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Thursday 24 May 2018 12:55:32 PM
दीमापुर (नागालैंड)। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा है कि आसियान देशों को भारत में पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश के असीम अवसरों को खोना नहीं चाहिए। उपराष्ट्रपति ने यह बात दीमापुर में राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पारंपरिक विरासत से समृद्ध नागालैंड तेजीसे प्रगति कर रहा है और एनआईटी की स्थापना इस क्षेत्र के बढ़ते महत्व को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि किसी शैक्षणिक संस्थान की वास्तविक ताकत उसके उच्च मानकों को निरंतर बनाए रखने पर आधारित है, जो अध्यापन और उच्चगुणवत्ता वाले अनुसंधान से जुड़ी हुई है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है, परंतु उसकी अपनी क्षमता का सही उपयोग करने में कुछ समस्याएं हैं जैसे-दुर्गम क्षेत्र, सुदूर क्षेत्रों में बसी आबादी, अच्छी कनेक्टिविटी का अभाव और अपर्याप्त आधारभूत संरचना। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने के लिए कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया जाना चाहिए। वेंकैया नायडु ने कहा कि पर्यटन, व्यापार और लोगों में आपसी संपर्क को बेहतर बनाने के लिए हवाई कनेक्टिविटी भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी के गलियारे को आर्थिक विकास के गलियारे के रूपमें परिवर्तित किया जाना चाहिए।
वेंकैया नायडु ने दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को उद्धृत करते हुए छात्रों से कहा कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिससे वे दुनिया में सकारात्मक और विकासवादी परिवर्तन का सृजन कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि उनका ज्ञान और तकनीकी कौशल ही उनके भविष्य के प्रमुख स्तंभ होंगे। उन्होंने कहा कि समावेशी नए भारत के निर्माण, जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए नैतिकता, प्रतिबद्धता और करूणा जैसे मूल्य भी आवश्यक हैं। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि ज्ञान प्राप्ति जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है, उन्हें मात्र शिक्षा डिग्री प्राप्त करने या रोज़गार प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। दीक्षांत समारोह में नागालैंड के राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य, राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान के विशेषज्ञ, शिक्षक, छात्र-छात्राएं और गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।
गौरतलब है कि नागालैंड भारत का एक उत्तरपूर्वी राज्य है, इसकी राजधानी तो कोहिमा है, जबकि दीमापुर इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। दिमापुर नागालैंड का प्रवेशद्वार भी है और यहां का एकमात्र रेलवे स्टेशन और एकमात्र हवाईअड्डा है। नागालैंड की सीमा पश्चिम में असम से उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से पूर्व में बर्मा से और दक्षिण में मणिपुर से मिलती है। नागालैंड राज्य में कुल सोलह जनजातियां निवास करती हैं, प्रत्येक जनजाति अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों, भाषा और पोशाक के कारण दूसरी से भिन्न है। यहां भाषा और धर्म का बड़ा समन्वय देखने को मिलता है, जो इन जनजातियों को आपस में जोड़ते हैं। राज्य की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, यही शिक्षा की भी भाषा है। नागालैंड भारत के उन तीन राज्यों में से एक है, जहां ईसाई धर्म के अनुयायी जनसंख्या में बहुमत में हैं। नागालैंड वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता का घर माना जाता है।
हिंसा और असुरक्षा ने नागालैंड के आर्थिक विकास को बहुत रोका है, क्योंकि इसे कानून, व्यवस्था और सुरक्षा के अपने दुर्लभ संसाधनों पर बहुत ज्यादा ध्यान देना पड़ा है, हालांकि इस डेढ़ दशक में यहां हिंसा काफी कमी आई है, जिससे राज्य की वार्षिक आर्थिक विकासदर सुधरी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र का आज यह सबसे तेज़ी से विकसित होने वाला राज्य है। नागालैंड की स्थापना 1 दिसम्बर 1963 को भारत के सोलहवें राज्य के रूपमें हुई थी। असम घाटी के किनारे बसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर राज्य का अधिकतर हिस्सा पहाड़ी है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का केवल 9 प्रतिशत हिस्सा समतल जमीन पर है। नागालैंड में सबसे ऊंची चोटी माउंट सरामति है, जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 3840 मीटर है। यह पहाड़ी और इसकी पर्वत शृंखलाएं नागालैंड और बर्मा के बीच प्राकृतिक अवरोध का निर्माण करती हैं।