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Tuesday 05 March 2013 10:06:37 AM
लखनऊ। रिहाई मंच ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का उत्तर प्रदेश में बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने का दावा सफेद झूठ है, रिहाई मंच ने सवाल किया है कि मुलायम सिंह यादव बताएं कि उनकी सरकार ने किन चार सौ बेगुनाह मुसलमानों को छोड़ा है? रिहाई मंच ने मुलायम सिंह यादव के इस बयान को कि उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार ने आतंकवाद के नाम पर बंद चार सौ निर्दोष मुस्लिम युवकों को छोड़ दिया है को सफेद झूठ करार दिया है। मंच ने सपा मुखिया पर मुसलमानों को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव मुस्लिम वोटों के लिये केंद्र सरकार पर सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू न करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि उनकी प्रदेश सरकार ने खुद उन सिफारिशों में से किसी को लागू नहीं किया है और न ही कभी इस मसले पर संसद में ही सवाल उठाया है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुऐब और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने मीडिया ई-मेल में कहा है कि अल्पसंख्यक सम्मेलन के नाम पर मुलायम ने एक बार फिर प्रदेश के मुसलमानों को गुमराह करने की नाकाम कोशिश की है, क्योंकि उन्होंने सपा सरकार में राज्य मशीनरी के देख-रेख में हुए बारह मुस्लिम विरोधी दंगों के दोषियों को सजा देने की बात नहीं की और उल्टे आतंकवाद के नाम पर कैद चार सौ मुस्लिम निर्दोषों को छोड़ने का दावा करके पीड़ित परिवारों के जज्बात से खिलवाड़ किया है, क्योंकि अभी तक एक भी निर्दोष को नहीं छोड़ा गया है। इसी तरह मंच ने मुलायम सिंह यादव के इस दावे को भी झूठा करार दिया है कि उनकी सरकार में किसी निर्दोष मुस्लिम को आतंकवाद के आरोप में नहीं पकड़ा गया है, जबकि सपा सरकार में ही सीतापुर के शकील अहमद और आजमगढ़ के मदरसे में पढ़ने वाले दो कश्मीरी छात्रों वसीम बट्ट और सज्जाद बट्ट को पकड़ा गया है। मुलायम सिंह आतंकवाद के नाम पर कैद जिन चार सौ निर्दोषों को छोड़ने का दावा कर रहे हैं, उनकी लिस्ट भी जारी करें और उन्हें यह भी बताना चाहिए कि ये लोग रिहा होने के बाद अपने घर आज तक क्यों नहीं पहुंचे?
रिहाई मंच ने अखिलेश यादव सरकार को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर अपने पिता मुलायम सिंह यादव से भी बदतर और विफल करार देते हुए कहा है कि पूरे प्रदेश में जंगल राज कायम हो गया है, जिसमें सबसे बुरी स्थिति मुसलमानों की है। रिहाई मंच ने टांडा में मुस्लिम विरोधी हिंसा और कुंडा में रघुराज प्रताप सिंह के गुंडों ने डीएसपी जिया उल हक की हत्या पर प्रतिक्रिया में कहा कि अखिलेश सरकार को बताना चाहिए कि गुंडे सरकार चला रहे हैं या खुद उनकी सरकार गुंडों की भूमिका में आ गई है? सपा सरकार में ग्यारह बड़े दंगे, चार हजार हत्याएं और तीन हजार बलात्कार का जिक्र करते हुए कहा कि जब सरकार अपने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की रक्षा नहीं कर सकती तो जनता को कैसे सुरक्षा मुहैया कराएगी।
रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि जिस तरह टांडा में हिंदू युवा वाहिनी के नेता की निजी रंजिश में हत्या के बाद हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े अपराधियों ने पुलिस की मौजूदगी में चालीस मुसलमानों के घर फूंक दिए, उससे साफ हो गया है कि प्रदेश में सिर्फ जंगल राज कायम हो गया है। रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि प्रतापगढ़ के अस्थान गांव में हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा, जिसमें चालीस मुस्लिमों के घर जला दिए थे, अगर उसके जिम्मेदारों को सरकार ने जेल भेज दिया होता तो आज गुंडे सीओ जिया उल हक को मारने की हिम्मत नहीं करते। इसी तरह अगर सरकार ने फैजाबाद में हुए मुस्लिम विरोधी दंगों में ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाई होती तो टांडा के चालीस मुसलमानों के घर आगजनी के शिकार नहीं हुए होते।