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Wednesday 19 September 2018 06:30:08 PM
नई दिल्ली। सरकार में एक तरफ जनता के पैसे से लाखों करोड़ों रुपये के विज्ञापन प्रचार-प्रसार की धूल तो उड़ ही रही है और दूसरी तरफ हिंदी फिल्मों के सितारे वरुण धवन और अनुष्का शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले कौशल भारत अभियान को प्रोत्साहन और समर्थन देने के लिए ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया है। ये दोनों कलाकार कौशल भारत के साथ साझेदारी करके भारत की कुशल प्रतिभाओं और उनके बारीक काम को कितना प्रोत्साहित करेंगे और देश के विभिन्न हिस्सों में उनके साथ जुड़कर उन्हें अपना समय देंगे, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इसमें कुछ न कुछ यह भी सच है कि दोनों से 2019 के लोकसभा चुनाव में दाएं-बाएं भाजपा प्रचार में इस्तेमाल किए जाएंगे, वह भी मुफ्त में नहीं, बल्कि अच्छीखासी रकम वसूलकर। तर्क दिया गया है कि वरुण धवन और अनुष्का शर्मा फिल्म 'सुई धागा-मेड इन इंडिया' के जरिए पूरे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा रहे हैं और भारत के उद्यमियों एवं कुशल कामगारों, विशेषकर घरेलू हथकरघा कारीगरों, दस्तकारों और बुनकरों को प्रोत्साहित करने का काम कर रहे हैं। यह फिल्म सुई धागा-मेड इन इंडिया जमीनी स्तरपर भारत के प्रतिभाशाली कारीगरों और कुशल कामगारों की छिपी हुई क्षमताओं और उनके समक्ष चुनौतियों एवं विषयों पर प्रकाश डालती बताते हैं।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुंबई में कल इस विषय पर बात करते हुए दावा किया कि वरुण धवन एवं अनुष्का शर्मा अपनी अनोखी फिल्म 'सुई धागा-मेड इन इंडिया' के जरिए भारत के हथकरघा कारीगरों एवं दस्तकार समुदाय की अद्भुत कुशलता और प्रतिभा को सामने ला रहे हैं। उन्होंने इसे हृदय को छू लेने वाला प्रयास बताया और कहा कि उन जैसे कलाकार एक ऐसी फिल्म में काम कर रहे हैं, जोकि एक अहम सामाजिक संदेश देती है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत विश्व के सबसे युवा देशों में एक है और यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे देश में ऐसे समर्पित और जूझने वाले कुशल युवा हैं, जिनके पास उद्यमिता का भी कौशल है और जो अपने काम के जरिए देश का सम्मान बढ़ा रहे हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मैं कामना करता हूं कि इन दोनों कलाकारों का समर्थन युवाओं को कौशल विकास के लिए प्रेरित प्रभावित एवं प्रोत्साहित करेगा, ताकि युवा अपने लिए बेहतर आजीविका कमा सकें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल भारत के सपने को साकार करने में सरकार की मदद कर सकें। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की अगुवाई वाले 'कुशल भारत अभियान' का उद्देश्य आधुनिक एवं परंपरागत दोनों ही तरह के रोज़गारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मानकीकरण, अत्याधुनिक आधारभूत ढांचे का विकास और उद्योग जगत की भागीदारी सुनिश्चित करना,युवाओं को रोज़गार के लिए ज्यादा उपयुक्त बनाने के लिए तकनीकी समर्थन मुहैया कराना और देश के युवाओं के लिए रोज़गार के अवसरों के सृजन करना बताया जाता है।
कौशल विकास के बारे में लगभग सभी जान रहे हैं कि लाखों करोड़ों रुपये खर्च हो जाने के बाद भी यह अभियान दुकानों और फाइलों में चल रहा है, यह अलग बात है कि यह अक्सर बड़े-बड़े समाचारपत्रों और टीवी समाचार चैनलों और होर्डिंग्स पर बड़े आकर्षक तरीके से नज़र आता है। भारत की जनता को यह नहीं पता है कि इसकी आड़ में सरकारी और प्राइवेट विज्ञापन एजेंसियां और उनके संचालक एवं सिंडिकेट धुआंधार मालामाल हो रहे हैं, मगर सरकार के मंत्री का दावा तो यही है कि इसकी वजह से प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से ज्यादा युवा कुशल भारत अभियान से जुड़कर बेहतर आजीविका के जरिए अपने जीवन को बदल रहे हैं। कलाकार वरुण धवन ने बहती गंगा में हाथ धोने जैसा बेहतर अवसर मिलने पर कहा है कि हमारे हथकरघा कारीगरों, दस्तकारों और ऐसे अन्य कामगारों को संगठित और प्रशिक्षितकर एवं उन्हें वित्तीय सहायता और समर्थन उपलब्ध कराकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अद्भुत परिकल्पना एवं सच्ची दूरदर्शिता का परिचय दिया है। वे कहते हैं कि हम इस अभियान को समर्थन देने में गर्व अनुभव करते हैं और हम इसे अपनी फिल्म सुई धागा के बेहद करीब महसूस करते हैं, जोकि आत्मनिर्भरता और उद्यमिता का उल्लास मनाती है।
अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने कहा कि कुशल भारत अभियान सरकार के देश के प्रतिभाशाली कामगारों को समाहित करने और समर्थन देने के संकल्प को दर्शाता है, सुई धागा के निर्माण के समय हमें ऐसे कई प्रतिभाशाली और कुशल कामगारों की कहानी जानने का अवसर मिला, जिन्हें अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर नहीं मिलता है। सरकार का कहना है कि कुशल भारत अभियान ने अपनी कौशल एवं उद्यमिता विकास नीति के तहत कई अहम बदलाव किए हैं जैसेकि 1961 के अप्रेंटिसशिप कानून में व्यापक परिवर्तन और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को लागू करना और इन दोनों कदमों का साझा उद्देश्य हमारे कामगारों को सर्वोत्तम प्रशिक्षण उपलब्ध कराना और उनके कौशल को मान्यता देना है। पीएमकेवीवाई के तहत पहले अर्जित किये हुये कौशल और वर्षों तक किये काम के जरिये प्राप्त अनुभव को मान्यता देने का मंत्रालय का कार्यक्रम असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में बदलकर व्यापक बदलाव ला रहा है।