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Saturday 28 July 2018 04:33:21 PM
लखनऊ। हरिकृष्ण अवस्थी संसदीय अध्ययन केंद्र के डॉ हरिकृष्ण अवस्थी जयंती पर भारतेंदु नाट्य अकादमी में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक ने संसदीय प्रणाली एवं व्यवस्था में उत्कृष्ट योगदान हेतु लखनऊ के सांसद और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे लालजी टंडन का ‘पंडित हरिकृष्ण विधायिका सम्मान’ से स्मृतिचिन्ह और अंगवस्त्र देकर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय, पूर्व मंत्री डॉ अम्मार रिज़वी, पंडित हरिकृष्ण संस्थान की अध्यक्ष डॉ आभा अवस्थी, गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आरके मिश्रा, विशिष्टजन राजनीतिक एवं सामाजिक हस्तियां उपस्थित थीं।
राज्यपाल राम नाईक ने इस अवसर पर आचार्य हरिकृष्ण अवस्थी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां उपस्थित अधिकतर लोग आचार्य हरिकृष्ण से किसी न किसी रूप में परिचित हैं, शायद मैं अकेला हूं, जिसने उनको न देखा है न सुना है पर उनको पढ़ा जरूर है। यह संयोग का दिन है कि आज हरिकृष्ण का जन्मदिवस भी है, गुरू पूर्णिमा है तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की तीसरी पुण्यतिथि भी है, मैं इस अवसर पर दोनों महापुरूषों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। राम नाईक ने कहा कि आचार्य अवस्थी के बारे में जो पढ़ा और सुना है, उससे प्रेरणा मिलती है कि उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की, छात्रसंघ के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए, इसी विश्वविद्यालय में शिक्षक रहे और बाद में यहां के कुलपति भी रहे, यही नहीं वे छहबार लगातार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए स्नातक प्रतिनिधि चुने गए, उनकी योग्यता का ही प्रमाण है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिये आमंत्रित किया।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मैं 28 विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति हूं, एक कुलपति पद के लिए सैकड़ों आवेदनपत्र प्राप्त होते हैं, अनेक सिफारिशें आती हैं, शायद उनके जैसा कोई व्यक्ति दूसरा नहीं होगा, जिसने कुलपति और जनप्रतिनिधि दोनों दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया हो। राज्यपाल ने कहा कि पंडित हरिकृष्ण अवस्थी संसदीय अध्ययन केंद्र का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए और निर्माण से जुड़ी सभी आवश्यकताओं को जल्द पूरा करके महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर उसका शिलान्यास किया जाए। उन्होंने कहा कि पंडित हरिकृष्ण अवस्थी समाज के सामने एक आदर्श थे, उनको याद रखने के लिये अध्ययन केंद्र की कल्पना एक स्मारक की तरह है। उन्होंने आश्वस्त किया कि निर्माण में यदि मेरे सहयोग की आवश्यकता होगी तो मैं राज्य सरकार से बात करुंगा। उन्होंने कहा कि निर्माणकार्य में ‘कॉस्ट ओवर रन’ और ‘टाइम ओवर रन’ का ध्यान रखा जाए।
बाणसागर नहर परियोजना पूर्ण होने की लेटलतीफी की चर्चा करते हुए राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई ने 1978 में जिस परियोजना का शिलान्यास किया था, वह 2018 में पूरी हुई, जिसकी लागत 320 करोड़ रूपये की जगह रूपये 3,420 करोड़ हो गई थी, लिहाजा ऐसा नहीं होना चाहिए, निर्माण परियोजनाएं अपने बजट और समय के भीतर ही पूरी होनी चाहिएं। राज्यपाल ने लालजी टंडन को बधाई देते हुए कहा कि उनको देखकर लखनऊ का परिचय होता है, उन्होंने संसदीय परम्पराओं का सदैव ध्यान रखा और लखनऊ के पार्षद से लेकर विधायक, मंत्री एवं सांसद तक का सफर उनकी सामाजिक, राजनीतिक सफलताओं की विशेषता है। उन्होंने कहा कि एक योग्य संस्था ने एक योग्य व्यक्ति का सम्मान किया है। राज्यपाल ने कहा कि विधानमंडलों के निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्यों को संसदीय परम्पराओं के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने वर्ष 2000 में मुंबई में स्थापित ‘रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी’ संस्थान का उल्लेख किया जहां पंचायत से लेकर सांसद एवं मंत्रियों आदि सबके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण से जनप्रतिनिधियों की कार्यक्षमता बढ़ती है।
लालजी टंडन ने अपने सम्मान में पंडित हरिकृष्ण अवस्थी को याद करते हुए कहा कि आचार्य अवस्थी लखनऊ विश्वविद्यालय में उनके गुरू थे तथा विधान परिषद में उनका लम्बा साथ रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टी अलग होने के बावजूद भी उनके स्नेह में कोई कमी नहीं थी, उन्होंने उनका स्नेहिल भाव और रौद्र रूप दोनों देखे हैं, वे विधायी परम्परा के जानकार, योग्य एवं अनुभवी व्यक्ति थे। लालजी टंडन ने आचार्य अवस्थी से जुडे़ कई संस्मरण भी सुनाए। विधानसभा अध्यक्ष रहे माताप्रसाद पांडेय ने कहा कि आचार्य अवस्थी से उनके पुराने संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी 1980 में उनसे पहली भेंट हुई थी, वे बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहते थे, उनसे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि आचार्य अवस्थी हर भूमिका में अदम्य साहस से काम करते थे। उत्तर प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री रहे डॉ अम्मार रिज़वी ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा डॉ आभा अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।