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Wednesday 20 June 2018 04:57:07 PM
लखनऊ। हिंदी लेखन में अशुद्धियों से हिंदी भाषा के विशेषज्ञ भारी निराश हैं, उनका कहना है कि दुनिया हिंदी सीख रही पढ़ रही है और हमारे यहां हिंदीभाषी क्षेत्रों में ही हिंदी दम तोड़ रही है। इसे लेकर सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में राजभाषा कार्यांवयन समिति ने एक हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका शुभारंभ शंकरदेव कॉलेज शिलांग की हिंदी एवं संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष रहीं डॉ आशारानी त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि के रूपमें दीप प्रज्जवलन करके किया। राजभाषा समिति के सदस्य डॉ केके रावत ने इस अवसर पर कहा कि हिंदीभाषी क्षेत्र के कर्मचारियों को आधिकारिकतौर पर राजभाषा में कार्य करना अनिवार्य है और ऐसे में सुचारु रूपसे कार्य करने हेतु भाषागत नियमों की जानकारी होना अतिआवश्यक है।
डॉ आशारानी त्रिपाठी ने 'हिंदी लेखन में वर्ण एवं वर्तनी में होने वाली सामान्य अशुद्धियां' विषय पर वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को राजभाषा हिंदी में कार्य करने में होने वाली भाषागत अशुद्धियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी में कार्य करते समय अक्सर भाषागत नियमों की जानकारी न होने से लेखन में अशुद्धियां हो जाती हैं, जिनसे न सिर्फ लेखन अटपटा प्रतीत होता है, बल्कि भाव परिवर्तन हो जाने से लिखी गई बात के अर्थ तक बदल जाते हैं। डॉ आशारानी त्रिपाठी ने व्याकरण के स्वरूप एवं आवश्यकता का परिचय देते हुए शब्दों और वाक्य संरचना में होने वाली सामान्य अशुद्धियों पर चर्चा की और लेखन में अशुद्धियों से जागरुक रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हिंदी और संस्कृत भाषा की खूबसूरती एवं उसका महत्व उसके शुद्ध लेखन से ही बढ़ता है।
सीएसआईआर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आरएस कटियार ने मुख्य अतिथि एवं गणमान्य नागरिकों का स्वागत करते हुए कर्मचारियों का राजभाषा हिंदी में अधिक से अधिक कार्य करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में सभी वक्ताओं की इस बात पर गहरी चिंता थी कि हिंदी लेखन का स्तर दिनोंदिन गिर रहा है और पत्राचार की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदीभाषी क्षेत्र में हिंदी का अधिकतम प्रयोग किया जाए और हिंदी लेखन शुद्ध हो। हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजभाषा समिति के सदस्य सचिव आनंद प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम में संस्थान के हिंदी अधिकारी बिजेंद्र सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एसके तिवारी, डॉ पीए शिर्के, डॉ संजीव ओझा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।