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Thursday 31 May 2018 02:04:16 PM
नई दिल्ली। भारत में निकट समय में ही यात्री ट्रेनें न केवल सरपट दौड़ती हुई दिखाई देंगी, अपितु ट्रेनों की लेटलतीफी भी खत्म हो जाएगी। इस समय देशभर के रेलमार्गों की पटरियों को बदलकर उन्हें और ज्यादा क्षमतावान एवं दुर्घटनारहित बनाने का कार्य तेजी पर है। पटरियों के बदलाव के बाद ट्रेनों की औसतगति बढ़ जाएगी और रेलयात्रा और भी मंगलमय हो जाएगी। रेल मंत्रालय ने फ्रेट ट्रेनों और यात्री ट्रेनों की औसतगति में वृद्धि करने के उद्देश्य से नई दिल्ली में एक दिवसीय कार्यशाला ‘मिशन रफ्तार’ का संचालन किया, जिसका उद्घाटन रेलमंत्री पीयूष गोयल, रेल राज्यमंत्री राजेन गोहेन, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी, रेलवे बोर्ड के सदस्य यातायात मोहम्मद जमशेद, रेल मंडलों के महाप्रबंधक और वरिष्ठ रेल अधिकारियों ने संयुक्त रूपसे किया। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर कहा कि यह कार्यशाला भारतीय रेल के उच्च प्रबंधन के साथ फ्रेट और यात्री ट्रेनों की औसत गति बढ़ाने पर विचार-विमर्श करने का एक प्रयास है।
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय रेल समयबद्धता के साथ इन समस्याओं के समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2017-2018 में कोयले की लदान 555 मीट्रिक टन थी, जो सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि इन तीन महीनों में कोयला लदान में 18.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और रेल एवं कोयला मंत्रालय एक दूसरे के साथ तालमेल से कार्य कर रहे हैं, ताकि ऊर्जा संयंत्रों को कोयले की कमी न हो। उन्होंने कहा कि आयात में कमी आने से कोयले की मांग बढ़ी है। पीयूष गोयल ने कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड को बधाई दी। रेल राज्यमंत्री राजेन गोहेन ने कहा कि भारतीय रेल क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि गतिरोधों को दूर किया जाए, ताकि रेलों की गति बढ़ाई जा सके। उन्होंने कहा कि मिशन रफ्तार को लागू करने में रेल अधिकारियों को सबसे अच्छी विशेषज्ञता प्राप्त है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय रेल की भविष्य की जरूरतों पर विचार करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि यह उपयुक्त समय है, जब रेलों की गति बढ़ाने में आने वाली चुनौतियों पर विचार किया जाए, इसके लिए एक रणनीति सुझाए जाने और इसे लागू किए जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मिशन रफ्तार का उद्देश्य फ्रेट तथा यात्री ट्रेनों की औसत गति को अगले पांच वर्ष के दौरान 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाना है। अश्विनी लोहानी ने कहा कि फ्रेट ट्रेनों की औसतगति 24 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि यात्री ट्रेनों की औसतगति 44 किलोमीटर प्रति घंटा है, यात्रा अवधि को कम करने, माल ढोने में लगने वाले समय को कम करने, संचालन लागत को कम करने, राजस्व बढ़ाने तथा रेलवे की बाज़ार हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए रेलों की औसतगति को बढ़ाना आवश्यक है।
अश्विनी लोहानी ने कहा कि सड़क और हवाईमार्ग से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा को देखते हुए अपनाई जाने वाली रणनीति का यह एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र में 45 प्रतिशत की हिस्सेदारी भारतीय रेल के लिए वांछनीय मानी जाती है, क्योंकि यह पर्यावरण अनुकूल और परिवहन का सस्ता माध्यम है। स्वर्णिम चतुर्भुज के अंतर्गत मुख्य रेल मार्ग हैं-दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा, हावड़ा-चेन्नई, चेन्नई-मुंबई, दिल्ली-चेन्नई और हावड़ा-मुंबई। इन मार्गों से 58 प्रतिशत फ्रेट यातायात तथा 52 प्रतिशत यात्री यातायात का संचालन होता है। यह रेल नेटवर्क का मात्र 15 प्रतिशत है और इसे प्रारंभिक कार्यान्वयन के लिए चयनित किया गया है। इस कार्यशाला में ट्रेनों की समयबद्धता, ट्रैफिक के संदर्भ में गतिरोधों को दूर करना, मानव रहित रेलवे क्रासिंग को समाप्त करने जैसे मामलों पर गंभीर चर्चा की गई है, जिससे पता चलता कि रेलवे बोर्ड और रेलमंत्रालय रेलवे में सुधार की महत्वाकांक्षी रणनीतियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।