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साम्प्रदायिक सद्भाव देश की विशेषता-गृहमंत्री

राष्ट्रीय फाउंडेशन की संचालन परिषद की बैठक में विमर्श

'अजमेर शरीफ दरगाह साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 13 April 2018 05:42:24 PM

21st meeting of the governing council of national foundation for communal harmony

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि चरमपंथ को रोकने के प्रयासों में स्वयंसेवी संगठनों, महिला संगठनों सहित सामाजिक और धार्मिक समूहों को सक्रिय रूपसे शामिल किया जाना चाहिए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए राष्ट्रीय फाउंडेशन की संचालन परिषद की 21वीं बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक आबादी वाला दूसरा देश होने के बावजूद भारत नगण्य रूपसे ही चरमपंथ से प्रभावित है, इसका पूरा श्रेय अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक गुरूओं तथा देश की मिली-जुली संस्कृति और परंपरा को जाता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि साम्प्रदायिक सद्भाव एक ऐसा विषय है, जो न केवल गृह मंत्रालय से जुड़ा है, बल्कि इस विषय से प्रत्येक व्यक्ति का भी संबंध है, यह हमारे संपूर्ण देश की विशेषता है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए डिज़िटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाएंगे। उन्होंने सोशल मीडिया के लिए उचित कहानियां विकसित करने को कहा। गृहमंत्री ने आश्वासन दिया कि वह साम्प्रदायिक सद्भाव की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए शीघ्र ही एनएफसीएच संचालन परिषद के सदस्यों के साथ अजमेर शरीफ जाएंगे, क्योंकि अजमेर शरीफ दरगाह साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। राजनाथ सिंह ने कहा कि हम विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं और विश्व की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में हैं, हम शीर्ष 5 और शीर्ष 3 अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं और हमारा विकास आतंकवाद से बाधित नहीं होना चाहिए। इस अवसर पर कपड़ा और सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी भी मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि देश में कुछ गलत तत्व साम्प्रदायिक स्थिति की गलत छवि प्रस्तुत कर रहे हैं, इसके बावजूद सरकार साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि एनबीटी और प्रकाशन विभाग महानिदेशालय संवेदनशील इलाकों में साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रति लोगों को संवेदी बनाने के लिए प्रदर्शनियों का आयोजन करेंगे और पुस्तकों की बिक्री की जाएगी।
देश में साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के बारे में एनएफसीएच के सदस्य धार्मिक और सामाजिक नेताओं ने अपने सुझाव दिए, इन सुझावों में एनएफसीएच की भूमिका और उसके ढांचे को नया रूप देना, इसके बजट को मजबूत बनाना, अंतरपंथ संवादों को बढ़ाना, अतंर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करना, संगोष्ठी, प्रकाशन, पुस्तक प्रदर्शनी, वृत्तचित्र, टेलीविजन कार्यक्रम और सोशल मीडिया के माध्यम से साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाना प्रमुख रूपसे शामिल थे। अन्य सुझावों में साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने वाले विभिन्न मंत्रालयों की संबंधित योजनाओं को मिलाना, सम्मेलन आयोजित करना, कवि सम्मेलन, संगीत कार्यक्रम, विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक मंचों पर आयोजन शामिल है। बैठक में यह भी बताया गया कि स्कूली बच्चे और बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को लक्षित किया जाना चाहिए, ताकि बच्चे साम्प्रदायिक सद्भाव के मूल्यों को अपना सकें। अधिकतर सुझावों से सहमत होते हुए गृहमंत्री ने निर्णय लिया है कि वह परिषद के सदस्यों सहित कुछ समितियां बनाएंगे, ताकि कार्रवाई योग्य बिंदु तय किए जा सकें।

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