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Saturday 09 March 2013 08:01:16 AM
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक धनंजय सिंह ने अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर कहा है कि सहकारिता को अपना कर महिलाएं स्वावलंबी बन सकती हैं, इस प्रकार से वे सहकारिता विकास में भी अपना योगदान दे सकेंगी। अपने वक्तव्य में धनंजय सिंह ने सहकारिता के विकास में महिलाओं की विशेष भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि बदलते परिवेश में विभिन्न प्रकार से महिलाओं को अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
धनंजय सिंह ने सहकारिता में महिलाओं के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि आईसीए की ‘ग्लोबल-300’ रिपोर्ट के आधार पर विश्व में सहकारी क्षेत्र के परिदृश्य पर गौर करें तो हम पाते हैं कि दुनिया में 300 सबसे बड़ी सहकारिताओं का कारोबार एक खरब 60 अरब डालर तक पहुंच गया है, जो कई बड़े देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर है। रूस, ब्राजील, भारत और अफ्रीका की केवल चार प्रतिशत जनता ही निजी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों की शेयर धारक हैं, जबकि उनकी 15 प्रतिशत जनता सहकारी संस्थाओं की सदस्य है। केन्या के जीडीपी में उसकी सहकारी संस्थाओं का योगदान 45 प्रतिशत और न्यूजीलैंड की जीडीपी में 22 प्रतिशत है, वहीं भारत में छह लाख सहकारी समितियों के 25 करोड़ सदस्यों के साथ भारत विश्व में सहकारी आंदोलन का सिरमौर बन चुका है। अपनी कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तो यह रीढ़ माना जाता है, जिसमें महिलाओं की विशेष भूमिका है।
दक्षिण भारत में मत्स्य क्षेत्र की सहकारिताओं के सदस्यों में 19 प्रतशित महिलाएं हैं। मत्स्य सहकारिताएं अपनी शीर्ष संस्था ‘फिशकोफैड’ से जुड़ी हुई हैं। वह उन्हें ऋण, नई प्रौद्योगिकी, मछली प्रसंस्करण और व्यापार संबंधी अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं, इसके साथ-साथ, ये शिक्षा-प्रशिक्षण से जुड़े कार्यक्रम और अनुसंधान परियोजनाएं भी संचालित करती हैं। देशभर में श्रमिकों को ठेकेदारों के शोषण से बचाने के लिए ठेका, श्रमिकों और विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों की 39 हजार से अधिक सहकारी समितियां कार्यरत हैं, उनके जिला स्तरीय 215 संघ, राज्य स्तरीय 18 महासंघ और एक राष्ट्रीय स्तर का परिसंघ हैं। वन क्षेत्रों में वनोपज के संकलन, प्रसंस्करण, भंडारण और विपणन के क्षेत्र में वन श्रमिकों की 2700 से अधिक सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं। आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी भी अनेक परंपरागत वस्तुएं बनाते हैं। उनके कल्याण और विकास में आदिवासी सहकारी विपणन विकास परिसंघ में अहम भूमिका महिलाएं ही निभा रही हैं।
धनंजय सिंह ने महिला सशक्तीकरण की भूरि-भूरि प्रशंशा करते हुए आगे कहा कि सहकारी क्षेत्र ने पिछले दो-तीन दशकों में ‘महिला सशक्तीकरण’ की धारणा, लक्ष्य और आवश्यकता को पूरा करने में भी सराहनीय भूमिका निभाई है। इसकी देशभर में फैली छह लाख समितियों के सदस्यों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं। और, जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, परिवार आगे बढ़ता है, गांव आगे बढ़ता है और इस तरह देश आगे बढ़ता है।
भाजपा नेता धनंजय सिंह ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी सहकारी संस्थाएं मानते हुए कानूनी प्रावधान करके उनके सहकारी संस्थाओं के रूप में पंजीयन की अनुमति दे दी है। देशभर में लगभग 48 लाख स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं। वर्ष 2010-11 में बैंकों ने उन्हें 312 अरब रुपए से अधिक का ऋण प्रदान किया था। इन समूहों के सदस्यों में ज्यादातर महिलाएं हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि महिला सशक्तीकरण का कारवां आगे ही बढ़ता जा रहा है, जो अब कभी नही रूकने वाला है। धनंजय सिंह ने महिला सशक्तिकरण के बारे में बताया किभारत की कुल आबादी का 50% महिलाएं हैं, लेकिन उनकी आर्थिक, सामाजिक परिस्थिति आज भी दयनीय है। सहकारी समितियों स्वयं सहायता समूहों के गठन करते समय उसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने और महिला प्रतिनिधियों का आह्वाहन करना चाहिए, जो अपने-अपने प्रदेशों में महिलाओं को सहकारी क्षेत्र में जोड़ने और स्वयं सहायता समूह गठन करने के लिए प्रेरित करें।
भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के संयोजक ने लिज्जत पापड़ में महिलाओं की तारीफ करते हुए कहा कि 50 साल पहले 1959 में मुंबई में सात निरक्षर गुजराती महिलाओं नें वो काम कर दिखाया जिससे पूरा भारत ही नही बल्कि विश्व हतप्रभ है। उधार लेकर 80 रुपए से शुरू किया गया सहकारी उद्योग लिज्जत पापड़ जिसने धीरे-धीरे हर घर को अपना दीवाना बना लिया। भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक. पापड़ मतलब लिज्जत....हो गया।
उन्होंने आगे जिज्जत पापड़ की सफलता में महिलाओं की विशेष सहकारितापूर्ण भूमिका बताया, आज भारत के कोने-कोने में करीब इसकी 72 शाखाएं हैं ...और लिज्जत पापड़ सहकारी उद्योग की आय पांच अरब रुपए से भी ज्यादा है। लिज्जत सहकारी उद्योग अब सिर्फ पापड़ ही नहीं बनाता उसके ब्रांड से अब आटा मसाले और साबुन जैसी चीज़ें भी निकल रही हैं और दुनिया भर में जा रही हैं। लिज्जत पापड़ की कामयाबी महिलाओं के सपने और इरादे की कामयाबी भी है।