स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 2 October 2018 03:55:26 PM
नई दिल्ली। संघ लोकसेवा आयोग ने उम्मीदवारों को अपने आवेदन वापस लेने की सुविधा को मंजूरी दे दी है। यह सुविधा इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा 2019 से लागू की जाएगी। यह घोषणा दिल्ली में संघ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष अरविंद सक्सेना ने आयोग के 52वें स्थापना दिवस समारोह में की। संघ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा के संबंध में आयोग का अनुभव रहा है कि प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले 10 लाख से अधिक उम्मीदवारों में से लगभग 50 प्रतिशत उम्मीदवार ही परीक्षा में बैठते हैं, इसके लिए आयोग को परीक्षा स्थान की बुकिंग करानी पड़ती है, प्रश्नपत्र प्रकाशित कराने होते हैं, परीक्षा निरीक्षकों का प्रबंध करना पड़ता है और सभी 10 लाख आवेदकों के लिए दस्तावेज भेजने पड़ते हैं, जिससे इसमें 50 प्रतिशत ऊर्जा और संसाधनों की बर्बादी होती है।
यूपीएससी के अध्यक्ष ने कहा कि आयोग यह मानता है कि यदि हम सही और गंभीर उम्मीदवारों के लिए काम करें तो हम उन्हें बेहतर सुविधाएं दे सकते हैं और अपनी चयन प्रणाली को अधिक कारगर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा 2019 से यह व्यवस्था प्रारंभ की जाएगी तथा अन्य परीक्षाओं को इस व्यवस्था के अंतर्गत लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए उम्मीदवार को आवेदन का ब्यौरा देना होगा, उम्मीदवार के पंजीकृत मोबाइल नम्बर तथा ईमेल आईडी पर अलग से ओटीपी भेजे जाएंगे, नाम वापस लेने की कार्रवाई सफलतापूर्वक पूरी करने पर ईमेल पर पुष्टि संदेश भेजा जाएगा और एसएमएस किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक बार आवेदन वापस लेने पर इसे फिर से शामिल नहीं किया जा सकता।
यूपीएससी के अध्यक्ष ने कहा कि उम्मीदवारों की चिंता में कमी करने के उद्देश्य से यूपीएससी ने परीक्षा से संबंधित संवादों तथा लेनदेन को ऑनलाइन कर दिया है। अरविंद सक्सेना ने बताया कि हम परीक्षा की पेन और पेपर पद्धति से कंप्यूटर आधारित पद्धति की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने राज्यों के पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति के संबंध में उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले और विभिन्न सेवाओं में बिना परीक्षा के सीधी भर्ती के सरकार के प्रस्ताव की चर्चा की और कहा कि आयोग की जिम्मेदारियां बढ़ी हैं। इस अवसर पर आयोग के सदस्य, भूतपूर्व अध्यक्ष तथा अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे। गौरतलब है कि बहुत से उम्मीदवार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने के लिए फार्म तो भर देते हैं, लेकिन परीक्षा में नहीं बैठते हैं, जिससे इस परीक्षा के प्रबंधन पर संसाधनों का इस्तेमाल व्यर्थ जाता है और परीक्षा व्यवस्था भी छिन्न-भिन्न होती है।
यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने वाले ऐसे भी प्रतिभागी होते हैं, जिन्हें इस परीक्षा में भाग लेना नहीं होता है, लेकिन दूसरों को रुआब दिखाने या गुमराह करने के लिए वे ऐसा करते हैं। यूपीएससी की व्यवस्था यह है कि जिस भी प्रतिभागी के आवेदन करने की अर्हता पूरी होती है, यूपीएससी उसे अपनी प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने का अवसर देता है। ऐसे प्रतिभागी भविष्य में अपने आवेदन वापस लेंगे, इसकी कोई बाध्यता नहीं है और इसके चलते यूपीएससी को उन्हें अनुमति देनी ही पड़ेगी, यदि वह प्रतिभागी अपना आवेदन वापस लेता है, तभी यूपीएससी उसे परीक्षा से बाहर करने की कार्रवाई करेगा। सवाल यह है कि क्या हमारे अभ्यर्थियों में यह मानसिकता है कि वे यूपीएससी के इस दृष्टिकोण का सम्मान करेंगे, जबतक कि ऐसे प्रतिभागियों को अगली प्रारंभिक परीक्षा के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा?