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Friday 11 May 2018 02:19:21 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्री नितिन गडकरी ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं किया जा रहा है पर अपनी जवाबदेही व्यक्त करते हुए नई दिल्ली में एक प्रेस कॉंफ्रेस में कहा है कि हम मार्च 2019 तक गंगा को 70 से 80 प्रतिशत स्वच्छ बनाने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य धारणा है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं किया जा रहा है, लेकिन यह सही नहीं है, करीब 251 प्रदूषणकारी उद्योगों को इसके नियमों की अवहेलना करने के लिए बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं। नितिन गडकरी ने कहा कि 938 उपक्रमों में वास्तविक समय पर प्रदूषण की निगरानी की जा रही है और 211 ऐसे नालों की पहचान की गई है, जो गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं, नाले के पानी के परिशोधन के लिए 20 एसटीपी निर्मित किए गए हैं। इस अवसर पर पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती और नदी विकास एवं गंगा कायाकल्प राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।
केंद्रीय पेयजल व स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा तट पर लगभग 4470 गांव खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं और हम लोग अब ओडीएफ प्लस की रणनीति के तहत कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ठोस-द्रव अपशिष्ट प्रबंधन, वृक्षारोपण, गांवों एवं शहरों को प्लास्टिक मुक्त बनाना और जन जागरुकता अभियान चलाना जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उमा भारती ने कहा कि हमारा मंत्रालय गंगा ज्ञान परियोजना पर काम कर रहा है, जो गंगा तट पर बसे गांव के सम्पूर्ण विकास पर आधारित है, गंगा ग्राम में जैविक खेती, संरक्षण परियोजना, ठोस व द्रव अपशिष्ट का उचित निपटान और तालाबों के पुनरुद्धार पर विशेष जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे एक वृहद कार्यक्रम है, जिसमें गंगा सरंक्षण से संबंधित सभी पुरानी और वर्तमान की परियोजनाओं को शामिल किया गया है, इस कार्यक्रम के लिए 20,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है और इसका कार्यांवयन अगले पांच वर्ष तक किया जाएगा, यह दिसंबर 2020 को समाप्त होगा।
गौरतलब है कि नामिम गंगे कार्यक्रम के तहत सीवर अवसंरचना, घाटों व श्मशान स्थलों का विकास, नदी तट विकास, नदी सतह की साफ-सफाई, जैव विविधता सरंक्षण, वानिकीकरण, ग्रामीण स्वच्छता जैसी गतिविधियों पर आधारित कुल 195 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। करीब 195 में से 102 परियोजनाओं के तहत 2369 एमएलडी क्षमता के नए सीवर शोधन संयंत्रों का निर्माण किया जाएगा, 887 एमएलडी क्षमता वाले संयंत्रों की मरम्मत की जाएगी और गंगा व यमुना में प्रदूषण को कम करने के लिए 4722 किलोमीटर लंबा सीवर नेटवर्क बनाया जाएगा। एक महत्वपूर्ण पहल के तहत 2 एसटीपी परियोजनाएं वाराणसी और हरिद्वार हाईब्रिड एनयुटी पीपीपी मोड के तहत चलाई जा रही है। एचएएम के तहत मंजूर की गई परियोजनाएं हैं-उत्तर प्रदेश में नैनी, झुसी, फाफमाऊ, उन्नाव, शुक्लगंज, मथुरा, कानपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर और फररुखाबाद, बिहार में दीघा, कंकड़बाग और भागलपुर, पश्चिम बंगाल में हावड़ा, बाली और टॉली नाला कोलकाता, कमरहटी और बड़ानगर।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत ‘एक नगर एक संचालक’ को अपनाया गया है, इसके अंतर्गत सात शहरों कानपुर, इलाहाबाद, पटना, हावड़ा, भागलपुर, मथुरा और कोलकाता के एसटीपी परियोजनाओं को एकीकृत किया गया है। नमामि गंगे के तहत उन दस शहरों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिनमें सीवर 64 प्रतिशत प्रवाहित होता है। नमामि गंगे के तहत पानी की गुणवत्ता जांच के लिए 44 जल गुणवत्ता निगरानी प्रतिष्ठानों का संचालन किया जा रहा है। वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत गंगा बेसिन में पांच करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। उत्तराखंड में 31 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। जून 2018 तक ऋषिकेश, नवंबर 2018 तक जोशीमठ, श्रीनगर, हरिद्वार और दिसंबर 2018 तक बद्रीनाथ, चमोली, नंदप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, हरिद्वार में परियोजनाएं पूरी होने की संभावना है। उत्तरप्रदेश में 30 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इलाहाबाद, गढ़मुक्तेश्वर, कन्नौज, अनूपशहर व नरोरा में परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। बिहार में 20 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 10 परियोजनाओं पर काम प्रगति पर है। झारखंड के साहिबगंज में दो परियोजनाएं प्रगति पर हैं। पश्चिम बंगाल में 15 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं, इनमें से 2 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है, चार परियोजनाओं पर काम प्रगति पर है, जबकि चार अन्य निविदा की प्रक्रिया में हैं और पांच परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी की जाएंगी।