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भारतीय खान ब्‍यूरो के पुर्नगठन को मंजूरी

खनन क्षेत्र की बढ़ती आवश्‍यकताओं के अनुरूप बदलाव

खनन क्षेत्र में सुधार हेतु निर्णय प्रक्रिया में आएगी तेजी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 3 May 2018 01:40:48 PM

indian bureau of mines

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्‍त सचिव स्‍तर और इससे ऊपर के पदों के निर्माण, उन्‍मूलन एवं उन्‍नयन के साथ भारतीय खान ब्‍यूरो के पुर्नगठन को मंजूरी दे दी है और भारतीय खान ब्‍यूरो यानी आईबीएम के वर्तमान 1477 पदों को बनाए रखा है। पुर्नगठन से आईबीएम को खान क्षेत्र में नियमों को बदलने और सुधार करने में सहायता मिलेगी, इससे आईबीएम, खनिज नियमन तथा विकास में सुधार के लिए आईटी तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की सेवाएं अपनाने में सक्षम होगा, इसके अलावा संगठन के कार्य संचालन में इन पदों से निर्णय प्रक्रिया में तेजी आएगी तथा उत्तरदायित्‍व में वृद्धि होगी। भारतीय खान ब्‍यूरो के पुर्नगठन प्रस्‍ताव से खनिज क्षेत्र के तेजी से विकास में योगदान के लिए गंभीर उत्तरदायित्‍व वाले तकनीकी कर्मियों के लिए रोज़गार अवसरों का सृजन होगा। इस प्रकार पूरे क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों में उल्‍लेखनीय वृद्धि होगी। आईबीएम के बेहतर प्रदर्शन से खनन क्षेत्र को लाभ मिलेगा।
भारतीय खान ब्‍यूरो में संयुक्‍त सचिव स्‍तर के कुछ पदों के उन्‍नयन, निर्माण तथा उन्‍मूलन में शामिल स्‍तर 15 में मुख्‍य खान नियंत्रक के एक पद का निर्माण तथा स्‍तर 14 में खान नियंत्रक के 3 पदों का निर्माण, 11 पदों का उन्‍नयन अर्थात महानियंत्रक के 1 पद का स्‍तर 15 से स्‍तर 16 में, मुख्‍य खान नियंत्रक तथा निदेशक (अयस्‍क ड्रेसिंग) के दो पदों का स्‍तर 14 से स्‍तर 15 में तथा 8 पदों का उन्नयन (खान नियंत्रक के 5 पद, मुख्‍य खनिज अर्थशास्‍त्री, अयस्‍क ड्रेसिंग अधिकारी तथा मुख्‍य खनन भू-विशेषज्ञ का एक-एक पद) स्‍तर 13 ए से स्‍तर 14 में तथा उप महानिदेशक सांख्यिकी के 1 कैडर पद का उन्‍मूलन, भारतीय सांख्यिकी सेवा के अधिकारी के एक पद का उन्मूलन (स्‍तर 14 के वेतनमान में) हैं। भारत सरकार ने 1 मार्च 1948 को केंद्रीय कार्य, खान तथा ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आईबीएम की स्‍थापना की थी। इसका प्रारंभिक उद्देश्‍य खनन क्षेत्र के लिए नीति निर्धारण और कानूनी प्रावधानों के निर्माण में एक सलाहकार निकाय के रूपमें कार्य करना था। इसके साथ ही आईबीएम खनिज संसाधनों के विकास और उपयोग के संदर्भ में केंद्र और राज्‍य सरकारों को सलाह प्रदान करता था।
खनन क्षेत्र की बढ़ती आवश्‍यकताओं के अनुरूप आईबीएम की भूमिका और उत्तरदायित्‍व में बदलाव हुआ है, अब यह खनन क्षेत्र कोयला, पेट्रोलियम तथा परमाणु खनिज के अलावा सुविधा प्रदाता तथा नियामक की भूमिका भी निभा रहा है। राष्‍ट्रीय खनिज नीति 2008 के आलोक में खान मंत्रालय ने आईबीएम की भूमिका तथा कार्य की समीक्षा तथा पुर्नगठन विषय पर एक समिति का गठन किया था। समिति ने 4 मई 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे मंत्रालय ने स्‍वीकार कर लिया था। खनिज क्षेत्र में सुविधा प्रदान करने तथा इसके नियमन के लिए खान मंत्रालय ने आईबीएम के माध्‍यम से कई पहलों की शुरूआत की है, जैसे सतत विकास फ्रेमवर्क का कार्यांवयन तथा खनन गतिविधि के वैज्ञानिक, पर्यावरण और समाजिक आयामों के संदर्भ में किए गए प्रयासों व पहलों के लिए खानों की स्‍टार रेटिंग। भास्‍कराचार्य इंस्‍टीटयूट ऑफ स्‍पेस एप्‍लीकेशन एंड ज्‍यो-इन्‍फोर्मेटिक के सहयोग से खनन निगरानी प्रणाली का विकास, इसके तहत सेटेलाइट से प्राप्‍त तस्‍वीरों के आधार पर मुख्‍य खनिज क्षेत्र के 500 मीटर के दायरे में अवैध खनन का पता लगाया जाता है।
खनिज प्रसंस्‍करण में अनुसंधान व विकास पर विशेष जोर, इसमें निम्‍न स्‍तर के अयस्‍क के उन्‍नयन के लिए प्रक्रिया का विकास तथा खनिज क्षेत्र की गतिविधियों को कंप्‍यूटरकृत करने के लिए आईटी आधारित खनन प्रणाली का विकास आदि गतिविधियां शामिल हैं। आईबीएम का पुर्नगठन आवश्‍यक था, ताकि यह एक संगठन के रूपमें अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वहन कर सके। नीति तथा कानूनों में बदलाव, आईबीएम की कार्यसूची में संशोधन तथा आईबीएम की नई गतिविधियों के कारण आईबीएम की भूमिका बदल गई है। खनिज रियायतों के आवंटन में बेहतर पारदर्शिता के लिए आईबीएम खनिज ब्‍लॉकों की नीलामी में राज्‍यों को सहायता प्रदान कर रहा है।
आईबीएम राज्यों को नीलामी ब्‍लॉकों को तैयार करने, औसत विक्रय मूल्‍य प्रकाशित करने, नीलामी के पश्‍चात निगरानी में मदद करने तथा मंजूरी प्रक्रिया में सहायता प्रदान कर रहा है। अपने उत्‍तरदायित्‍व को पूरा करने के क्रम में आईबीएम के कार्यालयों का स्‍थानांतरण हुआ है। रायपुर और गांधीनगर में नए कार्यालयों की स्‍थापना की गई है तथा गुवाहाटी उपक्षेत्रीय कार्यालय का उन्‍नयनकर, इसे क्षेत्रीय कार्यालय का दर्जा दिया गया है। कोलकाता और उदयपुर क्षेत्रीय कार्यालयों का उन्‍नयन किया गया है और इन्‍हें मंडल कार्यालय पूर्व तथा मंडल कार्यालय उत्‍तर बनाया गया है। कौशल विकास के उद्देश्‍य से उदयपुर में ससटेनेबल डेवलपमेंट फ्रेमवर्क संस्‍थान, हैदराबाद में रिमोर्ट सेंसिंग केंद्र तथा कोलकाता में इंस्‍टीटयूट ऑफ ससटेनेबल माइनिंग की शुरूआत की गई है। वाराणसी में कौशल विकास केंद्र शीघ्र ही प्रारंभ होगा।

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