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'केवल अंग्रेजी सोच भारतीय भाषाओं की बाधा'

'उच्चशिक्षा में हिंदी की गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों का अभाव'

नई दिल्ली में हुई हिंदी सलाहकार समिति की बैठक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 15 May 2018 12:57:56 PM

prakash javadekar chairing the hindi consultant committee meeting

नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली में हिंदी सलाहकार समिति की बैठक में कहा है कि हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का विकास करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने कहा कि इस दौर में अंग्रेजी का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिसका सीधा सम्बंध तरक्की से जोड़ा जाने लगा है, जबकि यह सोच भारतीय भाषाओं के विकास में सबसे बड़ी बाधक है। उन्होंने सलाहकार समिति के समक्ष यह मुद्दा भी उठाया कि हमारे यहां विद्यालय स्तर पर तो हिंदी भाषा में किताबें आसानी से उपलब्ध हैं, लेकिन उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए हिंदी की गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों का अभाव है। उन्होंने कहा कि हमें उच्च शिक्षा में भी पर्याप्त हिंदी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करानी चाहिएं, ताकि हिंदीभाषी छात्र भी अपनी भाषा में उच्चशिक्षा ग्रहण कर सकें। उन्होंने उम्मीद जताई कि हमारे प्रयासों से उच्चशिक्षा प्रवेश परीक्षाओं में हिंदी भाषी छात्रों का प्रतिशत जरूर बढ़ेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि तकनीक के इस दौर में हिंदी भाषा की सबसे बड़ी कमी यह है कि हिंदी में अब नए शब्दों का सृजन नहीं हो रहा है। उन्होंने देशभर से एकत्रित हुए हिंदी के विद्वानों का आह्वान किया कि उन्हें रोज़ अधिक से अधिक हिंदी शब्दों का सृजन करके उन्हें लोकप्रिय बनाना चाहिए, खास करके तकनीक से जुड़े हुए शब्द, जिससे हिंदी और अधिक लोकप्रिय हो सकें। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम चला रहा है, जिसके माध्यम से विभिन्न राज्यों के मध्य भाषाई एवं सांस्कृतिक सम्बंध मजबूत हो रहे हैं और भारतीय भाषाओं का विकास भी हो रहा है। बैठक में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ सत्यपाल सिंह भी उपस्थित थे। डॉ सत्यपाल सिंह ने कहा कि भारत में ये अवधारणा बन चुकी है कि जिसे अंग्रेजी नहीं आती है उसे विद्वान नहीं माना जाता है, आज हमें इस हीन भावना को दूर करने की आवश्यकता है।
राज्यमंत्री डॉ सत्यपाल सिंह ने कहा कि हमें प्रादेशिक भाषाओं को लेकर ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिससे लोग हिंदी अथवा प्रादेशिक भाषाओं को बोलने में गर्व महसूस करें नकि हीनभाव से ग्रस्त हों। गौरतलब है कि भारत में और खासतौर से हिंदीभाषी उत्तर भारत में स्कूलों में हिंदी के ज्ञान का स्तर इतने नीचे चला गया है कि स्कूली बच्चे अब हिंदी विषय में भी फेल हो रहे हैं। ‌हिंदी की यह स्थिति इसलिए हुई है कि प्राइमरी स्कूलों में गुणवत्तायुक्त हिंदी के जानकार शिक्षकों का नितांत अभाव है, जो बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए भी घातक है। बहरहाल हिंदी सलाहकार समिति की सदस्य जरीना बानो, हरवीर सिंह शास्त्री, डॉ पवन सिंघल, डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह, डॉ रविंद्र नागर, प्रोफेसर चंद्रदेव कवड़े एवं डॉ महेश चंद्र गुप्त ने बैठक में भाग लिया। बैठक में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े हुए हिंदी के विद्वानों एवं मंत्रालय से सम्बंधित विभिन्न स्वायत्त संस्थानों ने भी शिरकत की।

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