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Tuesday 17 April 2018 01:01:35 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय वर्ष 2015 से वामपंथी अतिवाद की रोकथाम के लिए ‘राष्ट्रीय नीति और कार्ययोजना’ का कार्यांवयन करता आ रहा है, इनमें सुरक्षा और विकास से संबंधित उपायों सहित बहुआयामी नीति तैयार की गई हैं। गृह मंत्रालय की नई नीति की महत्वपूर्ण विशेषताएं अहिंसा के विरूद्ध शून्य सहिष्णुता, जिसके साथ विकासात्मक गतिविधियों को तीव्र करना शामिल है, ताकि विकास का लाभ ग़रीबों और प्रभावित क्षेत्रों में संवेदनशील लोगों तक पहुंच सके। गृह मंत्रालय ने 10 राज्यों के 106 जिलों को वामपंथ अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों की कोटि में रखा है, इन जिलों को गृह मंत्रालय की सुरक्षा से संबंधित व्यय योजना के अंतर्गत रखा गया है, जिसका उद्देश्य परिवहन, संचार, वाहनों का किराये पर लेना, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को वृत्तिका देना, सेनाओं के लिए अस्थायी अवसंरचना आदि जैसे खर्चों की राज्यों को प्रतिपूर्ति करना है।
गृह मंत्रालय ने करीब 106 जिलों में से 35 जिले, जो देशभर में वामपंथी अतिवादी हिंसा के 80-90 प्रतिशत के बराबर हैं, को ‘अति प्रभावित जिलों’ की कोटि में रखा है और इस कोटिकरण से सुरक्षा तथा विकास संसाधनों से संबंधित का केंद्रित नियोजन करना है। इन कुछ वर्ष के दौरान बहुत से जिलों में से छोटे जिले बनाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 106 सुरक्षा संबंधित व्यय योजना वाले जिलों के भौगोलिक क्षेत्र का 126 जिलों में विस्तार किया गया है और उन अत्यधिक प्रभावित 35 जिलों को 36 जिलों में बांट दिया गया है। वामपंथी अतिवाद के परिदृश्य में इन 4 वर्ष के दौरान उल्लेखनीय सुधार हुआ है, अहिंसा की घटनाओं में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसमें 2013 की तुलना में 2017 में मृत्यु संबंधी मामलों में 34 प्रतिशत की कमी आई है। वामपंथी अतिवादी हिंसा का भौगोलिक विस्तार भी 2013 के 76 जिलों से सिकुड़कर 2017 में 58 जिलों तक रह गया है, इसके अलावा देश में फैली वामपंथी अतिवादी हिंसा का 90 प्रतिशत अकेले इन 30 जिलों तक सीमित है और इसके साथ ही कुछ नए जिले वामपंथी अतिवाद के विस्तार के केंद्र के रूपमें उभरकर आए हैं।
गृह मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि संसाधनों का नियोजन धरातल पर आए वास्तविक बदलाव के अनुरूप हो रहा है, हाल ही में राज्यों के परामर्श से प्रभावित जिलों की समीक्षा का एक विस्तृत प्रयोग शुरू किया है। गृह मंत्रालय ने सुरक्षा संबंधी खर्च योजना जिलों की सूची में 8 नए जिले शामिल किए हैं और 44 उसमें से हटा दिए हैं। केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के त्रिजंक्शन पर आदिवासी क्षेत्रों में माओवादियों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से केरल के 3 जिलों को एसआरई जिलों की सूची में शामिल किया गया है, इस तथ्य के वाबजूद कि इन नए जिलों में हिंसा की शायद ही कोई घटना हुई हो, गृह मंत्रालय का यह प्रारंभिक प्रयास है। इस प्रयोग के परिणामस्वरूप 11 राज्यों के 126 में से 90 जिले अब इस योजना में शामिल होंगे। ‘अति प्रभावित जिलों’ की सूची कांट-छांटकर 36 से 30 पर आ गई है। संशोधित कोटिकरण वास्तविक वामपंथी अतिवाद परिदृश्य का ज्यादा सही प्रतिनिधित्व करता है।