा।
सदाकांत ने यह बातें कुर्सी रोड स्थित निपसिड के सभागार में शिशु लिंग अनुपात में सुधार हेतु क्षेत्रीय परामर्श विषयक एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के बाद कहीं। उन्होंने कहा कि जहां पर महिलाओं का सम्मान होगा, वहां कन्या भ्रूण हत्या का अनुपात कम होगा, आज के विचार-विमर्श से यह तथ्य निकलकर आया है कि इस क्षेत्र में प्रचार-प्रसार की बहुत आवश्यकता है, इस बात को प्राथमिकता दी जाए कि हर व्यक्ति इस बात को जान सके। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में बच्चियों को बचाने का प्रयास चल रहा है, चाहे वह चिकित्सक स्तर पर हो या परिवार या किसी भी स्तर पर हो, इस पर हर स्तर से कड़ाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लड़कियों को बढ़ावा देने हेतु कन्या विद्याधन दिया जा रहा है, ताकि बच्चियों को उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित किया जा सके। पढ़ी लिखी बच्ची एक अच्छी मां साबित होगी।
इस अवसर पर उपस्थित भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास सचिव प्रेम नारायन ने कहा कि समाज में व्याप्त महिलाओं के प्रति भेदभाव को खत्म करने की जरूरत है, उन्हें हर कदम पर बराबरी का अधिकार देना होगा। बच्चियों के माता-पिता को सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ उनके जीवन की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना होगा। प्रेम नारायण ने कहा कि महिलाएं सभ्य समाज के विकास की धुरी हैं, अतः वे सभी सुविधाओं की हकदार हैं। उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श में तरह-तरह की सोच निकलकर सामने आई है। नई सोच से हम सबको इस क्षेत्र में कार्य करने में सफलता हासिल होगी।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2011 में देश का लिंगानुपात 940-1000 तथा 0.6 वर्ष के बीच की आयु में 914 था। जिसमें शहरों की 902 तथा गांव-देहात का 919है। उत्तर प्रदेश का लिंगानुपात 899, गुजरात का 886, जम्मू कश्मीर का 859, हरियाणा का 830 था। देश के 640 जिलों में से 461 जिलों का जन्मानुपात काफी कम है, जिसमें हरियाणा में 0.6 वर्ष के बच्चों का लिंगानुपात 774-1000 है, जो बच्ची नहीं तो संसार नहीं को चरितार्थ करता है।
कार्यशाला में अपर सचिव एवं योजना निदेशक, कुमारी रत्ना प्रभा, रश्मि सिंह अधिशासी निदेशक एनएम ईडब्लू एमडब्लू सीडी के साथ विभिन्न क्षेत्रों से आये डॉक्टर झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष, महिला एवं बाल विकास से जुड़े अधिकारी व एनजीओ के सदस्य आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।