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Saturday 14 April 2018 11:45:50 AM
विशाखापत्तनम। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विशाखापत्तनम में आंध्र विश्वविद्यालय हाई स्कूल में कम्प्यूटर प्रयोगशाला और आरओ संयंत्र का उद्धाटन करने के अवसर पर छात्रों, शिक्षकों तथा अभिभावकों को संबोधित करते हुए राज्य सरकारों को ग्रुप ‘ए’ स्तर तक की नियुक्तियों में मातृभाषा को अनिवार्य बनाए जाने का सुझाव दिया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में सांस्कृतिक पुनरोत्थान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृति जीवनशैली है और धर्म पूजा की शैली है। उपराष्ट्रपति ने शिक्षा प्रणाली में आमूल सुधार का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी जड़ों, विरासत, परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों की तरफ लौटना चाहिए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें अपने बच्चों को सिखाना चाहिए कि प्रकृति के साथ कैसे रहा जाए, क्योंकि हमारे यहां प्रकृति की आदर करने की परंपरा है और हम पेड़ों, पशुओं और नदियों की उपासना करते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में नैतिक मूल्यों का निरूपण करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व गुरु के रूपमें जाना जाता था और दुनियाभर से लोग नालंदा, तक्षशिला जैसे प्राचीन शिक्षा केंद्रों में अध्ययन के लिए आते थे। उन्होंने कहा कि आज एक बार फिर दुनिया भारत की ओर देख रही है, हमारी शिक्षा प्रणाली को ऐसे युवा पैदा करने चाहिएं, जो विश्व की चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ मुकाबला कर सकें। वेंकैया नायडू ने कहा शिक्षा मजबूत, जानकारी से परिपूर्ण और ज्ञानवर्धन करने वाली होनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति शहर के एमआरसी काकातिय सम्मेलन केंद्र में वेंकटेश्वर कल्याणम भी गए, जहां उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे आडम्बरपूर्ण विवाह का त्याग करें। उन्होंने कहा कि विवाह एक पवित्र समारोह है और इसमें धन का प्रदर्शन और अन्न की बर्बादी नहीं होनी चाहिए, भारत जैसा देश अन्न की बर्बादी नहीं झेल सकता। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को अपने आसपास का माहौल स्वच्छ रखना चाहिए और सभी जगह स्वच्छता बनाए रखने के लिए इसे एक मिशन के रूपमें लेना चाहिए, क्योंकि सिर्फ सरकार अकेले सबकुछ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि किसी भी शहर को साफ और हराभरा रखने के लिए लोगों की भागीदारी, सहयोग और सहभागिता जरूरी है।