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Saturday 09 March 2013 08:16:46 AM
देहरादून। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की गोष्ठी का आयोजन किया, जिसका शुभारंभ प्रमुख सचिव बाल विकास व समाज कल्याण ए राजू ने दीप प्रज्जवलित करके किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारा समाज एक पुरूष प्रधान समाज है, जिसमें महिलाओं को एक वस्तु, प्रोपर्टी के रूप में देखा जाता है, जिस पर पुरूष अपना अधिकार समझता है। उन्होंने कहा कि समाज क्या है, इसका हमें पहले अर्थ समझना होगा, बीमारी आई क्यों है, इस बारे में हमें सोचना होगा तथा पहले इसका समाधान निकालना होगा।
उन्होंने कहा कि समाज आदमी ने बनाया है ना कि स्त्री ने, समाज में महिलाओं पर कभी धर्म के नाम पर, कभी जाति के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार एवं उत्पीड़न होता है, जिसके लिए समाज में सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केरल पहले महिला प्रधान प्रदेश था, जो कि अब पुरूष प्रधान प्रदेश हो गया है। महिलाओं को समाज के नाम पर धोखा नहीं खाना चाहिए, उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजक रहना होगा, ताकि उनका कोई उत्पीड़न न कर सके।
प्रमुख सचिव वन, ग्राम्य विकास और गृह विनीता कुमार ने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं, परंतु महिलाएं तो पहले से ही सशक्त हैं, जिसकी पहचान पहले मां से है, जो बच्चे को जिंदगी व अच्चे संस्कार देती है, जिसकी सभी पूजा करते हैं, कभी मां दुर्गा के रूप में, कभी चंडी के रूप में कभी अन्नपूर्णा के रूप में, इसलिए वह कभी असहाय नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि महिलाएं हाथों में चूड़ी भी पहनती हैं तथा जरूरत पर हाथों में तलवार भी उठाती हैं। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं की जिम्मेदारी पुरूष से अधिक है, जो घर का सारा काम करती है तथा जानवरों को भी पालती है।
उन्होंने कहा कि यह पुरूष प्रधान समाज है, जिसमें महिलाएं अपनी जिम्मेदारी तो निभा रही हैं, परंतु अपने अधिकारों को नहीं समझ रही हैं, उसे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। समाचार पत्रों में आए दिन प्रकाशित महिलाओं पर अत्याचार की खबरों से उनके मन में डर बैठ गया है तथा कई महिलाएं घर से भी अकेली निकलने में घबराती हैं। उन्होंने कहा कि जो डर उसके मन मे है, उसे उन्हें हटाना होगा तथा अपने अधिकारों के लिए आगे आकर कार्य करना होगा।
इस अवसर पर अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग अजय सेतिया ने कहा कि महिला दिवस पूरी दुनियां में मनाया जाता है, यह हमें राखी वाले दिन मनाना चाहिए जो हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। संरक्षण अधिकारी रमिंद्री मंद्रवाल ने कहा कि जमाना हमसे है, हम जमाने से नहीं। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से कहा कि वह संकल्प लें कि वे न तो हिंसा सहेंगी और ना ही हिंसा करेंगी, उनके साथ यदि कोई घटना होती है, तो उसके लिए कानून बना है, वह कानून के माध्यम से अपनी रक्षा कर सकती हैं।
डॉ गीता खन्ना ने कहा कि नारी को हम देवी के रूप में दो बार पूजते हैं तथा नौ दिन तक ब्रत रखते हैं, फिर भी ऐसी नारी की दुर्दशा क्यों? लिंग अनुपात भी तेजी से गिर रहा है, जिसके लिए सभी को यह मानसिकता बदलनी होगी। उन्होंने इस संबंध में विस्तार से स्लाईड शो के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया। एमकेपी महाविद्यालय गीता बलोदी ने कहा कि सृष्टि ईश्वर ने बनाई है, फिर भी मनुष्य उसकी बनाई सृष्टि में दखल दे रहा है, लिंग अनुपात घटना एक अभिशाप है। उन्होंने किशोर अवस्था की स्लाईड शो के माध्यम से प्रस्तुति दी। इस अवसर पर सीएस नपच्चयाल अपर सचिव, निदेशक बाल विकास कामनी गुप्ता मौजूद थीं। कार्यक्रम का संचालन आशा रानी ध्यानी सचिव राज्य महिला आयोग व बीना गिरि बाल विकास निदेशालय ने किया।