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रेलवे की 'रेल धरोहर डिजिटलीकरण परियोजना'

रेलमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से किया परियोजना का शुभारंभ

भारतीय रेलवे की गूगल आर्ट्स एंड कल्‍चर के साथ साझेदारी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 29 September 2018 02:38:59 PM

piyush goyal launching a project for digitization of rich legacy of india's railway

नई दिल्ली। रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दिल्‍ली में गूगल आर्ट्स एंड कल्‍चर के सहयोग से भारतीय रेलवे की ‘रेल धरोहर डिजिटलीकरण परियोजना’ का शुभारंभ किया और कहा है कि यह परियोजना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों को देश की रेल धरोहरों से रू-ब-रू कराने के उद्देश्‍य से दुनिया के इस हिस्से में अपनी तरह का प्रथम ऐतिहासिक प्रयास है। इसे ‘गाथा बयां करने वाले ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म’ के जरिए सुलभ कराया जाएगा। पीयूष गोयल ने कहा कि सबसे पहले मैं इस अद्भुत पहल के लिए भारतीय रेलवे और गूगल आर्ट्स एंड कल्‍चर एसोसिएशन को बधाई देता हूं, जिनकी दो वर्ष से भी अधिक समय तक कड़ी मेहनत, अनुसंधान, अन्‍वेषण और अमल की बदौलत यह पहल संभव हो पाई है। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी, रेलवे बोर्ड के सदस्‍य, गूगल के वाइस प्रेसीडेंट दक्षिण पूर्व एशिया एवं भारत राजन आनंदन, गूगल कल्‍चरल इंस्‍टीट्यूट के निदेशक अमित सूद, गूगल के गणमान्‍य व्‍यक्ति और यूनेस्‍को के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह अक्‍सर कहा जाता है कि अनगिनत पीढ़ियों की अथक मेहनत से हजार वर्ष में सभ्‍यता का निर्माण होता है, प्रत्‍येक पीढ़ी इसमें अपनी विशिष्‍ट छाप छोड़ जाती है और किसी भी संस्‍कृति को इस छाप को अक्षुण्‍ण रखना चाहिए, ताकि आगे चलकर यह स्‍मरण किया जा सके कि यह सभ्‍यता कैसी थी और इसका उद्भव कहां से हुआ था। उन्होंने कहा कि जब भी हम भारत में परिवहन प्रणाली के उद्भव पर अपनी नज़र दौड़ाएंगे तो ये सभी समृद्ध परंपराएं, इतिहास और संस्‍कृति भारतीय रेलवे के क्रमिक विकास के तौर-तरीकों को समझने में अहम भूमिका निभाएंगी। रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे की स्‍थापना के 165 साल पूरे हो चुके हैं, इसलिए इस संगठन में ऐसी ढेर सारी सामग्री है, जिसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मार्क ट्वेन ने एक बार कहा था कि मानव जाति के इतिहास में हमारी सबसे मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री को भारत में ही सुरक्षित रखा जाता है।
रेलमंत्री ने कहा कि समय के साथ प्रौद्योगिकियां कैसे विकसित हुई हैं, दुनिया को इससे अवगत कराने के लिए भारतीय रेलवे के पास असंख्‍य कीमती क्षण हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे के इतिहास में मुंबई का विशेष स्‍थान है, क्‍योंकि मुंबई में ही भारत की प्रथम रेललाइन बिछाई गई थी, 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन बोरी बंदर और ठाणे के बीच चलाई गई थी। उन्होंने कहा कि हम इस ऐतिहासिक परियोजना को प्रदर्शित करने के लिए भारत में विभिन्‍न स्‍थानों पर 22 डिजिटल स्‍क्रीन लगाएंगे। पीयूष गोयल ने कहा कि यह भारतीय रेल और गूगल के बीच इस भागीदारी में वाईफाई सेवाएं भी जुड़ी हैं, जिसे देश के 400 से अधिक रेलवे स्‍टेशनों तक बढ़ा दिया गया है, यह जनसेवा के लिए साझेदारी की क्षमताओं को दर्शाता है। रेलमंत्री ने कहा कि जिन 711 स्‍टेशनों में वाईफाई सेवाएं दी गई हैं, वह किसी भी अन्‍य स्‍थान पर उपलब्‍ध वाईफाई सेवाओं से तेज़ पहुंच वाली हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस उपलब्धि के लिए गूगल और रेलवे की टीम की तारीफ करता हूं, जब मैं रायपुर स्टेशन में था तो मुझे पता चला कि बहुत से लोग, विशेष रूपसे युवा स्‍टेशन पर उपलब्‍ध वाईफाई सेवाओं का फायदा लेने के लिए यहां आते हैं।
पीयूष गोयल ने कहा कि इससे मेरी उस इच्‍छा को बल मिला है, जिसमें वाईफाई सेवाओं को 6,000 से ज्‍यादा स्‍टेशनों तक पहुंचा दिया जाना चाहिए, ताकि वे लोग भी इसका लाभ ले सकें जो इस सेवा के लिए पैसे चुकाने में सक्षम नहीं है। उन्होंने बताया कि हमने रेल सहयोग के माध्‍यम से 5,000 से ज्‍यादा स्‍टेशनों को निजी और सार्वजनिक भागीदारी के जरिए उन्‍नत बनाने का प्रस्‍ताव किया है, इसके लिए हमने लोगों से अपने हिसाब से स्‍टेशनों का चुनाव करने का विकल्‍प दिया है। पीयूष गोयल ने कहा कि सांस्‍कृ‍तिक धरोहर डिजिटलीकरण की यह परियोजना भारत में ही न‍हीं, बल्कि संभवत: समूचे एशिया प्रशांत क्षेत्र की सबसे बड़ी परियोजना है। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि साझेदारी का यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा और विश्‍व में रेलवे की धरोहर को संरक्षित रखने का सबसे बड़ा प्रयास बनेगा। उन्‍होंने इस परियोजना को देश की एक अरब तीस करोड़ आबादी के लिए रेलवे के 13 लाख कर्मियों की सौगात बताया।
रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा कि गूगल आर्ट एंड कल्‍चर के साथ साझेदारी के माध्‍यम से रेवाड़ी स्‍टीम सेंटर में राष्‍ट्रीय रेल संग्रहालय, तीन वर्ल्‍ड हेरीटेज रेलवे, सीएसएमटी मुंबई भवन समेत देश की रेलवे धरोहर से जुड़े कई अन्‍य स्‍थानों का डिजिटलीकरण किया गया है। उन्‍होंने बहुमूल्‍य रेलवे धरोहर के डिजिटलीकरण की इस येाजना को एक बड़ा प्रयास बताते हुए इसकी सराहना की। उन्होंने परियेाजना से जुड़े रेलवे कर्मियों को पुरस्‍कृत भी किया। उन्‍होंने कहा कि रेलवे एक जनकेंद्रित संगठन है और रेलवे के कर्मचारी इसके नायक हैं, उनके बल पर ही यह संगठन चल रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में गूगल के उपाध्‍यक्ष राजन आनंदन ने कहा कि 400 रेलवे स्‍टेशनों पर वाईफाई सेवा उपलब्‍ध कराने के लिए भारतीय रेल के साथ किए गए सहयोग का उद्देश्‍य भारतीय रेल की धरोहर को ऑनलाइन उपलब्‍ध कराना है।
गूगल सांस्कृतिक संस्थान के निदेशक अमित सूद ने कहा कि गूगलदुनियाभर में कलात्मक और सांस्कृतिक खजाने को संरक्षित और उसे नवजीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे की धरोहर, इतिहास और संस्कृति की एक असाधारण संपत्ति है, जो बेहद आकर्षक होने के साथ ही सभी उम्र के लोगों के लिए हमेशा रूचिपूर्ण रहेगी। उन्‍होंने कहा कि यह परियोजना भारतीय रेलवे के निर्माण से उन अहम क्षणों से जुड़ी हैं, जिसकी वजह से भारतीय रेलवे आज देश की रीढ़ बन चुका है। परियोजना के बारे में विस्‍तृत जानकारी इस लिंक https://artsandculture.google.com/project/indian-railways के जरिए प्राप्‍त की जा सकती है।

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