स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 4 July 2018 03:22:02 PM
नई दिल्ली। भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा के साथ चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने में नागरिकों को सक्षम बनाने के लिए 'सीविजिल' ऐप लांच किया है। ओपी रावत ने सीविजिल ऐप के बारे में बताया कि यह यूजर्स सहज और एंड्रायड एप्लीकेशन संचालन में आसान है, यह ऐप उन्हीं स्थानों पर चालू होगा, जहां चुनाव की घोषणा की गई है, लेकिन ऐप का बीटा वर्जन लोगों और चुनाव कर्मियों के लिए उपलब्ध होगा, ताकि ये लोग इसकी विशेषताओं से परिचित हो सकें और डमी डाटा भेजने का प्रयास कर सकें। उन्होंने बताया कि परीक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने पर इसे सार्वजनिक रूपसे लोगों द्वारा इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा और यह उपलब्धता छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम एवं राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव से ही होगी। ओपी रावत ने बताया कि चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान ऐप का व्यावहारिक उपयोग अगले लोकसभा चुनाव के दौरान व्यापक रूपसे करने से पहले पायलट प्रयास के रूपमें काम करेगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने जानकारी दी कि 'सीविजिल' ऐप के लिए कैमरा, इंटरनेट कनेक्शन एवं जीपीएस लैस एंड्रायड स्मार्ट फोन जरूरी है। उन्होंने कहा कि संचालन प्रणाली एंड्रायड जेलीबिन और उससे ऊपर की होनी चाहिए। एप्लीकेशन सभी नवीनतम एंड्रायड स्मार्ट फोनों के साथ कार्य करता है। ओपी रावत ने कहा कि 'सीविजिल' चुनाव वाले राज्यों में किसी भी व्यक्ति को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है, यह अनुमति निर्वाचन घोषणा की तिथि से प्रभावी होती है और मतदान के एक दिन बाद तक बनी रहती है। उन्होंने कहा कि नागरिक इस ऐप का इस्तेमाल करके कदाचार की घटना देखने के मिनटभर में घटना की रिपोर्ट कर सकते हैं और नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने के लिए पीठासीन अधिकारी के कार्यालय की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
ओपी रावत ने बताया कि जागरुक नागरिक को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दृश्य वाली केवल एक तस्वीर क्लिक करनी है या अधिक से अधिक दो मिनट की अवधि की वीडियो रिकॉर्ड करनी है। उन्होंने जानकारी दी कि स्वचालित स्थान मानचित्रण का कार्य ऐप द्वारा भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग से किया जाएगा, ऐप के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रस्तुति के बाद जागरुक नागरिक को एक यूनिक आईडी प्राप्त होता है, ताकि वह अपने मोबाइल पर आगे की कार्रवाई को जान सके और सूचना प्राप्त कर सके, इस तरह एक नागरिक उल्लंघन की अनेक रिपोर्ट कर सकते हैं और प्रत्येक रिपोर्ट के लिए उन्हें यूनिक आईडी दिया जाएगा, शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि शिकायत दर्ज होने के बाद सूचना जिला नियंत्रण कक्ष को प्राप्त होती है, जहां से इसे फील्ड इकाई को सौंपा जाता है।
निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि फील्ड इकाई में फ्लाइंग स्क्वायड स्टैटिक निगरानी दल, आरक्षित दल होते हैं, प्रत्येक फील्ड इकाई के पास एक जीआईएस आधारित मोबाइल एप्लीकेशन होगा, जिसे सीविजिल डिस्पैचर कहा जाता है, यह मोबाइल एप्लीकेशन इकाई को स्थान पर सीधे पहुंचने और कार्रवाई करने की अनुमति देता है। उन्होंने बताया कि फील्ड इकाई द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद यह कार्रवाई रिपोर्ट के रूपमें संदेश भेजता है और प्रासंगिक दस्तावेज सीविजिल डिस्पैचर के माध्यम से संबंधित पीठासीन अधिकारी को उनके निर्णय और निष्पादन के लिए अपलोड करता है। उन्होंने बताया कि यदि कदाचार की घटना सही पाई जाती है तो आगे की कार्रवाई के लिए सूचना भारत निर्वाचन आयोग के राष्ट्रीय शिकायत पोर्टल को भेजी जाती है और जागरुक नागरिक को 100 मिनट के अंदर की गई कार्रवाई की सूचना दी जाती है।
सीविजिल ऐप में दुरुपयोग रोकने की अंतरनिहित विशेषताएं हैं, यह ऐप केवल आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के बारे में शिकायत प्राप्त करता है। तस्वीर लेने या वीडियो बनाने के बाद यूजर्स को रिपोर्ट करने के लिए पांच मिनट का समय मिलेगा। किसी तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए ऐप पहले से रिपोर्ट किए गए या पहले ली गई तस्वीरों या वीडियो अपलोड करने की अनुमति नहीं देगा। सीविजिल ऐप का इस्तेमाल करते हुए फोटो और रिकॉर्डेड वीडियो को फोटो गैलरी में सेव करने की सुविधा नहीं होगी। यह ऐप चुनाव वाले राज्यों से नागरिक के बाहर निकलते ही निष्क्रिय हो जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि अभी तक आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर फौरी कार्रवाई नहीं की जा सकी है, जिसके कारण उल्लंघनकर्ता कार्रवाई से बच जाते हैं, शिकायत के सत्यापन में तस्वीर या वीडियो के रूपमें दस्तावेजी साक्ष्य की कमी भी एक बाधा थी, मजबूत अनुक्रिया प्रणाली के आभाव में घटना स्थल की त्वरित और सटीक पहचान भौगोलिक स्थान विवरण की सहायता से नहीं की जा सकती थी, लेकिन सीविजिल ऐप इन सभी खाईयों को पाटेगा और फास्ट ट्रैक शिकायत प्राप्ति और समाधान प्रणाली का कारगर माध्यम बनेगा।