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अक्षय ऊर्जा में कोयले से तीन गुना की वृद्धि!

फिर भी बैंकों में कोयले से बिजली के लिए कर्ज़ देने की होड़?

भारत में बिजली उत्‍पादन के माध्‍यम बड़ी तेजी से रूपांतरित

Monday 25 June 2018 12:00:05 PM

सीमा जावेद

सीमा जावेद

renewable energy

नई दिल्ली। भारत में बिजली उत्‍पादन के माध्‍यमों का तेजी से रूपांतरण हो रहा है। वर्ष 2017 में देश में अक्षय ऊर्जा उत्‍पादन क्षमता में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के मुकाबले तीन गुना से ज्‍यादा की वृद्धि हुई है, हालॉकि भारत के नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्‍लान 2016 के मसविदे के अनुसार इस समय निर्माणाधीन कोयला आधारित संयंत्रों के अलावा ऐसा कोई नया प्‍लांट नहीं लगाया जाएगा, फिर भी सरकारी स्‍वामित्‍व वाले बैंकों से उपलब्धकर्ज के चलते भारत में कोयले से बनने वाली बिजली के लिए वित्तपोषण में वृद्धि जारी है। इस आंकलन में यह विरोधाभास देखने को मिलता है कि जहां उत्तर प्रदेश और झारखंड दो ऐसे राज्य हैं, जिन्होंनेवर्ष 2017 में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए कोई कर्ज़ नहीं लिया, वहीं इनके विपरीततमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, पंजाब और उत्तराखंड राज्यों ने कोयला आधारित परियोजनाओं के लिए कोई क़र्ज़ नहीं लिया।
सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्‍थानों ने वर्ष 2017 में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के मुकाबले कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के लिए ज्‍यादा ऋण दिया, वहीं निजी बैंकों ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को अधिक कर्ज़ उपलब्‍ध कराया। सीएएफए के कार्यकारी निदेशक जो एथियाली ने इसपर कहा कि 'ऐसा लगता है कि सरकार और सार्वजनिक वित्तीय संस्थान बाज़ार बलों से नावाकिफ हैं। कोयले के विपरीत और सौर एवं पवन ऊर्जा की दिशा में आया बदलाव अब वित्तीय बाजारों में काफी अच्छी तरह से स्थापित है, फिर भी कोयले में निवेश करने से सार्वजनिक बैंकों के खराब ऋण देने का खुलासा हुआ है। कोयले और थर्मल संयंत्रों को खराब ऋण से बंधे बैंक लंबे समय तक ऐसी परेशान संपत्तियों को उधार देना जारी नहीं रखेंगे, नवीनीकरण के लिए संक्रमण अपरिहार्य है।'
कोयला आधारित बिजली संयंत्रों और अक्षय ऊर्जा संयंत्रों को मिले कर्ज़ के राज्‍यवार तुलनात्‍मक आंकड़े इस प्रकार हैं-आंध्र प्रदेश कोयला 8,985 करोड़ रुपए और अक्षय ऊर्जा 6,268 रुपए, छत्तीसगढ़ कोयला 10,089 और अक्षय ऊर्जा 160 करोड़ रुपए, गुजरात में कोयला 348 रुपए और अक्षय ऊर्जा 1,466 रुपए, झारखंड में कोयला 14,144 रुपए और अक्षय ऊर्जा 0 रुपए, कर्नाटक में कोयला 0 रुपए और अक्षय ऊर्जा 1,981 रुपए, मध्‍य प्रदेश में कोयला 4,959 और अक्षय ऊर्जा 1,326, कर्नाटक में कोयला 0 रुपए और अक्षय ऊर्जा 1,981 रुपए, महाराष्‍ट्र में कोयला 2,217 रुपए और अक्षय ऊर्जा 1,326, ओडिशा में कोयला 0 रुपए और अक्षय ऊर्जा 175 रुपए, पंजाब में कोयला 0 और अक्षय ऊर्जा 1,473 रुपए, राजस्‍थान में कोयला 2,884 रुपए और अक्षय ऊर्जा 1,780 रुपए, तमिलनाडु में कोयला 0 रुपए और अक्षय ऊर्जा 2,797 रुपए, तेलंगाना में कोयला 0 रुपए और अक्षय ऊर्जा 4,076 रुपए, उत्‍तर प्रदेश में कोयला 17,142 रुपए और अक्षय ऊर्जा 0 रुपए एवं उत्तराखंड में कोयला 0 रुपए और अक्षय ऊर्जा 287 रुपए है।
तुलनात्मक अध्‍ययन में 72 ऐसी बिजली परियोजनाओं को चिह्नित करके उनकी समीक्षा की गई है, जिनका वित्तपोषण किया गया है। इनमें कोयले से चलने वाले बिजलीघर और अक्षय ऊर्जा इकाइयां दोनों शामिल हैं, जिनका वर्ष 2017 में वित्तीय वर्ष समाप्‍त हुआ है। इन परियोजनाओं ने कुल 83,680 करोड़ रुपये यानी 12.85 अरब डॉलर बतौर कर्ज़ हासिल किए हैं। अध्‍ययन में कुल 17 गीगावॉट उत्‍पादन क्षमता वाली 12 कोयला आधारित परियोजनाओं को 60,767 करोड़ रुपये यानी 9.35 अरब डॉलर का कर्ज़ देने वाले 38 विभिन्‍न कर्ज़दाताओं को चिह्नित किया गया है, जिनमें से शीर्ष 10 की सूची इस प्रकार है-वर्ष 2017 में भारत में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का वित्तपोषण करने वाले 10 कर्जदाता ऋणदाता रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन ₹ 14,951$2,325, भारतीय स्‍टेट बैंक₹ 11,360 $1,755, एक्सिस बैंक ₹ 3,727 $570, इंडिया इफ्रास्‍ट्रक्‍चर फाइनेंस कम्‍पनी₹ 3,450$527, पॉवर फाइनेंस कॉरपोरेशन ₹ 2,561$391,इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट फाइनेंस कम्‍पनी₹ 2,505 $383, बैंक ऑफ बड़ौदा₹ 2,459$375, बैंक ऑफ इण्डिया₹ 2,176$332, पंजाब नेशनल बैंक ₹ 2,113$323, केनरा बैंक₹ 2,021$309 ।
अध्‍ययन रिपोर्ट के मुख्‍य बिंदु इस प्रकार हैं-कोयले से चलने वाली 12 बिजली परियोजनाओं को इस अध्‍ययन के दायरे में लिया गया है। कुल 17 गीगावॉट उत्‍पादन क्षमता वाली इन परियोजनाओं को 60,767 करोड़ रुपये यानी 9.35 अरब डॉलर का कर्ज़ मिला, जो विश्‍लेषण के दायरे में ली गई परियोजनाओं को मिले कुल ऋण का 73 प्रतिशत है। कुल 4.5 गीगावॉट उत्‍पादन क्षमता वाली अक्षय ऊर्जा संबंधी 60 परियोजनाओं को मात्र 22,913 करोड़ रुपये यानी 3.50 अरब डॉलर का कर्ज़ मिला, जो विश्‍लेषण में शामिल परियोजनाओं को मिले कुल ऋण का 27 प्रतिशत है। शीर्ष 10 कर्ज़ प्राप्‍तकर्ताओं में से अक्षय परियोजनाओं को ऋण देने वाले वित्‍तीय संस्‍थानों में निजी तथा सरकारी दोनों ही तरह के बैंक शामिल हैं, वहीं कोयले से चलने वाली बिजली परियोजनाओं को मुख्‍यत: सरकारी स्‍वामित्‍व वाली वित्‍तीय संस्‍थाओं से कर्ज़ मिला है।
कोयला आधारित परियोजनाओं और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को कर्ज़ मिलने का सिलसिला कुछ ही राज्‍यों तक सीमित है। छत्तीसगढ़ और मध्‍य प्रदेश जैसे राज्‍यों में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के मुकाबले कोयला आधारित परियोजनाओं को तीन गुना से ज्‍यादा ऋण दिया गया है। वर्ष 2017 में कोयला आधारित बिजली क्षेत्र में ज्‍यादातर कर्ज़ ऐसी परियोजनाओं को मिला जो वर्तमान में अस्तित्‍व में हैं, वहीं अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की मुख्‍यत: ऐसी परियोजनाओं को ऋण मिला जो नई हैं। उत्तर प्रदेश और झारखंड दो ऐसे राज्य हैं, जिन्होंनेवर्ष 2017 में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए कोई क़र्ज़ नहीं लिया, वहीं इनके विपरीत 6 राज्यों-तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक ओडिशा, पंजाब और उत्तराखंड राज्यों ने कोयला आधारित परियोजनाओं के लिए कोई क़र्ज़ नहीं लिया।

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