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गोंडा में स्‍थानीय निकायों की शर्मनाक विफलता

ज़िले में गंदगी व पानी से लेकर सुगम यातायात तक अवरुद्ध

एक ही बारिश ने खोली करोड़ों रुपयों के विकास की पोल

Wednesday 1 August 2018 11:17:59 AM

मनोज मौर्य

मनोज मौर्य

blocked from dirt and water in gonda district to accessible traffic

गोंडा। अब तक बारिश के लिए तरस रहे थे और अब तीन दिन से हो रही मानसूनी बरसात जिला मुख्यालय, कस्बाई क्षेत्रों में जलभराव और जगह-जगह कीचड़ हर किसी के लिए मुसीबत बन गई है। आबादियों के भीतर तो नर्क जैसी स्थिति है। गोंडा शहर में बड़गांव पुलिस चौकी से लेकर रानी बाजार तक की सड़क का हाल तो बद से बदतर है। पूरी सड़क पर छोटे-छोटे तालाब से दिखाई दे रहे हैं। सड़क पर चलना भी अपनी जान को जोखिम में डालने जैसा है। जिले के बाकी कस्बे भी पूरी तरह से जलभराव और कीचड़ से सराबोर हो चुके हैं।
सबसे बड़ी वजह है इन इलाकों में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था न होना है जो शासन, स्‍थानीय प्रशासन की उदासीनता और कस्बों एवं नगरों की बुनियादी सुविधाओं के लिए जवाबदेह स्‍थानीय निकायों की शर्मनाक विफलता है। यहां सभी कटघरे में खड़े नज़र आ रहे हैं। रहवासी भी कम जिम्मेदार नहीं माने जा रहे हैं, जिनमे से अधिकांश रहवासियों ने बेतरतीब निर्माण और अवैध कब्जे किए हुए हैं, जिससे सब तरफ गंदगी, पानी से लेकर सुगम यातायात तक अवरुद्ध है। एक ही बारिश ने करोड़ों रुपयों के विकास की पोल खोलकर रख दी है।
गोंडा शहर के बड़गांव से स्टेशन रोड तक का इलाका बारिश के कारण बड़े-बड़े गड्ढों में बदल गया है। यहां की निर्माणाधीन सड़क कबतक पूरी होगी, स्‍थानीय प्रशासन में इसे कोई नहीं बता पा रहा है। बरसात से तो यह सड़क बहुत खतरनाक और जानलेवा हो गई है। लोगों के आवागमन का कोई विकल्प भी नहीं है। यही हाल बस अड्डे, घोसियाना, पटेलनगर, तरबगंज-गोंडा मार्ग का भी है, जो शासन-प्रशासन के विकास के तमाम दावों की कलई खोल रहा है। प्रशासन का कोई भी अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि गोंडा जनपद में विकास और विभिन्न क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं के लिए जो बजट आया था, वह कहां खर्च हुआ है? गावों कस्बों और नगरों में एक ही बारिश में सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया?
ज़िला मुख्यालय से पच्चीस किलोमीटर दूर फैज़ाबाद-गोंडा राजमार्ग पर वजीरगंज कस्बे में पानी की निकासीका प्रबंध न होने के कारण पूरा कस्बा नर्क की शक्ल अख्तियार कर चुका है। कस्बे में जगह-जगह कूड़ा करकट से पटी नालियों से जल भराव हो गया है। थाने के सामने की सड़क झील में तब्दील हो गई है। गिरधारी पुरवा मुहल्ले का हाल तो और भी बदहाल है, जहां आधी अधूरी नालियां के कारण बारिश का पानी और नाली का गंदा पानी सड़क एवं निचले स्थानों पर भर गया है। यह पूर्ववर्ती और वर्तमान ग्राम प्रधानों के भ्रष्टाचार की जीती जागती मिसाल है।
इटियाथोक क्षेत्र की जर्जर व टूटी-फूटी सड़कें भी इस बारिश के जलभराव तथा कीचड़ से सराबोर हो गई हैं, जिसने कस्बे के लोगों के हाथ-पांव बांध दिए हैं। कस्बे और क्षेत्र के लोगों का आवागमन बाधित है। कस्बे के बीचोंबीच और गली मुहल्लों में कीचड़ एवं जलभराव के कारण क्षेत्र के इटियाथोक-बाबागंज, परसिया-बहोरीपुर, दिखलौल, अयाह-रमगढ़िया, वेदपुर, शिवपुरिया, विशुनपुर के लोगों के साथ स्कूल जानेवाले बच्चे आवागमन की परेशानियां झेलने को मजबूर हैं। स्‍थानीय प्रशासन के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वह विकास के दावों को सिद्ध करे, क्योंकि राज्य सरकार तो गोंडा को धन जारी करने का कार्यकर चुकी है।

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