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Wednesday 11 April 2018 01:09:25 PM
लखनऊ। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि देश के सबसे पिछड़े जिलों को महत्वाकांक्षी जिलों के रूपमें चिन्हित कर उनका सर्वांगीण विकास किया जाएगा। लखनऊ में प्रदेश के 8 महत्वाकांक्षी जिलों के अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि सबसे बड़ा प्रदेश होने के कारण भारत के विकास में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका है, हाल ही में हुए निवेशकों के शिखर सम्मेलन में जिस तरीके से निवेशकों ने उत्तर प्रदेश में रुचि दिखाई है, उससे साफ जाहिर है कि उत्तर प्रदेश निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि महत्वाकांक्षी जिलों की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास की खास अवधारणा है और इनके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास की दिशा में सभी की भागीदारी आवश्यक है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विकास के लिए केंद्र और राज्य एवं जिला प्रशासन मिलकर काम करें, रोज़मर्रा की दिक्कतों को लेकर एक उच्चशक्ति प्राप्त समिति भी बनाएं, जो जमीनी चुनौतियों के मद्देनज़र दिशा-निर्देशों में परिवर्तन के लिए अधिकृत हो। गृहमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के आठ महत्वाकांक्षी जिलों में से 4 सीमावर्ती इलाके में पड़ते हैं, गृह मंत्रालय के पास इनके लिए विशेष योजना है, सीमावर्ती इलाका विकास कार्यक्रम के तहत कार्ययोजना तैयारकर गृह मंत्रालय को भेजी जा सकती है। उन्होंने कहा कि विकास के अंतर को दूर करने के लिए इस योजना को लागू किया जा रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि रैंकिंग के जरिए नीति आयोग इन जिलों के बीच प्रतियोगिता विकसित कर रहा है, लेकिन उन्होंने सुझाव दिया कि जिलाधिकारी आकड़ों के बजाए कार्यक्रम क्रियांवयन की गुणवत्ता पर ज़ोर दें। जिलाधिकारियों को सलाह देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि वे एक दूसरे के बेहतर अनुभवों को साझा करें, जिलाधिकारी महत्वाकांक्षी जिलों में महत्वाकांक्षी ब्लाकों की पहचान करें और उनके बीच प्रतियोगिता को प्रोत्साहित करें तथा जो लोग विकास के क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय कर रहे हैं, उनकी पहचान कर उन्हें पुरस्कृत किया जाए। उन्होंने कहा कि जीडीपी के मामले में ऊंची दर के साथ ही मानव संसाधन सूचकांक भी बढ़ना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना और स्वच्छ भारत अभियान जन आंदोलन इसीलिए बन सका है, क्योंकि इसके साथ आम जनता जुड़ी है और महत्वाकांक्षी जिलों की प्रधानमंत्री की योजना को भी जन आंदोलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 8 महत्वाकांक्षी जिलों में से 4 तीस प्रतिशत और 4 दस प्रतिशत से भी नीचे हैं। डेल्टा रैंकिंग की चर्चा करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि नीति आयोग जिलों को सर्वे एजेंसी उपलब्ध कराएगा, ताकि सर्वशुद्ध आंकड़े सामने आ सकें। गृहमंत्री ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे महत्वाकांक्षी जिलों को विकास के पैमाने पर राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने के लिए सभी से संवाद स्थापित करें और नवीनतम तकनीक का उपयोग करें, यह मानव संसाधन के अधिकतम विकास का लक्ष्य हासिल करने में सहायक होगा। बैठक में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि 2019 तक उत्तर प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों को संचार सुविधा से लैस कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में तेजी से निजीकरण हुआ है, वर्ष 2011 में 53 हजार गांव मोबाइल नेटवर्क से बाहर थे, उनमें से 20 हजार गांव को अब तक कवर किया जा चुका है। वित्तीय समावेशन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में इस समय बैंकों की करीब 1.5 लाख शाखाएं हैं, और आने वाले 6 महीने में बैंकिंग के क्षेत्र में आ रही दिक्कतों को दूर कर लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में जिलाधिकारियों को हिदायत दी कि वे रोजाना कुछ समय निकाल कर योजनाओं के क्रियांवयन की समीक्षा करें। योगी आदित्यनाथ ने जानकारी दी कि बहराइच में मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है और जल्द ही सिद्धार्थनगर तथा फ़तेहपुर में भी मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि जन सहभागिता के आधार पर कार्यक्रमों को लागू किया जाए और 14 अप्रैल को बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर की जयंती पर हर ब्लॉक में ऐसे गांव में लोगों को शासन की हर योजना का फायदा पहुंचाया जाए, जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी 50 फीसद या इससे ज्यादा है। गौरतलब है की उत्तर प्रदेश के आठ महत्वाकांक्षी जिलों में श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, सोनभद्र, चित्रकूट, चंदौली और फतेहपुर के जिलाधिकारियों, नोडल अधिकारियों और प्रभारी मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों से संबंधित विकास कार्यों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया।