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Monday 4 June 2018 02:36:45 PM
आगरा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने आगरा में ताजमहल पर एक उच्चस्तरीय हितधारक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें संस्कृति, पर्यटन और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा की अध्यक्षता में ताजमहल के आसपास बढ़ते प्रदूषण के मुद्दों पर गहन चर्चा हुई और इस समस्या से निपटने एवं पर्यावरण प्रदूषण से ताजमहल की रक्षा के लिए अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक उपाय करने पर फोकस किया गया। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया को अत्यधिक प्लास्टिक के उपयोग के कारण प्रदूषण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ का संदेश ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल से न केवल आगरा और देश के लोगों, बल्कि पूरी दुनिया को दिया जा रहा है। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि यह एक स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है।
केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पर्यावरण राज्यमंत्री ने कहा कि यह प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, इसे फिर से उपयोग करने, प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग करने, फिर से इकट्ठा करने, फिर से डिजाइन करने, पुन: निर्माण करने और प्लास्टिक से प्रदूषण में कमी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाने के बारे में प्रधानमंत्री के संदेश को ताजमहल से फैलाने का एक उचित अवसर है। उन्होंने कहा कि सरकार आगरा के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें केंद्र, राज्य, स्थानीय प्रशासन और सभी एजेंसियां एक छत्र के नीचे काम करेंगी और इस प्रक्रिया में आगरा की आम जनता को भी सहभागी बनाया जाएगा। डॉ महेश शर्मा ने कार्यशाला में ‘प्लास्टिक प्रदूषण से निजात पाने’ पर ताजमहल घोषणापत्र भी जारी किया, जिसमें इस ऐतिहासिक स्मारक के आसपास 500 मीटर तकके इलाकों को गंदगी मुक्त बनाने और ताजमहल के निकट एवं उसके आसपास एकल उपयोग प्लास्टिक को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की शपथ ली गई। डॉ महेश शर्मा, यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक एरिक सोलहीम, यूएनईपी की सद्भावना राजदूत एवं अभिनेत्री दीया मिर्जा, स्थानीय सांसदों, विधायकों, स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों ने भी यह शपथ ली।
गौरतलब है कि ताजमहल एक विश्व धरोहर मक़बरा है, जिसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था। यह मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा मिश्रण है। सन् 1983 में ताजमहल को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में प्रमुख स्थल दिया था, इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर की सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली अद्वितीय मानवी कृतियों में से एक बताया गया है। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। ताजमहल को सम्पूर्ण भारत एवं एशिया से लाई गई सामग्री से निर्मित किया गया था। पराभासी श्वेत संगमर्मर को राजस्थान से लाया गया था, जैस्पर को पंजाब से, हरिताश्म या जेड एवं स्फटिक या क्रिस्टल को चीन से, तिब्बत से फीरोज़ा, अफगानिस्तान से लैपिज़ लजूली, श्रीलंका से नीलम एवं अरबिया से इंद्रगोप लाए गए थे। कार्यशाला में डीजी, एएसआई उषा शर्मा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर सचिव एके मेहता, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन, आगरा के पड़ोसी जिलों के स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधियों, स्थानीय सांसदों, विधायकों, यूएनईपी एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों, उद्योग जगत और पर्यावरणविदों इत्यादि ने भाग लिया।