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Wednesday 12 September 2018 03:41:52 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोयम्बटूर में श्रीरामकृष्ण मठ के स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण की 125वीं वर्षगांठ के समापन समारोह को वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समारोह स्वामीजी के भाषण के प्रभाव को दिखाता है कि कैसे इस भाषण ने भारत के प्रति पश्चिम की दृष्टि बदल दी और कैसे भारतीय विचार और दर्शन को उचित स्थान प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने विश्व को वैदिक दर्शन की श्रेष्ठता बताई, शिकागो में उन्होंने विश्व को वैदिक दर्शन की शिक्षा ही नहीं दी, बल्कि उन्होंने भारत देश के समृद्ध अतीत और अपार क्षमता की भी याद दिलाई। उन्होंने हमें खोया हुआ विश्वास और गर्व दिया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के इस विजन के साथ भारत पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रम और योजनाओं की भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शिकागो में स्वामी विवेकानंद के भाषण की 125वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल होकर मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं, मुझे बताया गया है कि यहां लगभग 4000 मित्र, युवा और वरिष्ठ आए हैं और संयोग से 125 वर्ष पहले शिकागो में जब स्वामी विवेकानंद ने विश्वधर्म संसद में भाषण दिया था, तब भी श्रोताओं में लगभग 4000 लोग शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि मुझे एक महान और प्रेरक भाषण की वर्षगांठ मनाने का कोई दूसरा उदाहरण मालूम नहीं है, इसलिए यह समारोह शिकागो भाषण की वर्षगांठ को और अधिक विशेष बनाता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्रीरामकृष्ण मठ तथा मिशन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति, तमिलनाडु सरकार और युवाओं को बधाई देता हूं कि वे इस ऐतिहासिक भाषण के स्मृति समारोह का हिस्सा बनने के लिए यहां आए। उन्होंने कहा कि यहां सात्विक गुणों वाले संतों और युवाओं की ऊर्जा और उत्साह का मिलन भारत की असल शक्ति का प्रतीक है, इस दिन को मात्र भाषणों तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि स्वामीजी के शब्दों को प्रसारित करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताएं, युवाओं की महत्वपूर्ण विषयों पर बहस, चुनौतियों के समाधान का प्रयास जैसे अनेक कार्यक्रम हुए। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी की यह भावना देश की चुनौतियों से जूझने का संकल्प और एक भारत, श्रेष्ठ भारत का यह दर्शन स्वामीजी के संदेश का सार है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण के माध्यम से पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति दर्शन और प्राचीन परंपराओं की रोशनी प्रदान की। उन्होंने कहा कि यदि आप स्वामीजी के कालखंड को याद करें तो उनकी उपलब्धियों का आकार आपको और व्यापक दिखाई देगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी ने विश्व को वैदिक दर्शन की श्रेष्ठता बताई, उन्होंने शिकागो में विश्व को वैदिक दर्शन का ज्ञान दिया और भारत के समृद्ध अतीत और अपार क्षमता की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने हम सभी को याद दिलाया कि यह वह धरती है, जहां से आध्यात्मिकता और दर्शन समुद्री ज्वार की तरह बार-बार उभरते हैं और विश्व को जल प्लावित करते हैं और जहां से मानवता की गिरती नस्लों में जीवन और शक्ति लाने के ज्वार उठते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने न केवल विश्व पर अपनी छाप छोड़ी, बल्कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा और नया विश्वास भी दिया। उन्होंने देश के लोगों में हम कर सकते हैं, हम सक्षम हैं की भावना भरकर जागृत किया, यह आत्मविश्वास है, यह विश्वास युवा संन्यासी के खून के प्रत्येक बूंद में था, उन्होंने देश को यह आत्मविश्वास दिया, उनका मंत्र था-‘स्वयं में विश्वास करो, देश को प्यार करो।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के इस विजन के साथ भारत पूरे विश्वास से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व ने माना है कि भारत के पास योग और स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद की सदियों पुरानी परंपरा है और साथ-साथ भारत आधुनिक टेक्नोलॉजी की शक्ति का उपयोग कर रहा है, भारत एकबार में 100 उपग्रह लांच कर रहा है, दूसरे देश भीम जैसे ऐप विकसित कर रहे हैं, इससे देश के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है, इसका प्रभाव हमारे युवाओं और हमारी बेटियों के आत्मविश्वास में साफ देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एशियाई खेलों में हमने देखा कि इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि आप कितने ग़रीब हैं या आप किस परिवार से आते हैं, अपने आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम के जरिए आप अपने देश को गौरव प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है, इसमें हमारे किसानों का समान दृष्टिकोण दिखाई पड़ता है, उद्योगजगत के व्यक्ति और हमारे कामगार औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं, युवा इंजीनियर, उद्यमी और वैज्ञानिक देश को नवाचार की नई क्रांति की ओर ले जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी का कहना था कि भारत का भविष्य युवाओं पर निर्भर है, वेद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा था कि युवा, शक्तिशाली, स्वस्थ और तीक्ष्ण बुद्धि वाला भगवान के पास पहुंचेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आज का युवा संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, उनकी आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक नई कार्यप्रणाली और एक नया दृष्टिकोण सामने रखा है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी हमारे युवाओं में अनेक ऐसे हैं, जिनके पास रोज़गार प्राप्त करने लायक कौशल नहीं है, हालांकि साक्षरता में वृद्धि हुई है, लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था ने कौशल विकास पर विशेष ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए कौशल विकास के महत्व को समझते हुए सरकार ने कौशल विकास के लिए एक पृथक मंत्रालय का गठन किया है, इसके अलावा सरकार ने उन युवाओं के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए हैं, जो अपने बल पर अपने सपने को पूरा करना चाहते हैं, मुद्रा योजना के तहत अबतक 13 करोड़ लोगों को ऋण दिए गए हैं, इस योजना ने देश के गावों और शहरों में स्वरोज़गार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इंडिया अभियान के तहत नवोन्मेष विचारों के लिए सरकार ने उपयुक्त मंच प्रदान किए हैं, विद्यालयों में नवोन्मेष के वातावरण के निर्माण के लिए अटल इनोवेशन मिशन की शुरूआत की गई है, जिसके अंतर्गत अगले पांच वर्ष में पूरे देश में 5000 अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना की जाएगी और नवोन्मेषी विचारों को आगे लाने के लिए स्मार्ट इंडिया हैकथॉन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि जन-धन खातों और इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के माध्यम से बैंकों को ग़रीबों के घर के दरवाजे तक पहुंचाया गया है, ग़रीबों में से सर्वाधिक ग़रीब को सहायता प्रदान करने के लिए आवास, गैस और बिजली कनेक्शन, स्वास्थ्य और जीवनबीमा जैसी योजनाओं को लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि इसी महीने की 25 तारीख को हम पूरे देश में आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ करेंगे, जिसके तहत 10 करोड़ से अधिक ग़रीब परिवारों को गंभीर बीमारियों के निःशुल्क इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारा दृष्टिकोण सिर्फ ग़रीबी समाप्त करना नहीं है, बल्कि देश से ग़रीबी के कारणों को जड़ से समाप्त करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 की आतंकवादी घटना को भी याद किया और कहा कि इस घटना ने पूरे विश्व को प्रभावित किया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्र समुदाय इस समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सचमुच इस समस्या का हल स्वामीजी के शिकागो में दिखाए गए मार्ग में है-सहिष्णुता और स्वीकार्यता। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी कहते थे कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं ऐसे धर्म का अनुयायी हूं, जिसने पूरे विश्व को सहिष्णुता और सार्वकालिक स्वीकार्यता का संदेश दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा देश स्वतंत्र विचारों का देश है, सदियों से हमारी धरती विभिन्न विचारधाराओं और संस्कृतियों की स्थली रही है, विचार-विमर्श करना और निर्णय लेना हमारी परम्परा रही है, लोकतंत्र और बहस, हमारे मूल्य रहे हैं, किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारा समाज हर तरह की बुराइयों से मुक्त हो गया है, अनूठी विभिन्नताओं वाले इस विशाल देश के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां भी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि सभी युगों में कमोबेश सभी जगह दुष्ट व्यक्ति रहा करते थे। उन्होंने कहा कि हमें समाज के इन दुष्ट व्यक्तियों से सावधान रहना है और उन्हें पराजित करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि सभी संसाधनों की मौजूदगी के बावजूद जब भी भारतीय समाज में विभाजन हुआ है और आंतरिक संघर्ष हुए हैं, बाहरी दुश्मनों ने इस स्थिति का फायदा उठाया है। उन्होंने कहा कि इन संघर्षों के दौर में हमारे संतों और समाज सुधारकों ने हमें सही रास्ता दिखाया है, यह रास्ता हमें एकसाथ मिलजुल कर रहने का संदेश देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से हमें नए भारत का निर्माण करना है।