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गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाए-राष्ट्रपति

'विनिर्माण व पूंजी उपयोग में लागत लेखाकारों की मांग बढ़ी'

भारतीय लागत लेखाकार संस्थान की प्लैटिनम जयंती

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 16 July 2018 04:49:41 PM

president ramnath kovind

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय लागत लेखाकार संस्थान के प्लैटिनम जयंती समारोह का उद्घाटन किया और कहा कि लागत लेखाकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्पादों एवं सेवाओं की प्रदायगी प्रतिस्पर्धी कीमत पर हो, लेकिन गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाए। राष्ट्रपति ने कहा कि लागत लेखाकार प्रक्रियाओं विशेष रूपसे विनिर्माण एवं पूंजीगत उपयोग में दक्षता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वैश्विक विनिर्माण और विकसित होता जाएगा और मेक इन इंडिया कार्यक्रम के साथ आने वाले दशक में भारत परिपक्व होता जाएगा, लागत लेखाकार की भूमिका भी पहले से और अधिक बड़ी होती जाएगी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि लागत लेखाकारों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्पादन में बेकार की गतिविधियां और लागत खत्म हो जाए, उनको प्रक्रियाओं में नवोन्मेषण और बेहतरी लाने में मदद करनी चाहिए एवं वैसी लागतों में कमी लानी चाहिए, जिनसे बचा जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ती जाएगी, उन्हें उम्मीद है कि लागत लेखाकारों की मांग भी तेजी से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार व उसके मंत्रालय और केंद्र सरकार के विभाग भी व्ययों एवं लागतों को युक्तिसंगत बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। भारतीय लागत लेखाकार संस्थान के प्लैटिनम जयंती समारोह में केंद्रीय कंपनी मामले एवं कानून तथा विधि राज्यमंत्री पीपी चौधरी, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और आईसीएआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
कंपनी मामले राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि आईसीएआई ने इन 75 वर्ष में 74,000 लागत लेखाकार पैदा किए हैं, जिसने इसे विश्व में दूसरा सबसे बड़ा एवं एशिया में सबसे बड़ा लागत लेखा निकाय बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसी विश्व की सबसे तेज़गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था में लागत लेखाकार अपरिहार्य हैं। गौरतलब है कि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान भारत की प्रमुख लेखांकन संस्था है, जो लागत लेखा के व्यवसाय को आगे बढ़ाने, नियंत्रित करने और उसे विकसित करने का कार्य करती है। भारतीय संसद के अधिनियम के अंतर्गत 'दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया' का नाम भारत सरकार के गजट के अंतर्गत दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया कर दिया गया है। इसके अलावा सभी मेंबर आईसीडब्ल्यूए से अब कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट यानी सीएमए बन गए हैं।

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