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Friday 1 June 2018 02:19:20 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार और विश्व बैंक के बीच प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण सड़क परियोजना को अतिरिक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए 50 करोड़ डॉलर के कर्ज के लिए समझौता हुआ। ग्रामीण विकास मंत्रालय की कार्यांवित इस परियोजना के अंतर्गत 7,000 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई जानी हैं, जिसमें से 3,500 किलोमीटर का निर्माण हरित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से किया जाएगा। गौरतलब है कि विश्व बैंक वर्ष 2004 में शुरुआत से ही पीएमजीएसवाई को सहयोग दे रहा है, अभी तक इसके तहत बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मेघालय, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे आर्थिक रूपसे कमजोर और पहाड़ी राज्यों में 180 करोड़ डॉलर के कर्ज के माध्यम से निवेश किया जा चुका है। इसके अंतर्गत लगभग 35,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण और सुधार किया जा चुका है, जिससे लगभग 80 लाख लोगों को फायदा हुआ है।
ग्रामीण सड़क परियोजना के लिए कर्ज समझौते पर ग्रामीण विकास विभाग में संयुक्त सचिव अलका उपाध्याय की मौजूदगी में भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव समीर कुमार खरे और विश्व बैंक की तरफ से भारत में कंट्री निदेशक जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किए। समीर कुमार खरे ने इस अवसर पर कहा कि पीएमजीएसवाई से पहचान, डिजाइन, निगरानी और निर्माण, समुदायों विशेषकर महिलाओं की भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण सड़कों के क्षेत्र में व्यापक बदलाव संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त वित्तपोषण से हरित प्रौद्योगिकी और कम कार्बन वाली डिजाइन एवं निर्माण की जलवायु अनुकूल तकनीकों से निर्माण की प्रौद्योगिकी में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा और अब ग्रामीण समुदायों की आर्थिक अवसरों और सामाजिक सेवाओं तक ज्यादा पहुंच सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि करीब 46 लाख किलोमीटर के मौजूदा सड़क का पर्याप्त रखरखाव भी एक बड़ी चुनौती के तौरपर उभर रहा है, मौजूदा सड़क नेटवर्क के कई हिस्से या तो कमजोर स्थिति में हैं या बाढ़, भारी बारिश, अचानक बादल फटने और भू-स्खलन जैसी घटनाओं से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक जुनैद अहमद ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रामीण आजीविका पर निर्भर समुदायों एवं परिवारों को सहयोग देने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाए और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुइ इनका रखरखाव हो यह सुनिश्चित करना अहम है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से यह साबित होगा कि कैसे ग्रामीण सड़कों की रणनीति और योजना के साथ जलवायु अनुकूल निर्माण को एकीकृत किया जा सकता है। इस अतिरिक्त वित्तपोषण के अंतर्गत पीएमजीएसवाई और बैंक की भागीदारी से महज वित्तपोषण के अलावा हरित तकनीक, कम कार्बन वाली डिजाइन और नई तकनीकों के इस्तेमाल से हरित और जलवायु अनुकूल निर्माण के माध्यम से ग्रामीण सड़क नेटवर्क के प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा।
जुनैद अहमद ने कहा कि ऐसा इन उपायों के माध्यम से किया जाएगा जैसेकि बाढ़, जलभराव, बादल फटने, तूफान, भूस्खलन, खराब जल निकासी, अत्यधिक कटाव, भारी बारिश और ऊंचे तापमान से प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों की पहचान के लिए डिजाइन की प्रक्रिया के दौरान जलवायु जोखिम आकलन करना, जल की सुगम निकासी के लिए पर्याप्त जलमार्गों और सबमर्सिबल सड़कों, कंकरीट ब्लॉक पेवमेंट्स के इस्तेमाल, जल निकासी में सुधार के माध्यम से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष रखरखाव, पर्यावरण अनुकूल सड़कों के डिजाइन और नई तकनीकों के उपयोग, जिनमें टूटे हुए पत्थरों के स्थान पर स्थानीय सामग्री और रेत, स्थानीय मिट्टी, फ्लाई ऐश, ब्रिक क्लिन वेस्ट और अन्य सामग्रियों जैसे औद्योगिक उपोत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है, सड़कों और पुलों के लिए प्री-फैब्रिकेटेड या प्री-कास्ट यूनिट्स के उपयोग के माध्यम से नवीन पुलों और पुलियों का निर्माण, जो भूकंप और पानी के दबाव की स्थिति में टिके रहने में सक्षम होते हैं, पहाड़ी इलाकों की सड़कों में कटाई की सामग्री का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने और उनके निस्तारण की समस्या का समाधान के लिए जैव अभियांत्रिकी उपायों के इस्तेमाल, निकासी में सुधार और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के लिए अन्य उपाय और पर्याप्त ढाल सुरक्षा उपलब्ध कराना।
वरिष्ठ राजमार्ग अभियंता और परियोजना के लिए विश्व बैंक के कार्यबल के लीडर अशोक कुमार ने कहा कि परियोजना के सभी भाग जलवायु के लिहाज से खासे लाभकारी और भारत में जीएचजी उत्सर्जन को न्यूनतम करने के लिए सड़क एजेंसियों के वास्ते मददगार हैं। उन्होंने कहा कि सड़कों में सुधार से ही वार्षिक तौर पर जीएचजी उत्सर्जन में 26.8 लाख टन की कमी आएगी और सड़क संपदा मूल्य में वार्षिक 9 अरब डॉलर की बचत होगी व वाहन परिचालन की ऊंची लागत के रूप में इतनी ही धनराशि की बचत होगी। इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट से 50 करोड़ डॉलर के कर्ज के साथ 3 वर्ष की अतिरिक्त अवधि और 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि जुड़ी हुई है।