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Tuesday 24 July 2018 01:33:04 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने मॉब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा हिंसा से हुई मौतों पर कड़ी निंदा व्यक्त की है और ऐसे मामलों को नियंत्रित करने के सुझाव देने के लिए केंद्रीय गृह सचिव राजीव गॉबा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में मंत्री समूह समिति की अनुशंसाओं पर विचार करेगा। समिति के सदस्यों में न्याय विभाग, कानूनी मामलों के विभाग, विधायी विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव होंगे, जो चार सप्ताह में अपनी अनुशंसाएं सरकार के समक्ष रखेंगे और मंत्री समूह के सदस्यों में विदेश मंत्री, सड़क परिवहन व राजमार्ग, नौवहन, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री, कानून व न्यायमंत्री तथा सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अपनी अनुशंसाएं प्रधानमंत्री को सौंपेंगे।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में मॉब लिंचिंग से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी और कहा कि उनकी सरकार ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करती है। गौरतलब है कि देश के कुछ हिस्सों में भीड़ द्वारा हिंसा करने की कई घटनाएं हुई हैं और कहीं-कहीं तो इनके गंभीर दुष्परिणाम सामने आए हैं, जो समाज और देश दोनों के लिए काफी चिंता का विषय है। भारत सरकार ने ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा की है और संसद में इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने रूख को स्पष्ट किया है कि वह कानून का शासन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है एवं ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए राज्य सरकारों को भी सख्त कदम उठाने होंगे।
भारतीय संविधान के अनुसार पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य के विषय होते हैं। अपराध को नियंत्रित करने, कानून-व्यवस्था को बनाए रखने और नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार होती हैं। अपराध की रोकथाम करने के लिए कानून बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। गृह मंत्रालय ने समय-समय पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराध की रोकथाम करने के लिए परामर्श जारी किया है। बच्चा चोरी के संदेह पर 4 जुलाई 2018 को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने के मामले में सलाह जारी की गई थी, इसके पहले 9 अगस्त 2016 को गौरक्षा के नाम पर उपद्रवियों द्वारा गड़बड़ी फैलाने के संदर्भ में सलाह जारी की गई थी।
केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट किया है कि वह भीड़ द्वारा हिंसा करने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का सम्मान करती है। केंद्र सरकार ने सलाह जारी करते हुए राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे भीड़ की हिंसा और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं की रोकथाम करने के लिए प्रभावी कदम उठाएं और इन मामलों में कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई भी करें। राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के 17 जुलाई 2018 को दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए उन्हें सख्ती से लागू करें।