स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 14 August 2018 12:33:40 PM
नई दिल्ली। भारतीय गृह मंत्रालय ने स्वतंत्रता दिवस से पहले सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रशासनों के मुख्य सचिवों, प्रशासकों और भारत सरकार के सभी मंत्रालयों एवं विभागों के सचिवों को परामर्श जारी करके भारत की ध्वज संहिता 2002 और राष्ट्रीय सम्मान के प्रति अपमान रोकथाम अधिनियम 1971 में शामिल प्रावधानों का कठोरता से अनुपालन करने को कहा है। गृह मंत्रालय के परामर्श में दोहराया गया है कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इसे सम्मान का स्थान मिलना चाहिए।
ग़ौरतलब है कि गृह मंत्रालय के ध्यान में यह बात आई है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों पर कागज़ के बने राष्ट्रीय ध्वज के स्थान पर प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किया जाता है, जो कागज से बने ध्वज की तरह स्वाभाविक तरीके से नष्ट नहीं होते हैं, इसलिए ध्वज की गरिमा को देखते हुए प्लास्टिक से बने ध्वज व्यावहारिक समस्या हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक आदरभाव, सम्मान और विश्वास होना चाहिए, फिर भी लोगों, संगठनों और एजेंसियों में राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन में कानून, व्यवहार एवं परंपरा के प्रति जागरुकता में कमी देखी जाती है। गृह मंत्रालय ने परामर्श में यह निर्देश दिया है कि इस संबंध में व्यापक जागरुकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए और इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
गृह मंत्रालय ने परामर्श में कहा है कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक और खेल आयोजनों पर भारतीय ध्वज संहिता 2002 के प्रावधानों के अनुसार केवल कागज से बने ध्वज का उपयोग किया जाए, कागज से बने झंडों का तिरस्कार नहीं किया जाना चाहिए और आयोजन के बाद इसे जमीन पर नहीं फेंका जाना चाहिए। इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया में प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग को रोकने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय सम्मान अनादर रोकथाम अधिनियम 1971 एवं भारत की ध्वज संहिता 2002 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन किया जाता है। दोनों की प्रति गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.nic.in पर उपलब्ध है।