स्वतंत्र आवाज़
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बाज़ारों में आईं उगाई जा सकने वाली राखियां

राखियों के जरिए लोगों तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश

ट्राइफेड कर रहा पर्यावरण अनुकूल राखियों की बिक्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 11 August 2018 03:37:26 PM

eco-friendly raakhiyaan

नई दिल्ली। भारत सरकार में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के स्वायत्त संगठन ट्राइफेड पर्यावरण अनुकूल राखियों की बिक्री कर रहा है। ये राखियां ट्राइफेड की खुदरा दुकानों, ट्राइब्स इंडिया की सभी शाखाओं, मंत्रालय के वेबपोर्टल Tribesindia.com के अलावा अमेजॉन, स्नैपडील, पे-टीएम और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स पोर्टलों पर भी उपलब्ध हैं। राखियों के अलावा इन ई-कॉमर्स पोर्टलों पर रक्षाबंधन के अवसर पर विशेष पारंपरिक परिधानों की बिक्री भी की जा रही है। राखी के त्योहार के लिए ट्राइफेड ने थीम रखी है-'चलिए इस बार हम पर्यावरण अनुकूल और उगाई जा सकने वाली राखियां बांधकर पर्यावरण के प्रति अपनी जवाबदेही और लगाव को व्यक्त करें।'
ट्राइफेड की ओर से पेश किए गए ये सभी उत्‍पाद कपड़े और सीड पेपर से बनाए गए हैं। इन सीड पेपरों को मध्य प्रदेश के ओरछा की साहरिया आदिवासी महिलाओं ने बनाया है, इनमें तुलसी और गेंदे के बीजों का प्रयोग किया गया है, इसलिए इन्हें उगाया जा सकता है। ट्राइफेड ने इन राखियों के जरिए लोगों तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रभावी तरीके से पहुंचाने की कोशिश की है। साहरिया आदिवासी समुदाय के अलावा राखियां बनाने के काम में हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों की महिलाओं को भी जोड़ा गया है।

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