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वित्तविहीन विद्यालयों के प्रबंधकों में आक्रोश

पूंजीपतियों के हाथ में जा रही सारी शिक्षा महंगी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 04 March 2013 07:23:01 AM

vittvihin vidyalaya managers association

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक व जूनियर स्तर के निजी विद्यालयों की मान्यता के निर्धारित मानक व शर्ते अत्यंत कठोर तथा अव्यवहारिक हैं। इन मानकों को इतना सरल बनाया जाना चाहिए कि प्रदेश में संचालित अधिकांश विद्यालय इन्हें पूरा कर मान्यता प्राप्त कर सकें। इन भावनाओं को शासन तक पहुंचाने हेतु संगठन ने प्रदेश के अधिकांश जनपद मुख्यालयों, जिलाधिकारी कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन भी भेजा हुआ है, किंतु विद्यालय संचालन की कठिनाइयां अभी तक दूर न हो पाने की दशा में संगठन ने लखनऊ में विशाल धरना प्रदर्शन किया है। इसमें प्रदेश के लगभग सभी जनपदों के हर ब्लाकों से प्रबंधकों ने भाग लिया।
उत्तर प्रदेश वित्तविहीन विद्यालय प्रबंधक संघ (पंजीकृत) के प्रदेश अध्यक्ष जय प्रकाश मिश्र व स्ववित्त पोषित विद्यालय प्रबंधक एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने संयुक्त प्रेस वार्ता में ये बातें कही हैं। उत्तर प्रदेश वित्तविहीन विद्यालय प्रबंधक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जय प्रकाश मिश्र ने कहा कि सरकार कठोर मानकों, शर्तो व मान्यता की प्रक्रियाओं को सरल नहीं बनाती है, तो प्रदेश के लाखों प्रबंधक अपने शिक्षकों व सहयोगियों के साथ बेरोज़गार हो जाएंगे, साथ ही, जूनियर स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था पूंजीपतियों के हाथों चली जाने से अत्यंत महंगी हो जाएगी। इसके परिणाम स्वरूप निम्न व मध्यम आयवर्ग वाले अभिभावकों के बच्चे उन जैसे विद्यालयों में दी जा रही न्यूनतम शुल्क पर बेहतर शिक्षा से वंचित हो जाएंगे।
उनका कहना है कि सरकार का परिषदीय व निजी विद्यालयों हेतु अलग-अलग मानक अपनाना निजी विद्यालयों के साथ घोर अन्याय है। मानक की कठोरता की चर्चा करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि प्रदेश के अधिकांश जनपदों से औसतन 400 विद्यालयों ने मान्यता हेतु आवेदन किया था किंतु उनमें से मात्र 1 या 2 विद्यालयों को ही मान्यता मिलना मानक की कठोरता व अव्यवहारिकता को स्पष्ट करता है।स्ववित्त पोषित विद्यालय प्रबंधक एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने कहा कि निजी विद्यालय प्रबंधकगण अपने सीमित संसाधनों में कठोर परिश्रम के बल पर बिना किसी सरकारी आर्थिक सहायता के क्षेत्र के नौनिहालों को शिक्षित व संस्कारित करते हुए उन्हें समाज व राष्ट्र के लिए एक आदर्श नागरिक बनाने जैसा पुनीत कार्य करते हैं, किंतु पुनीत कार्य के पुरस्कार स्वरूप उनके ऊपर आपराधिक मुकदमें दर्ज कराना अत्यंत खेद का विषय है।
लखनऊ की चर्चा करते हुए आनंद द्विवेदी ने कहा कि लखनऊ में 229 विद्यालयों पर मुकदमा दर्ज कराना अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण है। इन्हें तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। जिन बेसिक विद्यालयों को पूर्व में मान्यता है, चाहे वो प्राइमरी मान्यता प्राप्त या जूनियर मान्यता प्राप्त हैं, उन्हें पुनः मान्यता आवेदन करने हेतु शिक्षा विभाग से जो नोटिस जारी हो रही है, वह जनहित में नहीं है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में निजी बेसिक विद्यालयों की हजारों की संख्या है, जिसमें लाखों अध्यापक, अध्यापिकाएं व कई लाख बच्चे प्रभावित होगें।
मानको की शिथिलता संबंधी अखबारों में छपे समाचार पर टिप्पणी करते हुए प्रबंधक नेताओं ने कहा कि यदि सरकार मानको को शिथिल बनाते हुए मान्यता लेना आसान करती है तो यह स्वागत योग्य होगा, किंतु ये संघर्ष सभी मांगो के पूरा होने तक जारी रहेगा, यह मांग है कि जिन पूर्व विद्यालयों की मान्यता हो चुकी है, उनको यथावत रखा जाए, नए आवेदन के लिए बाध्य न किया जाए।

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