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Monday 9 April 2018 05:21:15 PM
कोनाक्री/ नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर इक्वेटोरियल गिनी पहुंचे, जहां उनका शानदार स्वागत किया गया। उनके साथ उनकी पत्नी सविता कोविद और मंत्रिमंडल के अधिकारी भी हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने इस अवसर पर इक्वेटोरियल गिनी की संसद को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत, अफ्रीकी देशों के विकास में सहयोग हेतु सदैव तत्पर है और वह अफ्रीकी देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्तों को और अधिक महत्व देते हुए उन्हें सुदृढ़ करना चाहता है। रामनाथ कोविद ने कहा कि जुलाई 2017 में राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद उनकी तीन सरकारी यात्राएं अफ्रीका की रही हैं, जो भारत के अफ्रीकी महाद्वीप के साथ निकट और स्थायी संबंधों को स्वीकृति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इक्वेटोरियल गिनी और भारत ने गुणों और चुनौतियों को आपस में बांटा है, इक्वेटोरियल गिनी अफ्रीका की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक का प्रतिनिधित्व करता है और भारत अपनी विकास प्राथमिकताओं और कार्यविधि के अनुसार इक्वेटोरियल गिनी को सहयोग देने के लिए तैयार है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और इक्वेटोरियल गिनी अपनी अर्थव्यवस्था को तेल और गैस क्षेत्र से भिन्न करना चाहता है, किंतु वह भारत को अपने विश्वसनीय सहयोगी के रूपमें देखता है। रामनाथ कोविद ने कहा कि भारत और गिनी कृषि और खनन, मत्स्य पालन और सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य प्रसंस्करण और दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं, भारत के भूवैज्ञानिक प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण और मैपिंग में इक्वेटोरियल गिनी के तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता कर सकते हैं, भारत के कृषि से जुड़े तकनीकी वैज्ञानिक किसी विशेष खेत अथवा किसी विशेष कृषि क्षेत्र की मिट्टी की संरचना का विश्लेषण कर सकते हैं, इस जानकारी से किसानों को मिट्टी के लिए सही पोषक तत्व की पहचान करने में मदद मिलेगी और उत्पादकता में सुधार होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि इक्वेटोरियल गिनी-भारत की सहभागिता दोनों देशों के लिए है, लेकिन यह साझेदारी विश्व के लिए भी है। उन्होंने कहा कि समुद्रीय सोसाइटियां होने के नाते हम अपने महासागर की रक्षा और सुरक्षा के प्रति सजग हैं। रामनाथ कोविद ने कहा कि समुद्री संचालन प्रणाली के लिए पारदर्शी और नियम आधारित व्यवस्था की लगातार जरूरत है, अटलांटिक और हिंद महासागर बहनें हैं, इनकी महासागर संबंधी प्रणालियां और उनकी सुरक्षा चुनौतियां तथा अक्सर मानवीय आपदाओं के खतरे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
रामनाथ कोविद ने कहा कि इन चुनौतियों का मुकाबला मिले-जुले प्रयासों से होना चाहिए, हमारे देशों को समुद्री सुरक्षा पर अधिक सहयोग करना चाहिए, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए कि समुद्र के जरिए सौहार्द फैले, मित्रतापूर्ण संबंध बनें और व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि रक्षा और आपदा नियोजन तथा तैयारी में भारत को इक्वेटोरियल गिनी के साथ सहयोग करने में प्रसन्नता होगी और वह अपनी तकनीकी एवं अन्य क्षमताएं देने की पेशकश करता है। राष्ट्रपति ने इक्वेटोरियल गिनी के इस वर्ष जनवरी में दो वर्ष के लिए संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए चुने जाने पर उसे बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत संयुक्तराष्ट्र को और अधिक प्रभावशाली, अधिक निष्पक्ष और आज की हकीकत में अधिक चिंतनशील बनाने के लिए इक्वेटोरियल गिनी के साथ काम करना चाहता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इक्वेटोरियल गिनी अफ्रीका और विकासशील देशों से जुड़े मुद्दों को उजागर करने के साथ-साथ विश्व के सामने मौजूद चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्रिय भूमिका निभाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद की समस्या दुखद हकीकत है, आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है, लेकिन इससे धीरे-धीरे निपटा जा रहा है, इसके संबंध में भारत संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर विस्तृत समझौता जल्द अपनाने के लिए इक्वेटोरियल गिनी का सहयोग चाहता है। उन्होंने इक्वेटोरियल गिनी में भारत के राजदूत सुशील कुमार सिंघल के मलाबो में आयोजित समारोह में भारतीय समुदाय से मुलाकात की और उसे भी संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और इक्वेटोरियल गिनी के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए भारतीय समुदाय का प्रत्येक सदस्य महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि यहां भारत सरकार ने केवल एक राजदूत की नियुक्ति कर रखी है, लेकिन इस देश में भारतीय समुदाय का प्रत्येक सदस्य भारत का सांस्कृतिक दूत है। उन्होंने समुदाय से आग्रह किया कि वह दोनों देशों के बीच व्यावसायिक और सांस्कृतिक संपर्कों को बढ़ाने में मदद करे।