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Thursday 11 October 2018 02:07:07 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने गंगा नदी के लिए उन न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह को अधिसूचित किया है, जिसे गंगा नदी में विभिन्न स्थानों पर निश्चित तौरपर बनाए रखना है। पर्यावरणीय प्रवाह दरअसल वह स्वीकार्य प्रवाह है, जो किसी नदी को अपेक्षित पर्यावरणीय स्थिति अथवा पूर्व निर्धारित स्थिति में बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा है कि गंगा नदी के लिए ई-फ्लो की अधिसूचना जारी हो जाने से इसके ‘अविरल प्रवाह’ को सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी। अविरल और निर्मल गंगा के लिए सरकारी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने जानकारी दी कि गंगा अधिनियम के मसौदे को मंजूरी के लिए शीघ्र ही कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।
गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण है, गंगा के ई-फ्लो को अधिसूचित करने के बारे में चर्चाएं लम्बे समय से हो रही थीं, हमने नदी में प्रवाह की न्यूनतम मात्रा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है। नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार की अधिसूचना से यह सुनिश्चित होगा कि सिंचाई, पनबिजली, घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग इत्यादि से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं एवं संरचनाओं के कारण नदी का प्रवाह किसी अन्य तरफ मुड़ जाने के बावजूद गंगा नदी में जल का न्यूनतम अपेक्षित पर्यावरणीय प्रवाह निश्चित रूपसे बरकरार रहेगा, यह नदी के अविरल प्रवाह को बनाये रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि आदेश उद्भव वाले ग्लेशियरों से आरंभ होने वाले और संबंधित संगम से होकर गुजरने के बाद आखिर में देवप्रयाग से हरिद्वार तक मिलने वाले ऊपरी गंगा नदी बेसिन और उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले तक गंगा नदी के मुख्य मार्ग पर लागू होगा।
नितिन गडकरी ने बताया कि न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह का अनुपालन सभी मौजूदा, निर्माणाधीन और भावी परियोजनाओं के लिए मान्य है, जो वर्तमान परियोजनाएं फिलहाल इन मानकों पर खरी नहीं उतर रही हैं, उन्हें तीन वर्ष की अवधि के अंदर निश्चित रूपसे अपेक्षित पर्यावरणीय प्रवाह मानकों का अनुपालन करना होगा। उन्होंने बताया कि ऐसी लघु एवं सूक्ष्म परियोजनाएं जिनके कारण नदी की विशेषताओं अथवा उसके प्रवाह में व्यापक बदलाव नहीं होता है, उन्हें इन पर्यावरणीय प्रवाह से मुक्त कर दिया गया है। नितिन गडकरी ने कहा कि नदी विस्तार में प्रवाह की स्थिति पर समय-समय पर हर घंटे करीबी नज़र रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय जल आयोग संबंधित आकड़ों का नामित प्राधिकरण एवं संरक्षक होगा और प्रवाह की निगरानी एवं नियमन की जिम्मेदारी इसी आयोग पर होगी, संबंधित परियोजना डेवलपरों और प्राधिकरणों को 6 माह के भीतर परियोजना स्थलों के समुचित स्थानों पर स्वत: डेटा प्राप्ति एवं डेटा संप्रेषण सुविधाएं स्थापित करनी होंगी।
गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि अनेक परियोजनाएं जैसे कि घाटों एवं शवदाह गृह के विकास, सीवेज शोधन संयंत्रों, गंगा नदी पर तल की सफाई इत्यादि कार्यांवयन के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने देशवासियों को आश्वासन दिया कि इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने के बाद ‘अविरल और निर्मल गंगा’ का उनका सपना साकार हो जाएगा। उत्तराखंड में पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण के मसले पर नितिन गडकरी ने कहा कि विभिन्न हितधारकों की राय ली जा रही है और इस संबंध में सोच-समझ कर निर्णय लिया जाएगा। केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने गंगा नदी के लिए ई-फ्लो से जुड़ी अधिसूचना को एक ऐतिहासिक कदम बताया।
उमा भारती ने कहा कि गंगा नदी व्यक्तिगत रूपसे मेरे लिए विश्वास का प्रतीक रही है, लेकिन गंगा नदी पर काम शुरू करने के बाद संबंधित समस्याओं को लेकर मुझमें उपयुक्त समझ विकसित हुई, इस संदर्भ में यह अधिसूचना एक ऐतिहासिक कदम है और भारत की सभी नदियों को फिर से जीवंत बनाने की दिशा में एक शुरुआत है। उन्होंने कहा कि पनबिजली परियोजनाओं को कुछ इस तरह से कार्यांवित किया जाना चाहिए, जिससे कि नदियों में जल के सतत प्रवाह में कोई भी बाधा उत्पन्न न हो।