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Friday 13 July 2018 04:39:54 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने छात्रों से कहा है कि वे अनुशासित रहें और दूसरों की मदद जैसे उच्च जीवन मूल्यों को अपनाएं। उपराष्ट्रपति ने यूनेस्को की देख-रेख में यूक्रेन और पोलैंड में हुए बहादुर बच्चे अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में ‘द इंटरनैशनलस मूवमेंट ऑफ चिल्ड्रेन एंड देयर फ्रेंड्स’ में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके छात्रों से बातचीत करते हुए ये बातें कहीं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में कई मौजूदा चुनौतियां विभिन्न संस्कृतियों की समझ के अभाव के चलते उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान से संबंधों को मजबूत करने, संपर्क बनाने और देशों के बीच शांति को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
वेंकैया नायडु ने कहा कि विभिन्न देशों की संस्कृतियों को समझने से बच्चों के वैश्विक नागरिक बनने में मदद मिलती है और उनका वैश्विक ज्ञान बढ़ता है, इससे बच्चों में विभिन्न विचारों, रीति-रिवाज़ों और परंपराओं के प्रति आदर और सहनशीलता पैदा होती है। उन्होंने बच्चों को प्रौद्योगिकी के नकारात्मक प्रभाव और दुरूपयोग के प्रति आगाह किया और कहा कि ज्ञान अर्जित करने के लिए ही प्रौद्योगिकी का उपयोग करें। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दी कि वे एक लक्ष्य निर्धारित करें और उसे हासिल करने तक पूरी तत्परता के साथ कड़ी मेहनत करें। इस मौके पर उन्होंने स्वामी विवेकानंद के उस विचार को दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था कि उठो, जागो और लक्ष्य हासिल होने तक रुको नहीं।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखने की सलाह दी, लेकिन ये भी कहा कि वे मातृभाषा की अनदेखी ना करें। उन्होंने कहा कि भाषा संस्कृति मनुष्य के मूल्यों, रीति-रिवाज़ों और पारंपरिक ज्ञान को साकार करती है, इसी वजह से किसी सभ्यता के विस्तृत सांस्कृतिक पहलू के संरक्षण के लिए भाषा को बचाना जरूरी होता है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने भारतीय संस्कृति और परंपरा पर आधारित छात्रों के प्रदर्शन का भी आनंद लिया। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति देश की युवा पीढ़ी को हमेशा प्रेरित करते हैं और आह्वान करते हैं कि वह देश को वैश्विक शक्ति से समृद्धशाली बनाएं।