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Monday 04 March 2013 07:15:25 AM
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि या तो सच्चर कमेटी की सिफारिशें केंद्रीय स्तर से लागू की जाएंगी, नहीं तो केंद्र से कांग्रेस सरकार को हटना पड़ेगा। सच्चर कमेटी की स्थापना केंद्र सरकार ने की पर उसकी मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने की सिफारिशें ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। आज़ादी के 65 वर्ष बाद भी मुसलमानों की हालत दलितों से बदतर है, इसके लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है।
मुलायम सिंह यादव ने झूलेलाल पार्क लखनऊ में समाजवादी अल्पसंख्यक जागरूकता सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि कि तालीम, हिफाजत और रोजी की बुनियादी जरूरतों से मुस्लिम समाज को कांग्रेस ने महरूम किया है, समाजवादी पार्टी ही उर्दू जबान और मदरसों की चिंता करती है, मुस्लिमों के कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार चहारदीवारी बनवा रही है, मुस्लिम बहुल इलाकों में तालीम की व्यवस्था हो रही है, समाजवादी पार्टी उनकी हिफाजत में कतई कोताही नहीं करेगी।
उन्होंने इस बात पर गहरा रोष जताया कि मुसलमानों को ही आतंकवादी बताया जाता है, जिन्होंने हिंदुस्तान को आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई, मुस्लिमों को बदनाम करने की साजिशें होती हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने एक भी मुस्लिम नौजवान को नहीं फंसाया है, भारत की व्यवस्था संविधान के अनुसार ही चलनी चाहिए, कुहासा छटना चाहिए, भरमाने वाली बातें बंद होनी चाहिएं, कोई भी बेगुनाह मुसलमान जेल में नहीं रहेगा।
मुलायम सिंह यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार मुसलमानों की अपनी सरकार है। उन्होंने कहा कि युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संतोषप्रद बजट दिया है, मुसलमानों के हितों का इसमें ध्यान रखा गया है। उन्होंने भाजपा के संबंध में कटाक्ष करते हुए कहा कि मैने संसद में कहा था कि भाजपा बाबरी मस्जिद, धारा 370 और मुस्लिमों के प्रति अपने रवैए में बदलाव की घोषणा करें, मगर अगर भाजपा यह सब छोड़ देगी तो उसके पास बचेगा क्या? उहोंने किसानों, बुनकरों, नौजवानों तथा मुसलमानों के हक की हर लड़ाई लड़ने का भरोसा दिलाया।
सम्मेलन को वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव, अहमद हसन, फरीद महफूज किदवई, राजेंद्र चौधरी, डॉ अशोक बाजपेयी, नफीस अहमद, दादा मियॉ मजार के फरहत मियॉ ने संबोधित करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव ने ही हमेशा मुस्लिमों के हित में काम किए हैं, मुस्लिमों के आरक्षण, सच्चर कमेटी तथा रंगनराथ मिश्र आयोग की रिर्पोटों को लागू करने की मांग भी उन्होंने ही उठाई है, बाबरी मस्जिद और अदालत के फैसले पर उन्होंने ही मुसलमानों का साथ दिया था, सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ मुसलमान एकजुट होकर उनके साथ रहेंगे। समाजवादी सरकार में मुसलमानों के साथ राज्य में अन्याय नहीं हो सकता है। सम्मेलन में राजनीतिक आर्थिक प्रस्ताव स्याद अली ने प्रस्तुत किया। आज़ाद अहमद और रामीष जौनपुरी ने अपना कलाम पेश किया। सम्मेलन की अध्यक्षता हाजी रियाज अहमद ने की और संचालन मुनीर अहमद खॉ ने किया।
सम्मेलन में भगवती सिंह, जरीना उस्मानी, स्याद अली, अनीस मंसूरी, मौलाना जफर मसूद किछौछवी, जावेद अंसारी, रूश्दी मियॉ, मोहम्मद एबाद, कमाल फारूखी, आरिफ अनवर हाशमी, बुनियाद हुसैन अंसारी, आबिद रजा खां, शाह आलम, सरदार सुरेंद्र सिंह, हाजी इकराम कुरैशी, हैदर अली खॉ टाइगर, भिखू शील सागर, फादर एंटोनी, सरदार गुरदयाल सिंह, डॉ एसके जैन, राजा नसीम, आज़ाद अहमद, सैयद शकील, कादिर खॉ, हाफिज इल्तफाक, राजा जलील, आसिम वकार, आफताब आलम आदि उपस्थित थे। सम्मेलन में राज्य की सपा सरकार में वरिष्ठ मंत्री और सपा के मुख्य मुस्लिम नेता आज़म खां नहीं आए।