स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 09 March 2013 08:53:24 AM
देहरादून। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पर कहा है कि उन्हें खेद है कि कांग्रेस सरकार सभी मोर्चों पर बुरी तरह फेल हुई है। विगत एक वर्ष जनता को ठगने और हर क्षेत्र को मायूस करने वाला रहा है। बजट निधि खर्च न होने से विकास की गति अवरूद्ध हुई है। सरकार की पकड़ शासन-प्रशासन पर कहीं नहीं दिखी। केंद्र एवं प्रदेश में एक ही पार्टी कांग्रेस की सरकार होने के वावजूद प्रदेश की जनता को केंद्र सरकार से अपेक्षित राहत नहीं मिली है, या यूं कहें कि अपने-अपनों को लाभ पहुंचाने में केंद्रीय योजनाएं लंबित पड़ी हैं। सरकार अपनी पार्टी की गुटबाजी से ग्रस्त है और इस सब का कुप्रभाव प्रदेश के विकास एवं छवि पर पड़ रहा है। इसी कारण मुख्यमंत्री की लोकसभा सीट टिहरी पर कांग्रेस बुरी तरह हारी है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस दौरान सरकार को पूर्ण छूट दी कि वह बेहतर शासन-प्रशासन चलाए और प्रदेश में विकास को हर संभव गति मिले, जहां सरकार ने विपक्ष से सहयोग मांगा उसे दिया गया, सरकार के कामों मे गतिरोध पैदा करने की कोशिश इसलिए नहीं हुई ताकि वे यह न कहें कि विपक्ष काम नहीं करने दे रहा है, परंतु पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, सो एक वर्ष का समय बहुत था, एक वर्ष में सरकार की योजना का स्वरूप, कार्य के प्रति सरकार की ईमानदारी, सरकार की प्रशासनिक क्षमता, नौकरशाही पर लगाम एवं जनता के दुःख दर्द को समझने और दूर करने के उपायों की इच्छा शक्ति का पता चल गया है।
उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी भत्ता हो या कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन या गैरसैण में विधान भवन-विधायक हॉस्टल सब योजनाएं धरातल से परे हैं। गैरसैण के हवाई दौरे और सरकारी मंत्रियों की विदेश यात्राओं पर फिजूल खर्ची पहाड़ की जनता के साथ भद्दा मजाक है। शराब सस्ती और माल में बिकवाने की चिंता में मंत्री और अधिकारी घुले जा रहे हैं। उधर शिक्षा और चिकित्सा का बुरा हाल है। पर्वतीय जनपदों से डॉक्टर, अधिकारी, कर्मचारी और जनता सब पलायन कर रहे हैं और सरकार गुमसुम है। सिडकुल आदि के ज़मीन घोटालों की सुगबुगाहट यही संदेश दे रही है कि सरकार को जनता की नही पूंजीपतियों की अधिक चिंता है। मंहगाई और अपराध का ग्राफ नीचे आने का नाम नहीं ले रहा है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अब अगली हार के डर से सरकार स्थानीय निकायों एवं सहकारिता के चुनाव किसी भी जोड़-तोड़ व बहाने से टालना चाहती है। भाजपा शासन में लगातार चलने वाले मुख्यमंत्री जनता दर्शन कार्यक्रम इस सरकार में नहीं के बराबर है, क्योंकि मुख्यमंत्री जनता के समक्ष जाने मे डर रहे है। वे जनता के प्रश्नों का जवाब नहीं दे पा रहे और ना ही समस्याओं का निराकरण हो रहा है। ऐसा लगता है या तो मुख्यमंत्री अक्षम हैं या सरकार व प्रशासन पर उनकी पकड़ छूट गई है, भाजपा का आंकलन तथ्यों के आधार पर है, आगे जब भाजपा आंदोलन करके इस सरकार को झकझोरे तो जनता पूरे जोश-खरोश के साथ भाजपा के साथ हो। सरकार या तो प्रदेश को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाए तथा जनता जनार्दन की परेशानियां को दूर करे या गद्दी छोड़ दे।
कांग्रेस सरकार की विफलता के तथ्य प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि फरवरी 2013 तक वित्तीय वर्ष 2012-13 के योजना बजट का 25 प्रतिशत मात्र खर्च हो पाया था, विगत 12 वर्ष के इतिहास का यह न्यूनतम आंकड़ा है। योजना की राशि से जिला पंचायत आदि कई महकमों में खर्च गैर योजना मदों वेतन आदि में किया जा रहा है। केंद्र ने राज्य का 500 करोड़ अनुदान समाप्त कर दिया है, क्योंकि प्रदेश सरकार योजना ठीक से नहीं चला पाई है। एडीवी के तहत योजना का हाल राजधानी देहरादून मे खुदी-बेहाल सड़कों से लगाया जा सकता है। ठेकेदार भाग गए हैं अधिकारी पस्त हैं। सड़कें एडीवी एवं लोक निर्माण विभाग के बीच त्रिशंकु बनी हैं, 108 सेवा सरकारी बदइंतजामी एवं उदासीनता के कारण दम तोड़ने की स्थिति मे है, वहां कर्मचारी असंतोष लगातार बढ़ रहा है। गैरसेण में विधान सभा भवन बनाने के बारे मे कांग्रेस नेताओं मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष के अलग-अलग वक्तव्य आ रहे हैं। जब वे अभी तक स्थाई राजधानी का निर्धारण नहीं कर पाए हैं, तो फिर अस्थायी राजधानी कैसे बना रहे