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पद्मश्री अनवर जलालपुरी याद किए गए!

'वे एक राष्ट्रवादी मानववादी शायर एवं विद्वान ‌थे'

हेल्प यू ट्रस्ट में हुई उनके जन्मदिन पर संगोष्ठी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 7 July 2018 03:44:46 PM

padmashree anwar jalalpuri birthday, by help u trust lucknow

लखनऊ। साहित्यकार एवं शायर और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक रहे पद्मश्री अनवर जलालपुरी के 71वें जन्मदिन पर उनकी याद में चैरिटेबल ट्रस्ट ने 'शायरी और दानिश्वरी का संगम : अनवर जलालपुरी' विषय पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान परिसर के निराला सभागार लखनऊ में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि अनवर जलालपुरी क़ौमी एकता के अलमबरदार थे, उनके अंदर मानवीय हमदर्दियां कूट-कूट कर भरी थीं, वे राष्ट्रवाद एवं भाषाई एकता के पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि अनवर जलालपुरी की शायरी में जगह-जगह इंसानियत की हिफाज़त और भाईचारे का पैग़ाम मिलता है तो राष्ट्र की एकता और अखंडता को कायम रखने की भरपूर कोशिश भी नज़र आती है, ज़नाब अनवर साहब में यह भावना कूट-कूट कर भरी थी।
अनवर जलालपुरी पर संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की अध्यक्ष पद्मश्री प्रोफेसर आसिफा ज़मानी ने अनवर जलालपुरी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने उम्र के आखिरी लम्हों तक मुशायरों में उर्दू की तहज़ीब को ज़िंदा रखा, उनकी गुफ्तगू से इल्म हासिल होता था, उन्होंने उर्दू अदब में बहुत ही नुमाया और ना भूलने वाला योगदान किया है। प्रोफेसर आसिफा ज़मानी ने कहा कि उन्होंने जिस प्रकार से गीता सहित कई भाषाओं के साहित्य का उर्दू में अनुवाद किया, वैसा अदब का काम देश की आज़ादी के बाद किसी उर्दू के साहित्यकार ने पहली बार किया। सीनियर पीसीएस अधिकारी और शायर मनीष शुक्ला ने कहा कि जब भी हिंदुस्तान के मुशायरों का ज़िक्र छिड़ेगा, अनवर जलालपुरी साहब का नाम अव्वल-अव्वल रहेगा, उन्होंने शेर-ओ-अदब की विरासत को नई नस्ल तक पहुंचाने का सराहनीय काम किया है।
कवि सर्वेश अस्थाना भी इस अवसर पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अनवर जलालपुरी हिंदी की नई पीढ़ी के लिए उर्दू के शब्द कोष थे और उनकी ख़ास बात ये थी कि वह किसी भी विषय को विस्तार से समझाते थे, राष्ट्रीय एकता और बंधुत्व का प्रयास उनकी रचनाओं एवं भाषणों में सदा ही रहता था, उन्हें हिंदी और उर्दू गद्य का अतुलनीय ज्ञान था। आयुष चिकित्सा के पूर्व निदेशक डॉ हस्सान नगरामी ने कहा कि अनवर जलालपुरी एक महान कवि भी थे, जिन्होंने अपनी कविताओं को सामाजिक भाषाई और राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने का माध्यम बनाया, जैसेकि श्रीमद्भागवद गीता एवं क़ुरआन शरीफ के तीसवें अध्याय को उर्दू शायरी का जामा पहनाया। उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के रजिस्ट्रार महेंद्र भीष्म ने अनवर जलालपुरी के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वे जो साहित्यिक थाती छोड़कर गए हैं, आने वाली पीढ़ियों को उससे ज्ञान का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कवि उदय प्रताप सिंह ने कहा कि अनवर जलालपुरी हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब के अलमबरदार थे, उन्होंने जीवनभर देश में भाईचारे का संदेश दिया, उनको हिंदुस्तान की विभिन्न भाषाओं के साहित्य का ज़बरदस्त ज्ञान था, उन्होंने साहित्य और कविता को हमेशा स्तरीय बनाए रखा। संगोष्ठी में मुंबई की छात्रा मरियम आसिफ सिद्दीकी भी उपस्थित थी, जिसने श्रीमद्भागवद गीता कंटेस्ट में भाग लेकर पुरस्कार अर्जित किया था। हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक और प्रबंध न्यासी हर्षवर्धन अग्रवाल ने संगोष्ठी में आए लोगों को धन्यवाद दिया एवं चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से वक्ताओं को 'स्मृति चिन्ह' प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। संगोष्ठी का संचालन मशहूर शायर हसन काज़मी ने किया।

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