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Thursday 6 September 2018 04:03:11 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में केंद्रीय हिंदी समिति की 31वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए समिति के सभी सदस्यों का रचनात्मक और व्यवहारिक सुझाव रखने के लिए अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का प्रसार आम बोलचाल की भाषा में ही होना चाहिए और सरकारी कामकाज में भी क्लिष्ट तकनीकी शब्दों का प्रयोग कम से कम ही किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकारी और सामाजिक हिंदी के बीच फासला कम करने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि शिक्षा संस्थान इस अभियान की अगुवाई करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वभर में अपने अनुभवों की चर्चा करते हुए सदस्यों को आश्वस्त किया कि हम हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं के माध्यम से पूरी दुनिया से जुड़ सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम तमिल जैसी विश्व की प्राचीनतम भारतीय भाषाओं पर भी गर्व करते हैं। उन्होंने कहा कि देश की सभी भाषाएं हिंदी को भी समृद्ध कर सकती हैं, इस सम्बंध में उन्होंने सरकार की एक भारत, श्रेष्ठ भारत पहल का भी उल्लेख किया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के स्वागत संबोधन के उपरांत सचिव राजभाषा ने कार्यसूची के अनुरूप विभिन्न विषयों पर अब तक हुई प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
हिंदी समिति की बैठक में विभिन्न सदस्यों ने विभिन्न बिंदुओं पर और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार से सम्बद्ध मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। सदस्यों की राय थी कि हिंदी का प्रचार-प्रसार केवल बैठकों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हिंदी विकास की कार्ययोजनाओं पर समयबद्ध कार्य सुनिश्चित हों। सदस्यों की इस बात पर चिंता थी कि हिंदी पर ध्यान देने के बावजूद इसकी उपेक्षा की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा प्रकाशित गुजराती-हिंदी कोष का विमोचन भी किया। लगभगदो घंटे तक चली इस बैठक में केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के मुख्यमंत्री तथा समिति के सदस्यों ने भाग लिया।