हैं? देहरादून गैरसैंण के हवाई दौरे कर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। गैरसैंण इनकी वैसी ही राजधानी बनेगी, जैसी इन्होंने कर्णप्रयाग तक रेल पंहुचाई है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश की जनता को सहायता देते हुए एलपीजी पर वैट मेछूट दी थी। कांग्रेस ने गैस पर वैट बढ़ाकर शराब पर वैट में छूट दी है। कांग्रेस गैस मंहगी और शराब सस्ती की नीति पर काम कर रही है। इस प्रकार शराब माफियाओं को सीधे फायदा पहुंचा रही है। सहकारिता चुनाव में सरकारी संसाधनों का खुलकर दुरूपयोग हो रहा है, कांग्रेस आचार संहिता का मखौल बना रही है। स्वास्थ्य मंत्री के अपने शहर कोटद्वार में स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हैं, जबकि भाजपा सरकार ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज जैसी महत्वपूर्ण योजना साकार की। इस सरकार में वह सफेद हाथी बन गई है, चिकित्सकों एवं सुविधाओं के अभाव में मरीज देहरादून रेफर किए जा रहे हैं। उर्जा प्रदेश में कांग्रेस शासन के आते ही बिजली पैदावार कम हो गई है। नई योजनाओं का प्रारंभ नहीं हो पा रहा है। राजधानी में भी घंटों बिजली कटौती आम बात है, तो दूर दराज़ के क्षेत्रों में स्थिति बड़ी विकट है, बिजली की कमी से भाजपा शासन मे घोषित पर्वतीय उद्योग नीति में उद्यमी आगे बढ़ने का साहस नहीं कर पा रहे हैं। वर्ष 2012 के यात्रा सीजन में गिरावट अंकित की गई है, क्योंकि सड़कों की स्थिति दयनीय रही।
भाजपा ने कहा है कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील इस प्रदेश में वर्ष 2012 में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग आदि जनपदों में जानमाल का भारी नुकसान हुआ। उस समय सरकार के चार मंत्री राष्ट्रमंडल खेल देखने परिवार सहित ब्रिटेन चले गए। आपदा के तहत स्वीकृत योजनाओं की ठेकेदारी हेतु कांग्रेसियों मे होड़ मची हुई थी। शिक्षा एवं अन्य विभागों के स्थानांतरण की जो नीति भाजपा की खंडूड़ी सरकार ने बनाई थी, इस सरकार ने उसे निरस्त किया और भ्रष्टाचार के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। लोकायुक्त एवं सेवा का अधिकार जैसे कानून को सरकार ने कूड़ेदान मे फेंककर जनता को भ्रष्ट अफसर शाही के हाथों लुटने के लिए छोड़ दिया है। प्रदेश में उच्च शिक्षा बदहाल है, दीनदयाल विश्वविद्यालय का नाम सरकार ने बदल कर अपनी जिम्मेदारी से मानो इतिश्री कर ली है। अब विश्वविद्यालयों को भगवान भरोसे छोड़कर हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर मे लटका रखा है। श्रीनगर विश्वविद्यालय हड़ताल एवं अव्यवस्था का केंद्र बन गया है।
तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि वर्ष 2013-14 के रेल बजट मे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन का जिक्र तक नहीं किया गया और दावे पहाड़ पर रेलवे स्टेशन बनाने के हो रहे हैं। बेरोज़गारी भत्ते पर नौजवानो को खूब छला गया है। अभी तक एक प्रतिशत बेरोज़गार भी इस भत्ते की परिधि में नहीं आ पाए हैं। सरकारी विभागों में पद खाली हैं, किंतु भर्ती अभियान न खोल कर सरकार शिक्षित बेरोज़गारों को बुढ़ापे की ओर धकेल रही है। उपनल के माध्यम से चहेतों को नौकरी लगवाकर भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। पूर्व सैनिकों की संस्था उपनल के अध्यक्ष पद पर अब स्वयं मंत्री काबिज हैं और भ्रष्टाचार के लिए उपनल का कांग्रेसीकरण हो गया है। किसानों के गन्ने के करोड़ों रूपए सरकार पर बकाया हैं। सरकार ने बागवानी के लिए कोई भी प्रोत्साहन योजना नहीं बनाई है। एएनएम, अध्यापक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, ड्राईवर, इंजीनियर, आईएफएस और आईएएस तक सरकार की नीतियों से अपनी नाखुशी और असंतोष जता चुके हैं। ऐडूसेड में 2-3 माह से वेतन नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि सरकार मूल निवास, पदोन्नति में आरक्षण जैसे मुद्दों पर अपनी नीति स्पष्ट नहीं कर पाई है। अटल खाद्यान योजना को समाप्त कर सरकार ने निराश्रित-गरीबों की रोटी छीन ली है। कुल मिलाकर सरकार का एक वर्ष प्रदेश को पीछे धकेलने वाला, अव्यवस्थाओं से भरा, प्रशासनिक अक्षमता एवं दिशाहीन रहा है। नवोदित प्रदेश की स्थिति विस्फोटक होने लगी है, इसलिए सक्षम विपक्ष की भूमिका निभाते हुए भाजपा प्रदेश हित में सरकार को झकझोरने हेतु आंदोलन के लिए कटिबद्ध है, उन्होंने कहा कि इसके लिए भाजपा जनता से भरपूर सहयोग की अपेक्षा करती है।