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Tuesday 24 April 2018 01:10:11 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति समस्त दक्षिण पूर्व एशिया के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें म्यांमार प्रमुख स्तम्भों में एक है। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद के ‘भारत-म्यांमार व्यापार एवं संपर्क’ विषय पर सम्मेलन को संबोधित हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि म्यांमार सीमा के माध्यम से भारत को उत्तर-पूर्व राज्यों के बरास्ते दक्षिण पूर्व एशियाई राज्यों से जोड़ता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘एक्ट ईस्ट’ नीति कारगर तरीके से पूर्वी सीमाओं से आगे कार्य करे, इसके लिए जरूरी है कि पहले ‘एक्ट ईस्ट’ नीति प्रभावी तरीके से सीमा पर क्षेत्र की संभावना को बढ़ावा देने पर सफलतापूर्वक ध्यान दे।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उदाहरण के लिए म्यांमार न केवल भौगोलिक रूपसे मजबूत ऐतिहासिक एवं आर्थिक संपर्कों की वजह से भारत का एक करीबी देश है, बल्कि इसके अतिरिक्त भारत और म्यांमार दोनों के ही नागरिक समान जीवनशैली, समान भोजन आदतों और समान सांस्कृतिक गुणों को साझा करते हैं, इसलिए म्यांमार के साथ कोई भी सार्थक व्यापार या व्यावसायिक संबंध मुख्य रूपसे इस देश के साथ जुड़े उत्तर-पूर्व राज्यों के अंतर्निहित उत्पादों एवं वस्तुओं के माध्यम से ही जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के चार वर्ष के दौरान उत्तर-पूर्व, विशेष रूपसे इसके विकास की दिशा में सरकार के दृष्टिकोण में रूपांतरकारी परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में रोज़गार सृजन एवं उद्यमशीलता के नए अवसर खोलने का प्रयास भी शामिल है, जो उत्तर-पूर्व को पूर्वी सीमाओं के साथ भारत के आर्थिक एवं राजनयिक संबंधों का फोकस बनाएगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने इस क्षेत्र में व्यापार एवं निवेश के विकास की राह में महत्वपूर्ण बाधाओं के रूपमें संपर्क एवं परिवहन की बाधाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन चार वर्ष के दौरान इन मुद्दों पर ध्यान देने के लिए त्वरित प्रगति की गई है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व राज्यों में, जिसने अब तक कोई रेलगाड़ी नहीं देखी थी, वहां नए हवाई अड्डे बनाए गए हैं, रेल पटरियां बिछाई गई हैं और नए अंतर्स्थलीय जलमार्गों का निर्माण किया जा रहा है। इस क्षेत्र को दी जा रही केंद्र सरकार की उच्च प्राथमिकता का साक्ष्य देखते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने हाल ही में बनाई गई विशिष्ट उत्तर-पूर्व विकास नीति 1927 के भारतीय वन अधिनियम में संशोधन एवं उत्तर-पूर्व के लिए एक विशिष्ट नीति आयोग फोरम की स्थापना जैसे कदमों का उल्लेख किया। म्यांमार के संदर्भ में उन्होंने हाल ही में संपन्न मंडालय क्षेत्र वाणिज्य एवं उद्योग चेम्बर तथा उत्तर पूर्व भारत के व्यवसाय समूहों के बीच एक समझौता ज्ञापन का भी उल्लेख किया।